जिले में 3 संग्रहालय, एक निर्माणाधीन, दूसरा किराये के मकान और तीसरा सुदूर गांव में
जिले में 3 संग्रहालय, एक निर्माणाधीन, दूसरा किराये के मकान और तीसरा सुदूर गांव मेंजिले में 3 संग्रहालय, एक निर्माणाधीन, दूसरा किराये के मकान और तीसरा सुदूर गांव मेंजिले में 3 संग्रहालय, एक...

संग्रहालय दिवस पर विशेष : जिले में 3 संग्रहालय, एक निर्माणाधीन, दूसरा किराये के मकान और तीसरा सुदूर गांव में 108 साल पुराना है नालंदा में स्थापित एएसआई का म्यूजियम फोटो : तेल्हाड़ा म्यूजियम। नालंदा/एकंगरसराय, प्रमोद झा/अशोक पांडेय। नालंदा जिले में तीन संग्रहालय (म्यूजियम) हैं। लेकिन, हालात ये कि नालंदा म्यूजियम महीनों से निर्माणाधीन है। बिहारशरीफ का संग्रहालय स्थापना काल से 44 साल बाद भी किराये के छोटे-से मकान में चल रहा है। वहीं, तेल्हाड़ा का संग्रहालय सुदूर गांव में है। हालांकि, यह काफी महत्वपूर्ण अवशेषों को संरक्षित कर रहा है। तेल्हाड़ा का तिलाधक विश्वविद्यालय को नालंदा से भी पुराना माना जा रहा है।
तिलाधक विश्वविद्यालय को उपेक्षित रखने का अक्सर आरोप लगते रहते हैं। इसकी खुदाई व निर्माण कार्य ठप है। इसके निर्माण से नालन्दा के अलावा पटना, जहानाबाद, गयाजी के साथ ही अन्य जिलों के लोगो को लाभ होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर यहां के गढ़ की खुदाई करवाकर प्राचीन महाविहार के अवशेषों की खोज की गयी थी। यह एक उच्च शिक्षा केन्द्र के रूप में स्थापित था। इसकी खुदाई में तेल्हाड़ा के पूर्व मुखिया अवधेश गुप्ता के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। बताया कि तेल्हाड़ा में मिले अवशेषों से पता चला है कि यह नालन्दा व विक्रमशिला से भी प्राचीन है। वर्ष 2009 में पुरातत्व निदेशक डॉ. अतुल कुमार वर्मा के नेतृत्व में खुदाई हुई थी। संग्रहालय का निर्माण नौ करोड़, 85लाख रुपये करायी गयी है। वह भी आधा-अधूरा बना है। नालंदा संग्रहालय करीब 108 साल पुराना है। संग्रहालय में संग्रहित दुर्लभ पांडुलिपियां, 13 हजार 478 अवशेष, हाथी दांत के खड़ाऊं, जला हुआ चावल पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। दीर्घा में तारसिंग पोखर से प्राप्त 11वीं-12वीं शताब्दी की कुमार भूतमंजुश्री आचार्य की मूर्ति, मुकुटधारी बुद्ध अंकित प्रस्तर स्तूप फलक, जिसमें बुद्ध की अन्य मुद्राओं की मूर्तियां हैं। राजगीर जैन मंदिर से दशकों पूर्व चोरी के बाद मिले तीर्थंकर भगवान के माता-पिता की 7वीं शताब्दी की प्रस्तर मूर्ति भी प्रदर्शित है। जुआफरडीह में मिले प्रसिद्ध चमकीले मृदभांड के टुकड़े (जिसकी कार्बन तिथि बुद्ध से पूर्व निर्धारित है) रखी गई है। राजगीर से संग्रहित पुरापाषाणिक प्रागैतिहासिक कालीन औजार स्थायी तौर से प्रदर्शित हैं। प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के संस्थापक महेंद्रादित्य कुमार गुप्त-1(414-455 ई) तथा कर्नाज के गहड़वाल राजा गोविंद चंद्रदेव के समय का स्वर्ण सिक्का, पाल राजा विग्रहपाल के विभिन्न ताम्र सिक्के रखे हुए हैं। सुरक्षा की दृष्टि से उनके छायाचित्र लगाये गये हैं। 8 मार्च 2024 से नालंदा पुरातत्व संग्रहालय का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। पर्यटक बिना संग्रहालय देखे वापस जाने को वविश हैं।
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