CBSE Class 10 Exam 2021 : 10वीं अंग्रेजी के पेपर को लेकर महिला आयोग ने सीबीएसई को भेजा नोटिस
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने सोमवार को सीबीएसई को नोटिस जारी कर 10वीं बोर्ड परीक्षा में प्रकाशित एक महिला-विरोधी प्रश्न पर नाराजगी व्यक्त की। आयोग ने आपत्तिजनक अनुच्छेद का संज्ञान...
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने सोमवार को सीबीएसई को नोटिस जारी कर 10वीं बोर्ड परीक्षा में प्रकाशित एक महिला-विरोधी प्रश्न पर नाराजगी व्यक्त की। आयोग ने आपत्तिजनक अनुच्छेद का संज्ञान लिया जिसमें लेखक ने कहा है कि महिलाओं में स्वतंत्रता और समानता में वृद्धि के कारण बच्चों में अनुशासनहीनता बढ़ गई है। आयोग ने अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए अनुच्छेद को ना केवल महिला विरोधी ठहराया बल्कि बच्चों के अंदर नकारात्मक सोच एवं लैंगिक भेदभाव को बढ़ावा देने वाला कहा।
सीबीएसई द्वारा प्रश्न पत्र में प्रकाशित इस लेख में लेखक ने समाज में घटते अपराधों को किशोरों के भटकने और बड़ों के साथ गलत व्यवहार करने का प्रमुख कारण बताया। लेखक के अनुसार महिलाएं जब अपने पति को घर का मास्टर मानके उनके आधीन रहती थीं तब बच्चे आज्ञकारी बनते थे।
लेखक ने अनुच्छेद में सेक्सिस्ट एवं रूढ़िवाद पंक्तियों का प्रयोग करते हुए ये भी कहा कि "लोग ये देखने में विफल रहे कि जब से पत्नियों ने पति की आज्ञा की अवेलना करनी शुरू की है तब से बच्चों पर माता-पिता का अधिकार और डर खत्म होना शुरू हो गया है। पत्नी ने उस आज्ञाकारिता का उदाहरण नहीं दिया जिसे वो अपने बच्चों में देखना चाहती थी। माता-पिता के बीच असहमति के लिए अब और अधिक जगह थी जिसने बच्चे को एक से दूसरे के पास जाने में सक्षम बनाया और अंततः बच्चे ने दोनों को अनदेखा करना शुरू कर दिया। पुरुषों को अपने से नीचे लाने के चक्कर में पत्नी और मां ने खुद को ही, वास्तव में, अनुशासन के साधनों से वंचित कर दिया।
दिल्ली महिला आयोग का आक्रोश इस बात से और बढ गया कि जब सीबीएसई ने छात्रों से लेखक के बारे में एक सवाल भी पूछा कि क्या वह / अभिमानी व्यक्ति / असंतुष्ट पति है या अपने परिवार के कल्याण हेतु ये सब कह रहा है। आयोग ने कहा कि यह स्पष्ट है कि जिसने भी इस अनुच्छेद को लिखा वो व्यक्ति महिला विरोधी और लैंगिक भेदभाव में विश्ववास करने वाला है क्योंकि महिलाओं से जुड़े मुद्दों तथा नारीवाद के बारे में उनकी समझ पूरी तरह से विकृत है।
आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीएसई से कहा है कि वह इस तरह के पितृसत्तात्मक लेख को परीक्षा के पेपर में प्रकाशित कराने के लिए जिम्मेदार लोगों के साथ-साथ लेखक एवं उन सब पर की गई कार्रवाई से संबंधित सब जानकारी आयोग को जल्द से जल्द प्रदान करे। आयोग ने सीबीएसई से इस बात का कारण बताने को भी कहा कि लैंगिक भेदभाव का प्रचार करने वाले इस गद्यांश को ही क्यों परीक्षा के लिए चुना गया।विशेषज्ञों द्वारा इसकी जांच की गई थी या नहीं। आयोग द्वारा सीबीएसई को इस संबंध में विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट उपलब्ध कराने के लिए 72 घंटे का समय दिया गया है।
आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने विवादास्पद अनुच्छेद पर अपना गुस्सा व्यक्त करते हुए कहा कि यह अस्वीकार्य है कि सीबीएसई ने अपने परीक्षा पत्र में महिलाओं को अपनमानित करने वाले ऐसे अनुच्छेद का प्रयोग किया जिसने सभी महिलाओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाई है ।ऐसे लेख ना केवल महिलाओं की स्वतंत्र पहचान पर हमला करते हैं परंतु साथ ही साथ लिंग रूढ़िवाद का प्रचार भी करते हैं। छात्र जो इस देश का भविष्य है उनकी प्रगतिशील सोच पर ऐसे लेखों से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है । उन्होंने कहा कि इसके लिए जिम्मेदार लोगों पर 72 घंटे में कार्रवाई होनेी चाहिए।
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