रिमोट सेंसिंग एक महत्वपूर्ण तकनीक है: डा. मिली घोष
बीआईटी सिन्दरी में आयोजित कार्यशाला में भू-स्थानिक अनुसंधान में जींआईएस का अनुप्रयोग पर व्याख्यानबीआईटी सिन्दरी में आयोजित कार्यशाला में भू-स्थानिक अन
सिंदरी। बीआईटी सिंदरी में झारखंड विज्ञान प्रौद्योगिकी और नवाचार परिषद के सौजन्य से आयोजित रिमोट सेंसिंग और जीआईएस का अनुप्रयोग भविष्य में भी रिमोट सेंसिंग विश्व के हर क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। पांच दिवसीय कार्यशाला में बीआईटी मेसरा रांची की सहप्राध्यापक एवं रिसोर्स पर्सन डा. मिली घोष नी लाला ने भू-स्थानिक अनुसंधान में जींआईएस का अनुप्रयोग पर व्याख्यान देते हुए कहा कि भौगोलिक सूचना विज्ञान एक बहुविषयक क्षेत्र हैं। जो भू-स्थानिक डेटा संग्रह विश्लेषण और प्रबंधन के लिए विकसित हुआ है। इसके अंतर्गत भौगोलिक सूचना प्रणाली का उपयोग होता है। यह शहरी नियोजन भूमि उपयोग स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट्स और आपदा प्रबंधन के क्षेत्रों में अत्यधिक सहायक हैं। रिसोर्स पर्सन ने बताया कि रिमोट सेंसिंग एक महत्वपूर्ण तकनीक हैं। जिसमें उपग्रहों और सेंसर की मदद से पृथ्वी की सतह की जानकारी को दूरस्थ रुप में एकत्र किया जाता हैं। इन तकनीकों का उद्देश्य भू-स्थानिक समस्याओं को हल करना और समाज के विकास में योगदान देना हैं। बीआईटी सिंदरी की सहायक प्रोफेसर डा. कोमल कुमारी ने सतही जल और भू जल प्रबंधन में जींआईएस का अनुप्रयोग पर चर्चा करते हुए बताया कि इस तकनीक से जल स्रोतों की पहचान उनके प्रवाह की दिशा और जल संग्रहण क्षेत्र का विश्लेषण किया जाता हैं। उन्होंने बताया कि इनका उपयोग जल प्रबंधन बाढ़ नियंत्रण और जलवायु परिवर्तन से निपटने में किया जा सकता हैं। इसके पूर्व विभागाध्यक्ष डा. जीतू कुजूर ने डा. घोष को मोमेंटो देकर सम्मानित किया।
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