पहले अपने गिरेबान में झांके पाकिस्तान, वक्फ कानून पर पाक की बेमतलब टिप्पणी पर भारत ने लताड़ा
- वक्फ संशोधन कानून को लेकर टिप्पणी करने के लिए भारत ने पाकिस्तान को जमकर लताड़ लगाई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि पाक को भारत के किसी भी अंतरिम मामले में दखलंदाजी करने का कोई हक नहीं है।

भारत में हाल ही में लागू हुए वक्फ कानून को लेकर पाकिस्तान की टिप्पणी को लेकर भारत ने पाक को जमकर फटकार लगाई है। मंगलवार को भारत ने पाक के बयानों को दृढ़ता से खारिज करते हुए कहा है कि पाक को भारत के किसी भी मुद्दे पर बोलने का कोई हक नहीं है। इस दौरान भारत ने पाकिस्तान को यह नसीहत भी दी है कि दूसरों पर टिप्पणी करने की बजाय पाकिस्तान को खुद के गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए और अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर खुद के रिकॉर्ड को देखना चाहिए।
वक्फ कानून पर पाकिस्तान की टिप्पणियों के बारे में मीडिया के सवालों के जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मंगलवार को कहा,“हम भारत की संसद द्वारा अधिनियमित वक्फ संशोधन अधिनियम पर पाकिस्तान द्वारा की गई प्रेरित और आधारहीन टिप्पणियों को दृढ़ता से खारिज करते हैं।” रणधीर जायसवाल ने आगे कहा,“पाकिस्तान के पास भारत के आंतरिक मामले पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। पाकिस्तान के लिए बेहतर होगा कि जब अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने की बात आती है तो वह दूसरों को देखने के बजाय अपने खुद के रिकॉर्ड को देखे।”
पाकिस्तान ने उगला था जहर
गौरतलब है कि बीते दिनों पाकिस्तान ने भारत के वक्फ कानूनों में हाल ही में किए गए संशोधनों पर आपत्ति जताई थी। पाकिस्तान ने इस कानून को भेदभावपूर्ण बताया था। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने यह आधिकारिक बयान जारी किया है। इससे पहले लोकसभा और राज्यसभा में लगातार दो दिनों तक चली बहस के बाद वक्फ विधेयक संसद से पारित हो गया था। 5 अप्रैल को कानून को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल भी मिल गई थी।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में होनी है सुनवाई
इस बीच वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई होगी। जानकारी के मुताबिक भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में जस्टिस संजय कुमार और के वी विश्वनाथन की तीन जजों की पीठ ने अब तक इस मुद्दे पर 10 याचिकाओं को सूचीबद्ध किया है। बता दें कि इस कानून को लेकर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, आप विधायक अमानतुल्लाह खान, राजद सांसद मनोज झा और टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा जैसे कई दिग्गज नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर इसे असंवैधानिक बताया है।