Hindi Newsगैजेट्स न्यूज़Story of Microsoft Started in a room and now one of the biggest AI companies in the world

छोटे से कमरे में शुरुआत और आज दुनिया की सबसे बड़ी AI कंपनी, कहानी Microsoft की

माइक्रोसॉफ्ट आज दुनिया की सबसे बड़ी टेक कंपनियों में से एक बन चुका है लेकिन इसकी शुरुआत एक छोटे से कमरे में हुई थी। बिल गेट्स का सपना था कि हर घर में एक कंप्यूटर हो और इसके लिए उन्होंने पढ़ाई तक छोड़ दी थी।

Pranesh Tiwari लाइव हिन्दुस्तानMon, 7 April 2025 01:38 PM
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छोटे से कमरे में शुरुआत और आज दुनिया की सबसे बड़ी AI कंपनी, कहानी Microsoft की

दुनिया की सबसे बड़ी AI कंपनियों में शामिल माइक्रोसॉफ्ट ने बीते दिनों 50 साल पूरे कर लिए हैं। इस कंपनी ने लंबे वक्त से मार्केट में अपनी पोजीशन बरकरार रखी है और ढेरों माइक्रोसॉफ्ट प्रोडक्ट्स आज भी धूम मचा रहे हैं। हार्डवेयर से लेकर सॉफ्टवेयर तक, हर सेगमेंट में माइक्रोसॉफ्ट टॉप लिस्ट का हिस्सा है और लगातार इनोवेशंस कर रहा है। इस कंपनी की शुरुआत कुछ लाइन के एक कोड्स, दो दोस्तों और एक छोटे से कमरे से हुई थी। आइए इस बारे में आपको बताते हैं।

माइक्रोसॉफ्ट का पहला ऑफिस न्यू मैक्सिको के अल्बुकर्क में एक बहुत छोटे से कमरे में था। वहां केवल कुछ कंप्यूटर, एक टेबल और दो दोस्त थे, जो दुनिया बदलने का सपना देख रहे थे। ये दोस्त बिल गेट्स और पॉल एलन थे, जिन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और हाईस्कूल के दिनों से ही कंप्यूटर में रुचि दिखाई थी। इन्होंने साथ मिलकर साल 1975 में माइक्रोसॉफ्ट की नींव रखी।

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ऐसी हुई माइक्रोसॉफ्ट की शुरुआत

बिल गेट्स और पॉल एलन ने देखा कि MITS कंपनी ने Altair 8800 नाम का एक माइक्रो कंप्यूटर लॉन्च किया है, तो उन्होंने उसके लिए एक BASIC प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का वर्जन बनाया। उन्होंने MITS को कॉल करके दावा किया कि उनके पास Altair के लिए एक बढ़िया प्रोग्राम है। मजे की बात यह है कि वह कोड उस वक्त तैयार ही नहीं था।

जल्दी-जल्दी में कोड लिखकर उन्होंने जो सॉफ्टवेयर बनाया, वह इतना प्रभावी था कि MITS ने उसे अपना लिया और यहीं से माइक्रोसॉफ्ट की शुरुआत हुई। इसके बाद Microcomputer और Software दोनों शब्दों को मिलाकर 'Microsoft' नाम रखा गया।

बिल गेट्स ने सपने को बनाया सच

माइक्रोसॉफ्ट को लेकर बिल गेट्स का सपना 'हर घर में एक कंप्यूटर' पहुंचाने का है। उन्होंने अपने जुनून के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी छोड़ दी थी, जिससे इस सपने पर काम कर सकें। कंपनी की सबसे बड़ी स्ट्रेटजी IBM के साथ डील रही और यह कंप्यूटर ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ अरबों डॉलर की कंपनी बन गई। दरअसल, 1980 में माइक्रोसॉफ्ट ने IBM के साथ एक डील की, जिसमें उन्होंने DOS (Disk Operating System) बेचने की बात की।

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दिलचस्प बात ये हैं कि माइक्रोसॉफ्ट ने खुद DOS ऑपरेटिंग सिस्टम नहीं बनाया था, बल्कि उन्होंने एक छोटी कंपनी से इसे खरीदा और IBM को लाइसेंस दिया। इसके अलावा 1985 में माइक्रोसॉफ्ट ने Windows 1.0 लॉन्च किया। यह पहला ऐसा ऑपरेटिंग सिस्टम था जो ग्राफिकल इंटरफेस के साथ आया। इसके बाद कंपनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और इसका ऑपरेटिंग सिस्टम दुनिया के सबसे बड़े यूजरबेस वाला कंप्यूटर OS है।

आज माइक्रोसॉफ्ट ना सिर्फ ऑपरेटिंग सिस्टम, बल्कि क्लाउड कंप्यूटिंग (Azure), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, गेमिंग (Xbox), और कई अन्य क्षेत्रों में सक्रिय रूप से काम कर रहा है और बड़ा नाम है।

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