बद्रीनाथ धाम में क्यों नहीं बजाया जाता शंख, बहुत इंटरेस्टिंग है ये रहस्य
Badrinath Dham: बद्रीनाथ धाम में शंख नहीं बजाया जाता। यहां शंख ना बजाने के पीछे धार्मिक मान्यताओं के साथ ही वैज्ञानिक चीजें भी हैं। ऐसे में यहां जानिए शंख ना बजाने की बेहद इंटरेस्टिंग वजह।
देवभूमि उत्तराखंड की खूबसूरती हर जगह फेमस है। देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। पौराणिक मंदिरों के अलावा यहां घूमने के लिए काफी सारी जगह हैं। यहां मौजूद कई मंदिरों में से सबसे ज्यादा फेमस बद्रीनाथ धाम मंदिर है। ये धाम भगवान विष्णू को समर्पित है। यहां दर्शन के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। हिंदू मंदिरों में देवी देवताओं की पूजा के साथ शंख ध्वनि से भी उनका आह्वान करते हैं, लेकिन बद्रीनाथ मंदिर में ऐसा नहीं है। यहां शंख ना बजाने के पीछे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं। जानिए-
क्या है धार्मिक मान्यता
बद्रीनाथ धाम मंदिर में शंख ना बजाने के पीछे धार्मिक मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि मां लक्ष्मी बद्रीनाथ में बने तुलसी भवन में ध्यान लगा रही थीं। तभी भगवान विष्णु ने शंखचूर्ण नाम के एक राक्षस का वध किया था। हिन्दू धर्म में जीत पर शंखनाद किया जाता है, लेकिन विष्णु जी लक्ष्मी जी के ध्यान में विघ्न नहीं डालना चाहते थे, इसलिए उन्होंने शंख नहीं बजाया।
क्या है पौराणिक मान्यता
कहते हैं कि केदारनाथ में जब अगसत्य मुनि राक्षसों का वझ कर रहे थे, तब दो राक्षस अतापी और वतापी वहां से भाग गए थे और जिसके बाद आतापी ने जान बचाने के लिए मंदाकिनी नदी की मदद ली, वहीं वतापी ने शंख के अंदर छिप गया। जिसके बाद कहा जाता है कि उस समय अगर कोई शंख बजाता तो राक्षस भाग जाता। बद्रीनाथ में शंख ना बजने के पीछे ये वजह भी बताई जाती है।
क्या है वैज्ञानिकों का कहना
वैज्ञानिक मानते हैं कि ठंड के दौरान अगर आप अगर यहां शंख बजता है तो उसकी ध्वनि पहाड़ों से टकराकर प्रतिध्वनि पैदा करती है। जिससे बर्फ में दरारा पड़ सकती है, या फिर बर्फीला तूफान आ सकता है। खास आवृत्ति वाली आवाज पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा सकती है।
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