कांग्रेस ने क्यों बदल डाला नए दफ्तर 'इंदिरा भवन' का पता, वास्तु और RSS से भी कनेक्शन
कांग्रेस के दिवंगत महासचिव अहमद पटेल और कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर कांग्रेस के प्रस्तावित मुख्य भवन के डिजायन में प्रवेश द्वार को बदलवाकर पीछे कोटला रोड की तरफ करवाया था।
पिछले करीब पांच दशकों से कांग्रेस पार्टी के मुख्यालय का पता 24 अकबर रोड अब बदल गया है। अब पार्टी मुख्यालय का नया पता 9ए, कोटला मार्ग है। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने बुधवार को पार्टी के नए मुख्यालय ‘इंदिरा भवन’ का उद्घाटन किया। सोनिया गांधी ने फीता काटकर पांच मंजिले नए भवन का उद्घाटन किया। इस दौरान उनके साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी समेत पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेता भी मौजूद थे।
बड़ी बात यह है कि कांग्रेस मुख्यालय भाजपा के पांच मंजिला मुख्यालय से महज एक किलोमीटर ही दूर है और उसी दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर अवस्थित है लेकिन कांग्रेस ने अपना मुख्य द्वार पीछे के रास्ते कोटला रोड में खोला और उसी मार्ग के नाम पर अपना पता 9ए कोटला रोड रखा। यह दीनदयाल उपाध्याय मार्ग के समानांतर है। पहले पास किए गए डिजायन के मुताबिक कांग्रेस मुख्यालय का मुख्य द्वार भी दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर ही खुल रहा था। 1977 में जनता पार्टी सरकार ने राउज एवेन्यू रोड का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय मार्ग कर दिया था।
RSS से क्या कनेक्शन?
माना जा रहा है कि पार्टी ने ऐसा बदलाव जानबूझकर किया, ताकि दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर उसके मुख्यालय का पता नहीं रहे। दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रचारक, एक हिन्दू विचारक थे। वह भारतीय जनसंघ (वर्तमान में भाजपा) के सह संस्थापक और अध्यक्ष भी रहे हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी और बलराज मधोक के साथ मिलकर दीनदयाल उपाध्याय ने अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की थी। कांग्रेस की मुख्य प्रतिद्वंद्वी पार्टी भाजपा उन्हें अपना विचारक, पथ प्रदर्शक और आदर्श मानती रही है। उनके अंत्योदय सिद्धांत को पार्टी अमल में लाती रही है।
लिहाजा, कांग्रेस नहीं चाहती थी कि उन दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर कांग्रेस मुख्यालय का पता हो, जिनकी विचारधारा का वह प्रबल विरोधी रही है। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कांग्रेस के दिवंगत महासचिव अहमद पटेल और कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर कांग्रेस के प्रस्तावित मुख्य भवन के डिजायन में प्रवेश द्वार को बदलवाकर पीछे कोटला रोड की तरफ करवाया था। तब पार्टी ने वास्तु की वजह से इसमें किया गया बदलाव बताया था। कोटला मार्ग का नाम दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक द्वारा 14वीं शताब्दी में निर्मित फिरोज शाह कोटला किला के नाम पर रखा गया है।
इंदिरा भवन की विशेषताएं
कांग्रेस के नए मुख्यालय का काम पिछले कई वर्षों से जारी था। इंदिरा भवन को लगभग 242 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है। यह भवन पार्टी की विरासत को संरक्षित रखते हुए आधुनिकता का प्रतीक भी है। भवन को ग्रीन बिल्डिंग के मानकों के अनुरूप बनाया गया है। इसमें सोलर पैनल और वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जैसी सुविधाएं भी हैं। पहली मंजिल पर हाईटेक ऑडिटोरियम है। इसके अलावा किसान प्रकोष्ठ, डेटा विभाग और कई विभागों के दफ्तर समेत कुल 18 कमरे हैं। द्वितीय तल पर 24 कमरे हैं। इनमें राष्ट्रीय सचिव बैठेंगे। तीसरी मंजिल पर 18 कमरे हैं, जहां स्वतंत्र प्रभार वाले प्रभारी बैठेंगे। चौथी मंजिल पर संगठन महासचिव और कोषाध्यक्ष समेत पार्टी के अन्य महासचिवों का दफ्तर होगा। इस तल पर 12 बड़े कमरे हैं। पांचवें फ्लोर पर पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और राहुल गांधी के लिए तीन बड़े-बड़े दफ्तेर बनाए गए हैं।
पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा, "इंदिरा गांधी भवन को पार्टी और उसके नेताओं की बदलती जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजायन किया गया है, जिसमें प्रशासनिक, संगठनात्मक और रणनीतिक गतिविधियों का समर्थन करने के लिए आधुनिक सुविधाएं हैं। यह प्रतिष्ठित इमारत कांग्रेस पार्टी के असाधारण अतीत को श्रद्धांजलि देते हुए उसकी दूरदर्शी दृष्टि को दर्शाती है, जिसने भारत के राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने को आकार दिया है।"
इस बीच, सूत्रों ने कहा कि पार्टी अपने निवर्तमान मुख्यालय "24, अकबर रोड" को फिलहाल खाली नहीं करेगी, जो 1978 में कांग्रेस (आई) के गठन के बाद से इसका मुख्यालय रहा है। सूत्रों ने कहा कि शुरुआत में प्रशासन, लेखा और कुछ अन्य कार्यालय नए भवन में स्थानांतरित होंगे। इसके अलावा कांग्रेस के विभिन्न अग्रिम संगठन - महिला कांग्रेस, युवा कांग्रेस और एनएसयूआई और पार्टी के विभाग और प्रकोष्ठ के कार्यालय भी नए परिसर में स्थानांतरित किए जा सकते हैं। 1977 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद लुटियंस दिल्ली में 24, अकबर रोड बंगले को एआईसीसी मुख्यालय में बदल दिया गया था।