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BDS छात्रों को झटका, इस डेंटल कॉलेज में दाखिले पर रोक लगाने की सिफारिश

डीसीआई ने पटना डेंटल कॉलेज में नए सत्र में नामांकन पर रोक लगा दी है। इसके लिए डीसीआई ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है। साथ ही सत्र 2022-23 में नामांकन की मान्यता रद्द करने संबंधी प्रस्ताव भी दिया है।

Pankaj Vijay संजय पांडेय, पटनाTue, 6 Dec 2022 07:47 AM
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डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) ने पटना डेंटल कॉलेज में नए सत्र में नामांकन पर रोक लगा दी है। इसके लिए डीसीआई ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है। साथ ही सत्र 2022-23 में नामांकन की मान्यता रद्द करने संबंधी प्रस्ताव भी दिया है। डीसीआई की सिफारिश पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने पटना डेंटल कॉलेज के प्राचार्य से पक्ष रखने को कहा था। दो दिसंबर को पक्ष रखने गए प्राचार्य को राज्य के स्वास्थ्य विभाग से कमियों को दूर करने संबंधी सहमति पत्र नहीं मिला। मजबूरी में प्राचार्य ने अपने स्तर पर कमियों को दूर करने संबंधी सहमति पत्र पेश किया। कहा, जितनी जल्दी हो कॉलेज की कमियों को दूर किया जाएगा। केंद्र उनके पक्ष से कितना संतुष्ट है, यह जल्द पता चलेगा।

डीसीआई जांच टीम ने संसाधनों की कमियों पर जताई थी आपत्ति
डीसीआई की तीन सदस्यीय टीम अगस्त 2021 से सितंबर 2022 के बीच तीन बार कॉलेज का निरीक्षण करने पहुंची थी। प्रत्येक बार टीम के सदस्यों ने कई कमियों को लेकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई थी। इन कमियों को तत्काल दूर करने का निर्देश भी दिया गया था। बार-बार निर्देश देने के बावजूद कमियों को दूर नहीं किए जाने के कारण डीसीआई ने कॉलेज की मान्यता रद्द करने की सिफारिश केंद्र सरकार से कर दी है।

प्राचार्य डॉ. तनोज कुमार ने बताया कि कॉलेज में नए सत्र में नामांकन होगा या नहीं इसका निर्णय केंद्र सरकार लेगी। लेकिन जिन कमियों को लेकर सरकार से सहमति (कॉन्सेंट) की मांग की गई थी, वह उन्हें नहीं मिला। अपना पक्ष रखने के दौरान केंद्रीय टीम उन सुविधाओं की उपलब्धता की जानकारी दी जो सरकार द्वारा हाल ही में कॉलेज को उपलब्ध कराया गया है। बताया कि एक ओपीजी मशीन, एक कंप्यूटर और प्रिंटर समेत कुल 17 प्रकार के उपकरण कॉलेज को उपलब्ध कराए गए हैं।

किन-किन कमियों पर जताई थी डीसीआई ने आपत्ति
डीसीआई की टीम ने किसी भी डेंटल संस्थान के लिए अनिवार्य कई संसाधनों के नहीं होने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। इनमें
- मोबाइल डेंटल वैन नहीं होना
- छात्रावास का नहीं होना
- ओपीजी एक्स रे मशीन नहीं होना
- डिजिटल एक्सरे की कमी
- इंट्रा ओरल डेंटल यूनिट
- खून जांच के लिए ऑटो एनालाइजर
- सिरामिक लैब उपकरण
- कंप्यूटर और प्रिंटर
- न्यू डेंटल चेयर यूनिट के साथ
- एक्सरे तकनीशियन की कमी
- बीडीएस कोर्स में छात्र-छात्राओं के लिए बॉण्ड का प्रावधान नहीं होना
- आठ में से सिर्फ एक विभाग में पीजी की पढ़ाई होना
- कई अत्याधुनिक और आधुनिक उपकरणों का अभाव

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