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'मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर मत फेंको', नई शिक्षा नीति को लेकर तमिलनाडु में क्यों घमासान

  • धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को लेकर मुख्यमंत्री स्टालिन पर निशाना साधा। उन्होंने सीएम पर राजनीतिक एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रगतिशील सुधारों को खतरे के रूप में पेश करने का आरोप लगाया।

Niteesh Kumar भाषाSat, 22 Feb 2025 07:12 AM
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'मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर मत फेंको', नई शिक्षा नीति को लेकर तमिलनाडु में क्यों घमासान

भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार और तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम के बीच भाषा विवाद उस वक्त और गहरा गया, जब केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दक्षिणी राज्य को राजनीति से ऊपर उठने के लिए कहा। प्रधान के बयान पर द्रमुक ने पलटवार करते हुए कहा कि वह अपनी दो-भाषा नीति से पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने केंद्र सरकार को आगाह किया कि वह मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर नहीं फेंके। प्रधान ने तमिलनाडु में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को लेकर मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर निशाना साधा। उन्होंने सीएम पर राजनीतिक एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रगतिशील सुधारों को खतरे के रूप में पेश करने का आरोप लगाया।

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इसके जवाब में द्रमुक ने संकेत दिया कि तमिलनाडु से केंद्रीय निधियों में से इसका हिस्सा देने के बदले हिंदी को शामिल करते हुए तीन-भाषा नीति और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को लागू करने के लिए कहा जा रहा है। द्रमुक अध्यक्ष स्टालिन ने कहा कि जब तक वह और उनकी पार्टी मौजूद है, वह तमिल भाषा, राज्य और उसके लोगों के खिलाफ किसी भी तरह की गतिविधि की अनुमति नहीं देंगे। हिंदी को थोपना तमिलनाडु में एक संवेदनशील विषय रहा है। द्रमुक ने 1965 में बड़े पैमाने पर हिंदी विरोधी आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था। इस आंदोलन के दौरान कई तमिल समर्थक कार्यकर्ताओं ने भाषा थोपे जाने के खिलाफ अपनी जान दे दी थी और इनमें से ज्यादातर ने आत्मदाह कर लिया था।

'राजनीति से ऊपर उठकर छात्रों के बारे में सोचें'

मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने भी एनईपी को लेकर केंद्र पर निशाना साधा। प्रधान ने स्टालिन को लिखे पत्र में कहा कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री को राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर छात्रों के हितों के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से उन्हें लाभ होगा। शिक्षा मंत्री स्टालिन की ओर से गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र का जवाब दे रहे थे। स्टालिन ने अपने पत्र में कहा कि केंद्र प्रायोजित 2 पहलों समग्र शिक्षा अभियान और पीएम श्री स्कूल को राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जोड़ना मौलिक रूप से अस्वीकार्य है। प्रधान ने स्टालिन को लिखे अपने पत्र में कहा, 'प्रधानमंत्री को भेजा गया पत्र मोदी सरकार की ओर से प्रचारित सहकारी संघवाद की भावना का पूर्ण खंडन है। इसलिए, राज्य के लिए एनईपी 2020 को अदूरदर्शी दृष्टि से देखना और अपने राजनीतिक एजेंडे को बनाए रखने के लिए प्रगतिशील शैक्षिक सुधारों को खतरे में डालना अनुचित है।'

केंद्रीय शिक्षा मंत्री का क्या है तर्क

तमिलनाडु और केंद्र सरकार राज्य में नई शिक्षा नीति के कार्यान्वयन को लेकर आमने-सामने हैं। द्रमुक सरकार ने शिक्षा मंत्रालय पर महत्वपूर्ण योजनाओं के लिए धन रोकने का आरोप लगाया है। मंत्री ने लिखा, 'राजनीतिक कारणों से एनईपी 2020 का लगातार विरोध तमिलनाडु के छात्रों, शिक्षकों और शैक्षणिक संस्थानों को इस नीति द्वारा प्रदान किए जाने वाले अपार अवसरों और संसाधनों से वंचित करता है। नीति को लचीला बनाया गया है, जिससे राज्यों को अपनी विशिष्ट शैक्षिक आवश्यकताओं के अनुरूप इसके कार्यान्वयन को अनुकूलित करने की अनुमति मिलती है।' प्रधान ने लिखा, 'समग्र शिक्षा जैसे केंद्र समर्थित कार्यक्रम एनईपी 2020 के साथ संरेखित हैं। साथ ही, पीएम श्री विद्यालयों को एनईपी के आदर्श स्कूल के रूप में परिकल्पित किया गया है।' प्रधान ने तमिलनाडु के तीन-भाषा फॉर्मूले के विरोध पर स्पष्ट किया कि नीति किसी भी भाषा को थोपने की वकालत नहीं करती है।

किस बात को लेकर हो रहा विरोध

इसका जवाब देते हुए स्टालिन ने कहा कि प्रधान ने शिक्षा विभाग के लिए 2,152 करोड़ रुपये के कोष से जुड़ी राज्य के अनुरोध का जवाब तमिलनाडु को शिक्षा में राजनीति न करने के लिए कहकर दिया है। स्टालिन ने कहा, ‘शिक्षा में राजनीति कौन कर रहा है - आप या हम? क्या यह ब्लैकमेल है कि निधि केवल तभी जारी की जाएगी जब तीन भाषा नीति स्वीकार की जाएगी, क्या यह राजनीति नहीं है? क्या एनईपी के नाम पर हिंदी थोपना राजनीति नहीं है? क्या बहुभाषी और बहुलतावादी देश को एक-भाषा वाले देश और एक राष्ट्र में बदलना राजनीति नहीं है? क्या किसी योजना के लिए निर्धारित निधि को दूसरी योजना को लागू करने के शर्त के रूप में बदलना राजनीति नहीं है।’ स्टालिन ने कहा, ‘मैं केंद्र को चेतावनी देता हूं कि मधुमक्खी के छत्ते पर पत्थर नहीं फेंके। तमिलों की अनूठी लड़ाई की भावना को देखने की आकांक्षा मत करो। जब तक मैं और द्रमुक मौजूद हैं, तमिल, तमिलनाडु और उसके लोगों के खिलाफ किसी भी गतिविधि को राज्य में चलाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’

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