Hindi Newsविदेश न्यूज़South Korean investigators presidential residence warrant to detain President Yoon Suk Yoel

दक्षिण कोरिया में भारी हंगामा; राष्ट्रपति को गिरफ्तार करने पहुंची पुलिस, सड़क पर उतरे समर्थक

  • जांच अधिकारी राजाधानी सियोल स्थित राष्ट्रपति निवास पर पहुंचे, मगर यहां उन्हें सुरक्षा कर्मचारियों के विरोध का सामना करना पड़ा। यून सुक के सैकड़ों समर्थक भी मौके पर पहुंचे हुए हैं और उन्हें हिरासत में लिए जाने से रोकने का प्रयास कर रहे हैं।

Niteesh Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 3 Jan 2025 09:29 AM
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दक्षिण कोरिया के जांच अधिकारी मार्शल लॉ लगाने के मामले में राष्ट्रपति यून सुक योएल को गिरफ्तार करने पहुंचे हैं। उन पर महाभियोग चलाने के वारंट के साथ वे राजाधानी सियोल स्थित राष्ट्रपति निवास पर गए, मगर यहां उन्हें सुरक्षा कर्मचारियों के विरोध का सामना करना पड़ा। बताया जा रहा है कि यून सुक के सैकड़ों समर्थक भी सड़कों पर उतर आए हैं और उन्हें हिरासत में लिए जाने से रोकने का प्रयास कर रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, यून की गिरफ्तारी के वारंट पर अमल करते हुए दर्जनों जांचकर्ता और पुलिस अधिकारी राष्ट्रपति भवन पहुंचे। इसी बीच बड़ी संख्या में राष्ट्रपति के समर्थक वहां पर जुट गए और जांच अधिकारियों के काम में बाधा डालने लगे। फिलहाल स्थिति तनावपूर्व बनी हुई है।

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दरअसल, दक्षिण कोरिया की एक अदालत ने महाभियोग लगाए गए राष्ट्रपति यून सुक-योल की गिरफ्तारी और राष्ट्रपति आवास की तलाशी के लिए वारंट जारी किया है। यह देश के आधुनिक इतिहास में पहली बार हुआ है कि किसी मौजूदा राष्ट्रपति के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया हो। संयुक्त जांच इकाई ने पिछले दिन विद्रोह और अन्य आरोपों पर सियोल पश्चिमी जिला न्यायालय से यून के खिलाफ वारंट की अपील की थी। यून को 18 दिसंबर, 25 दिसंबर और 29 दिसंबर को तीन बार पूछताछ के लिए उपस्थित होने के लिए कहा, मगर उन्होंने समन प्राप्त करने और अपने बचाव पक्ष के वकील की नियुक्ति के लिए दस्तावेज जमा करने से इनकार कर दिया।

मार्शल लॉ की घोषणा को लेकर खड़ा हुआ विवाद

राष्ट्रपति यून के पक्ष ने वारंट जारी करने के अनुरोध के कुछ ही घंटों बाद सियोल अदालत में लिखित राय प्रस्तुत की और बचाव पक्ष के वकील को नियुक्त किया। यून ने 12 दिसंबर को टेलीविजन संबोधन में कहा कि वह मार्शल लॉ के लिए अपनी कानूनी और राजनीतिक जिम्मेदारी से नहीं बचेंगे, जिसे उन्होंने 3 दिसंबर की रात को घोषित किया था, लेकिन कुछ घंटों बाद नेशनल असेंबली ने इसे रद्द कर दिया। यून के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव 14 दिसंबर को नेशनल असेंबली में पारित किया गया था। इसे 180 दिनों तक विचार-विमर्श करने के लिए संवैधानिक न्यायालय में भेजा गया था, जिसके दौरान यून की शक्तियां सस्पेंड कर दी गई हैं।

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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