REET : रीट सिलेबस से बाहर क्यों राजस्थानी भाषा, याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा राजस्थान सरकार से जवाब
- याचिका में कहा गया है कि 4.62 करोड़ से अधिक लोग राजस्थानी को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं, फिर भी राजस्थान में शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित होने जा रही रीट परीक्षा के सिलेबस से इस भाषा को बाहर रखा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को राजस्थान शिक्षक भर्ती परीक्षा के सिलेबस में राजस्थानी भाषा को शामिल करने को लेकर दाखिल एक याचिका पर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया। याचिका में दलील दी गई कि राजस्थान में 4.62 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली भाषा को परीक्षा से बाहर करना राज्य की सांस्कृतिक विरासत और मातृभाषा में शिक्षा के अधिकार को कमजोर करता है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष सिंघवी की दलीलों को सुना और राज्य सरकार, प्रमुख सचिव और समन्वयक, राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) सहित अन्य से जवाब मांगा। सिंघवी याचिकाकर्ताओं, अनुभवी पत्रकार और स्थानीय भाषा पत्रिका मानक के संपादक पद्म मेहता और भाषा के प्रसिद्ध विद्वान और वकील कल्याण सिंह शेखावत की ओर से पेश हुए।
याचिका में कहा गया है कि 4.62 करोड़ से अधिक लोग राजस्थानी को अपनी मातृभाषा के रूप में बोलते हैं, फिर भी राजस्थान में कक्षा 1 से 5 और 6-8 के लिए शिक्षकों की भर्ती के लिए आयोजित होने जा रही रीट परीक्षा के सिलेबस से इस भाषा को बाहर रखा गया। याचिका में कहा गया है कि राज्य में अन्य कम बोली जाने वाली भाषाएं, जैसे गुजराती, पंजाबी, सिंधी और उर्दू, परीक्षा में शामिल की गईं।
याचिका में कहा गया है कि राजस्थान भाषा को बाहर करने से अनुच्छेद 350 ए जैसे संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन होता है। ये प्रावधान बच्चों को उनकी मातृभाषा में पढ़ाने के महत्व, शिक्षा का अधिकार अधिनियम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में दी गई बातों पर जोर देते हैं।
राजस्थानी के सांस्कृतिक और भाषाई महत्व पर प्रकाश डालते हुए याचिका में कहा गया है कि राज्य विधानसभा ने दो दशक पहले राजस्थानी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया था, जिसमें आधिकारिक तौर पर इसे एक अलग भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी। हालांकि प्रस्ताव को लागू नहीं किया गया। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता किसी अन्य भाषा को बाहर करने की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि वे राजस्थानी को अन्य भाषा के समान रूप से व्यवहार करने की मांग कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया कि राज्य की भाषाई विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए रीट पाठ्यक्रम में राजस्थान भाषा को शामिल करने की वकालत कर रहे हैं।
याचिका में यह भी कहा गया है कि राजस्थानी में अगर अच्छे कुशल शिक्षक भर्ती होंगे तो बच्चों को उनकी मातृभाषा में अच्छी शिक्षा मिलेगी। संविधान में यह एक मौलिक सिद्धांत है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने 2021 में याचिकाकर्ताओं की याचिका को खारिज कर दिया था और उसके बाद शीर्ष अदालत में अपील याचिका दखिल की गयी है।
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