बेतिया राज का बेशकीमती खजाना कहां रखा है? सोना-चांदी और हीरे जवाहरात की खोज शुरू
साल 1939 में बेतिया राज की महारानी के गहनों की कीमत 7.30 लाख रुपये लगाई गई थी। उस समय सोना 40 रुपये, तो चांदी का भाव 8 रुपये प्रति तौला हुआ करता था। इस खजाने का मौजूदा मूल्य लगभग दो हजार गुना होगा।

बिहार में बेतिया राज की भूमि की तलाश और उसके अधिग्रहण की प्रक्रिया जारी है। इसके साथ ही बेतिया राज के बेशकीमती खजाने की खोज भी शुरू हो गई है। बहुमूल्य आभूषण एवं हीरे-जवाहरात की खोज एवं आकलन का काम किया जा रहा है। बेतिया राज के अभिलेखागार में मौजूद अभिलेख मिलने के बाद राजस्व बोर्ड ने भारतीय स्टेट बैंक प्रयागराज के रीजनल मैनेजर और पटना एसबीआई के डिप्टी जेनरल मैनेजर को पत्र भेजा है।
प्रबंधक अनिल कुमार सिन्हा ने बताया कि बेतिया राज के अभिलेखागार से मिले अभिलेख में इस बात का उल्लेख है कि बेतिया की महारानी जानकी कुंअर के पास हीरे-मोती से जड़े सोने का आभूषण थे। बेतिया राज के तत्तकालीन प्रबंधक ने उस समय के इंपीरियल बैंक की पटना और इलाहाबाद की शाखा में उन्हें सुरक्षित रखवा दिया था।
अभिलेख के अनुसार 1939 में मुंबई के एक जौहरी ने इलाहाबाद एवं पटना के इंपीरियल बैंक (अब भारतीय स्टेट बैंक) की शाखा में रखे आभूषणों की अनुमानित कीमत करीब 7 लाख 30 हजार 85 रुपये लगाई गई थी। इसमें इलाहाबाद शाखा में रखे आभूषणों की कीमत 5 लाख 21 हजार 102 रुपये एवं पटना में रखे आभूषणों की कीमत 2 लाख 8 हजार 983 रुपये थी। अब इनकी मौजूदा कीमत का आकलन किया जा रहा है, जो करोड़ों-अरब रुपये में होगी।
बताया जा रहा है कि उस समय सोने के आभूषणों की कीमत 40 रुपये प्रति तोला एवं चांदी की कीमत 8 रुपये प्रति तोला थी। जौहरी ने हीरे से जड़ित घड़ी की कीमत उस समय 51 हजार रुपये लगाई थी। यह घड़ी बैंक में रखी है।
मालूम हो कि बेतिया राज की जमीन के अधिग्रहण के लिए सरकार ने कानून बनाया है। उसके बाद से विभिन्न जिलों व दूसरे राज्य मे फैली बेतिया राज की जमीन की पैमाइश का काम युद्धस्तर पर हो रहा है। बेतिया राज की भूमि को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराने का प्रयास भी हो रहा है।