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ब्राह्मण महासभा में पहुंचे HC के दो जज, बताया संविधान निर्माण में बिरादरी का योगदान; आंबेडकर का भी जिक्र

  • जस्टिस दीक्षित ने कहा कि ब्राह्मण समाज ने देश के विकास में बहुत योगदान दिया है। उन्होंने संविधान की ड्राफ्टिंग में ब्राह्मणों का इतना योगदान था कि आंबेडकर ने खुद तारीफ की। उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने कहा था कि बीएन राव ने यदि संविधान की ड्राफ्टिंग नहीं की होती तो उसे तैयार करने में 25 साल और लग जाते।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, बेंगलुरुTue, 21 Jan 2025 03:25 PM
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ब्राह्मण महासभा में पहुंचे HC के दो जज, बताया संविधान निर्माण में बिरादरी का योगदान; आंबेडकर का भी जिक्र

भारत के संविधान को तैयार करने के लिए जो ड्राफ्टिंग कमेटी बनी थी, उसके 7 सदस्यों में से तीन ब्राह्मण थे। उनका संविधान तैयार करने में अहम योगदान था और उनमें से एक बीएन राव की तारीफ खुद आंबेडकर ने की थी। यह बात ब्राह्मण महासभा के आयोजन में पहुंचे कर्नाटक हाई कोर्ट के जस्टिस कृष्ण एन. दीक्षित ने कही। उनके अलावा एक और जस्टिस वी. श्रीशानंद भी आयोजन में शामिल हुए। बेंगलुरु में चले दो दिनों के कार्य़क्रम में जस्टिस कृष्ण एन. दीक्षित ने कहा कि ब्राह्मण समाज ने देश के विकास में बहुत योगदान दिया है। उन्होंने संविधान की ड्राफ्टिंग में ब्राह्मणों का इतना योगदान था कि भीमराव आंबेडकर ने खुद तारीफ की थी। उन्होंने कहा कि आंबेडकर ने कहा था कि बीएन राव ने यदि संविधान की ड्राफ्टिंग नहीं की होती तो उसे तैयार करने में 25 साल और लग जाते।

इसके अलावा भीमराव आंबेडकर के जीवन में भी उनके ब्राह्मण शिक्षक के योगदान का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि भीमराव आंबेडकर के कृष्णजी नाम के शिक्षक ने ही उन्हें आंबेडकर उपनाम दिया था, जो पहले अंबावाडेकर था। भीमराव आंबेडकर का जन्म के बाद नाम भीमराव रामजी आंबेडकर रखा गया था। उन्होंने कहा कि आंबेडकर के ब्राह्मण शिक्षक ने उन्हें आर्थिक मदद भी की थी ताकि वह पढ़ाई जारी रख सकें। इससे स्पष्ट है कि ब्राह्मण सभी का सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत रत्न पाने वाले एक ब्राह्मण पीवी काणे ने धर्मशास्त्र की रचना सात खंडों में की है। इस ग्रंथ में उन्होंने गैर-ब्राह्मणों की ओर से दिए गए योगदान का जिक्र किया है।

वेद व्यास मछुआरे के बेटे, फिर भी सब करते हैं सम्मान

इसके आगे वह कहते हैं कि ब्राह्मण कोई जाति नहीं है बल्कि वर्ण है। उन्होंने कहा कि वेद व्यास एक मछुआरे के बेटे थे और इसी प्रकार वाल्मीकि भी एससी या एसटी समाज के थे। फिर भी उन्होंने रामायण लिखी और हम आज तक उन्हें पूजते हैं। उनकी ही लिखी रामायण को संविधान में भी जगह दी गई है। संविधान में जो 32 चित्र शामिल किए गए हैं, उममें से एक भगवान राम का भी है। उन्होंने कहा, 'हम जब ब्राह्मण की बात करते हैं तो यह गर्व की बात है। इसलिए क्योंकि ब्राह्मणों ने ही द्वैत, अद्वैत, विशिष्ट अद्वैत और शुद्ध अद्वैत का दर्शन दिया। यह हमारा ब्राह्मण समाज ही है, जिसने दुनिया को बासवन्ना दिए।'

संविधान में योगदान देने वाले तीन ब्राह्मणों के गिनाए नाम

उन्होंने कहा कि संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी में तीन ब्राह्मण थे। ये थे कृष्णस्वामी अय्यर, गोपालस्वामी आयंगर और बीएन राव। जस्टिस दीक्षित ने अपने भाषण में कई और लोगों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक ब्राह्मण कल्हण ने ही राजतरंगिणी की रचना की और अल्लामा इकबाल भी पहले ब्राह्मण ही था, जिसने सारे जहां से अच्छा की रचना की थी। इसके अलावा उन्होंने रवींद्रनाथ टैगोर का भी जिक्र किया और कहा कि उन्होंने भारत का राष्ट्रगान जन-गण-मन लिखा तो बांग्लादेश के लिए भी आमार सोनार बांग्ला की रचना की थी।

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