पटना के कुत्तों से बच के; 1 साल में 46 हजार बने शिकार, नगर निगम चलाएगा विशेष अभियान
एक अध्ययन के अनुसार शहर में हर दिन औसतन 180 लोग कुत्तों के काटने से पीड़ित होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। सबसे अधिक पीएमसीएच में रोजाना 50 लोग एंटीरैबिज का इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं।
बिहार की राजधानी पटना में आवारा कुत्तों का आतंक है। इधर एक साल की अवधि में करीब 46 हजार लोगों को कुत्तों ने काटा है। शहर में आवारा कुत्तों की धर-पकड़ का अभियान फिर शुरू होगा। कुत्तों को पकड़ने और उनकी नसबंदी कराई जाएगी। इसके लिए एजेंसी की चयन की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। पिछले एक साल से शहर में कुत्तों की धर-पकड़ का अभियान ठप पड़ा था, क्योंकि पुरानी एजेंसी के करारनामे की समय सीमा समाप्त हो गई थी।
पटना के अपर नगर आयुक्त राजन सिन्हा ने बताया कि कुत्तों को पकड़ने के लिए पहले एक एजेंसी को जिम्मेदारी दी गई थी। उसका एकरारनामा खत्म हो गया था। लोकसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लागू होने के कारण एजेंसी चयन के लिए टेंडर नहीं किया गया। इसीलिए अभियान नहीं चलाया जा सका। एजेंसी के पास कुत्तों को पकड़ने के लिए वाहन एवं अन्य संसाधन उपलब्ध है। जल्द ही अभियान शुरू होगा। उन्होंने बताया कि आवारा किस्म के कुत्तों को एंटी रैबिज के टीके भी लगाए जाएंगे।
हर दिन 180 लोग हो रहे शिकार
एक अध्ययन के अनुसार शहर में हर दिन औसतन 180 लोग कुत्तों के काटने से पीड़ित होकर अस्पताल पहुंच रहे हैं। इसमें सबसे अधिक पीएमसीएच में रोजाना 50 लोग एंटीरैबिज का इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैं। हालांकि उनके इलाज की व्यवस्था को दुरूस्त रखने का दावा किया जा रहा है।
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इसी प्रकार एनएमसीएच में 40 न्यू गार्डिनर अस्पताल में 30, गुरु गोविंद सिंह अस्पताल पटना सिटी में 35 तथा गर्दनीबाग अस्पताल में 25 मरीज उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। पिछले एक साल में इन अस्पतालों में एक लाख 93 हजार एंटी रैबिज इंजेक्शन की खपत हुई है। इनमें कुत्ता काटने के मरीजों की संख्या काफी अधिक है। इसे देखते हुए पटना नगर निगम फिर से अभियान शुरू करने जा रहा है। इधर मुजफ्फरपुर में भी स्थिति खराब है। सदर अस्पताल में कुत्ता काटे मरीजों की संख्या अधिक है।