Hindi Newsक्रिकेट न्यूज़England urged to boycott ICC Champions Trophy 2025 game against Afghanistan by UK politicians due to Taliban

अफगानिस्तान के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी में मत खेलना…इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड से की गई ये बड़ी मांग

  • इंग्लैंड को चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में अफगानिस्तान के खिलाफ मैच खेलने से पीछे हट जाना चाहिए। इसकी मांग इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड से इंग्लैंड के 160 से ज्यादा राजनेताओं ने एक पत्र लिखकर की है।

Vikash Gaur एपी, लंदनTue, 7 Jan 2025 01:31 PM
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इंग्लैंड की टीम को आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में अफगानिस्तान के खिलाफ खेलने से पीछे हट जाना चाहिए। इसकी मांग इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड से इंग्लैंड के 160 से ज्यादा राजनेताओं ने की है। एक लेटर इस बारे में यूके के सैकड़ों राजनेताओं ने साइन किया है, जिसमें ये दलील दी गई है कि तालिबान ने महिलाओं और महिला क्रिकेट पर जो पाबंदी लगाई है, उसके विरोध में इंग्लैंड की टीम को अफगानिस्तान के खिलाफ चैंपियंस ट्रॉफी के मैच में बायकॉट कर देना चाहिए।

राजनेता चाहते हैं कि इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड तालिबान शासन द्वारा महिलाओं के अधिकारों पर किए जा रहे हमले के खिलाफ आवाज उठाए और 26 फरवरी को पाकिस्तान के लाहौर में अफगानिस्तान के खिलाफ पुरुषों के एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच (चैंपियंस ट्रॉफी मैच) का बहिष्कार करे। बता दें कि 2021 में तालिबान के सत्ता में लौटने के बाद से खेलों में महिलाओं की भागीदारी को प्रभावी रूप से गैरकानूनी घोषित कर दिया गया है, यह एक ऐसा कदम है, जो अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड को इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल के नियमों का उल्लंघन करने वाला बनाता है। हालांकि, कोई पाबंदी आईसीसी ने अभी तक अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड पर नहीं लगाई है।

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चूंकि आईसीसी ने अफगानिस्तान के खिलाड़ियों को अभी भी प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी हुई है, इसलिए यू.के. संसद से एक कड़े शब्दों वाला पत्र सामने आया है, जिसमें ईसीबी से अपनी नैतिक आपत्ति दर्ज कराने की अपील की गई है। लेबर एमपी टोनिया एंटोनियाजी द्वारा लिखे गए और हाउस ऑफ कॉमन्स और हाउस ऑफ लॉर्ड्स के एक क्रॉस-पार्टी ग्रुप द्वारा साइन किए गए इस पत्र में नाइजेल फारेज और जेरेमी कॉर्बिन सहित अफगानिस्तान में हो रहे insidious dystopia यानी "प्रपंची तबाह देश" को उठाया गया है।

ईसीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रिचर्ड गोल्ड को संबोधित बयान में कहा गया है, "हम इंग्लैंड की पुरुष टीम के खिलाड़ियों और अधिकारियों से दृढ़ता से आग्रह करते हैं कि वे तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के साथ हो रहे भयानक व्यवहार के खिलाफ आवाज उठाएं। हम ईसीबी से अफगानिस्तान के खिलाफ आगामी मैच का बहिष्कार करने पर विचार करने का भी आग्रह करते हैं... ताकि यह स्पष्ट संकेत दिया जा सके कि इस तरह के घृणित दुर्व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमें लैंगिक भेदभाव के खिलाफ खड़ा होना चाहिए और हम ईसीबी से आग्रह करते हैं कि वह अफगान महिलाओं और लड़कियों को एकजुटता और उम्मीद का एक दृढ़ संदेश दे कि उनकी पीड़ा को नजरअंदाज नहीं किया गया है।"

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हालांकि, अगर इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड अफगानिस्तान के खिलाफ मैच का बहिष्कार करता है तो यह ईसीबी के लिए नया मुद्दा नहीं होगा, क्योंकि 2003 क्रिकेट विश्व कप में, इंग्लैंड ने रॉबर्ट मुगाबे के शासन के विरोध में जिम्बाब्वे के खिलाफ एक मैच को फोरफीट कर दिया था। हालांकि, इस मामले में इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड का रुख नरम है और उन्होंने स्काई न्यूज के मुताबिक, स्पष्ट कर दिया है कि बोर्ड पर दबाव है, लेकिन हम फोरफीट नहीं दे सकते। इसके पीछे का कारण यह ही है कि अफगानिस्तान के साथ इंग्लैंड का मैच तीन लीग मैचों में दूसरा है। अगर टीम पहला मुकाबला हार जाती है तो बाकी के दो मैच अहम होंगे। ऐसे में अफगानिस्तान के खिलाफ हटने का विकल्प अच्छा नहीं होगा, क्योंकि उनके लिए सेमीफाइनल में पहुंचने का रास्ते कठिन हो जाएंगे। अगर इंग्लैंड हटेगा तो फिर अफगानिस्तान को पॉइंट दे दिए जाएंगे।

आपकी जानकारी के लिए ये भी बता दें कि अफगानिस्तान के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया की टीम द्विपक्षीय सीरीज नहीं खेलती है। तालिबान के इसी महिला विरोधी नियमों के कारण कई बार द्विपक्षीय सीरीज से ऑस्ट्रेलिया ने किनारा किया है। हालांकि, दोनों देश आईसीसी इवेंट में एकदूसरे के खिलाफ खेलते हैं। ऐसे में इंग्लैंड भी द्विपक्षीय सीरीज हाल फिलहाल में अफगानिस्तान से नहीं खेलेगी, लेकिन आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी में मैच खेल सकती है।

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