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कानून का दुरुपयोग कर रहा, समाज को असुरक्षित बना दिया; सुकेश की जेल बदलने वाली याचिका खारिज

  • सुकेश चंद्रशेखर ने खुद को राष्ट्रीय राजधानी की मंडोली जेल से पंजाब और दिल्ली के अलावा किसी अन्य जेल में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया था।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 18 Feb 2025 04:04 PM
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कानून का दुरुपयोग कर रहा, समाज को असुरक्षित बना दिया; सुकेश की जेल बदलने वाली याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर की एक याचिका खारिज कर दी। याचिका में सुकेश ने दिल्ली की मंडोली जेल से कर्नाटक या पास के किसी राज्य की जेल में ट्रांसफर के लिए अनुरोध किया था। हालांकि कोर्ट ने सुकेश चंद्रशेखर को लेकर टिप्पणी करते हुए कहा कि उसने समाज को असुरक्षित बना दिया है और जब आरोपी अपनी स्वतंत्रता का उल्लंघन होने का दावा करता है, तो कोर्ट को पीड़ितों के अधिकारों का भी ध्यान रखना पड़ता है।

कोर्ट ने सुकेश के वकील से कहा, "उसने समाज को बहुत असुरक्षित बना दिया है। कुछ लोगों को दूसरे पक्ष के बारे में भी सोचना चाहिए। देखिए, पीड़ितों का क्या होगा। हर बार आप आरोपियों के अधिकारों के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन पीड़ितों के बारे में कौन सोचेगा?" कोर्ट ने यह भी कहा कि चंद्रशेखर लगातार याचिकाएं दायर कर कानून का दुरुपयोग कर रहे हैं।

कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि इससे पहले चंद्रशेखर द्वारा दायर तीन याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं और इस याचिका में भी कोई नई परिस्थिति नहीं है। जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस पी.बी. वराले की पीठ ने कहा, "यह स्पष्ट रूप से कानून के दुरुपयोग का मामला है, क्योंकि आरोपी द्वारा बार-बार याचिकाएं दायर की जा रही हैं।"

कोर्ट ने चंद्रशेखर के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन होने की ओर भी इशारा किया और कहा, "आपके पास पैसे हैं, इसलिए आप वरिष्ठ वकीलों को नियुक्त कर याचिकाएं दायर कर रहे हैं। ऐसे मामलों में कानून का दुरुपयोग एक सीमा तक ही सहन किया जा सकता है।" न्यायालय ने यह भी कहा कि चंद्रशेखर पर 27 मामले दर्ज हैं। अंत में, सुप्रीम कोर्ट ने चंद्रशेखर की याचिका को खारिज करते हुए उस पर जुर्माना लगाने की चेतावनी दी और कहा, "अधिक बहस करने से जुर्माना बढ़ेगा।"

सुकेश चंद्रशेखर ने खुद को राष्ट्रीय राजधानी की मंडोली जेल से पंजाब और दिल्ली के अलावा किसी अन्य जेल में ट्रांसफर करने का अनुरोध किया था। पीठ ने चंद्रशेखर से कहा कि उसकी शिकायत दिल्ली सरकार के खिलाफ थी और अब शासन बदल जाने से शिकायत भी समाप्त हो जाती है। पीठ ने कहा, ‘‘आपके पास खर्च करने के लिए धन है तो आप मौके ले रहे हैं। यह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग है। आप एक ही तरह की याचिकाएं कैसे दायर करते रह सकते हैं।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हम संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका पर विचार करने के इच्छुक नहीं हैं। हमने मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है। हालांकि हम यह कहने से खुद को नहीं रोक सकते कि वर्तमान याचिकाकर्ता ने बदली हुई परिस्थितियों की आड़ में एक के बाद एक रिट दायर करके कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने की कोशिश की है।’’ चंद्रशेखर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शोएब आलम ने कहा कि याचिकाकर्ता को संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत यह अधिकार प्राप्त है कि उसे उसके परिवार से अलग न रखा जाए। उन्होंने चंद्रशेखर को कर्नाटक या उसके निकट किसी जेल में भेजने का अनुरोध किया।

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पीठ ने कहा, ‘‘हम समाज और उसकी सुरक्षा को लेकर भी चिंतित हैं। आपके मौलिक अधिकारों को दूसरों की कीमत पर लागू नहीं किया जा सकता। देखिए आपने अधिकारियों के खिलाफ किस तरह के आरोप लगाए हैं।’’ उच्चतम न्यायालय ने चंद्रशेखर की याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा था। चंद्रशेखर ने दावा किया था कि उस पर अपनी शिकायतें वापस लेने का दबाव बनाने के लिए दो कैमरों से निगरानी की गई। उसके वकील ने तर्क दिया कि दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने चंद्रशेखर की शिकायत पर पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ सीबीआई जांच की सिफारिश की थी।

चंद्रशेखर ने अपनी याचिका में कहा, ‘‘कृपया करके मुझे पंजाब और दिल्ली को छोड़कर देश में कहीं भी भेज दीजिए जहां आम आदमी पार्टी नहीं है।’’ शीर्ष अदालत ने पिछले साल चंद्रशेखर और उसकी पत्नी की याचिका खारिज कर दी थी जिसमें सुरक्षा संबंधी चिंताएं जताते हुए उन्हें मंडोली जेल से दिल्ली के बाहर किसी जेल में ट्रांसफर करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था। अदालत ने कहा था कि याचिका में कोई आधार नहीं है और उन्हें छूट देने का कोई औचित्य नहीं है। चंद्रशेखर ने जैन पर 10 करोड़ रुपये की "सुरक्षा राशि" वसूलने का आरोप लगाया था और दावा किया था कि उसने आप को लगभग 50 करोड़ रुपये का चंदा दिया है।

(इनपुट एजेंसी)

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