बारिश में मेंढक निकलेंगे तो टर्र-टर्र करेंगे; पप्पू यादव को उनके गढ़ पूर्णिया में प्रशांत किशोर का चैलेंज
- पूर्णिया के निर्दलीय सांसद सह कांग्रेस नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को प्रशांत किशोर ने उन्हीं के गढ़ में बड़ा चैलेंज दिया है। नाम लिए बगैर पीके ने कहा कि जब बरसात होगी तो मेंढक निकलेंगे और टर्र-टर्ट भी करेंगे।

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जन सुराज अभियान मोड में आ गया है। पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर बिहार के विभिन्न जिलों का दौरा कर प्रेस के माध्यम से अपनी बात जनता तक पहुंचा रह हैं। पूर्णिया के निर्दलीय सांसद सह कांग्रेस नेता राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को प्रशांत किशोर ने उन्हीं के गढ़ में बड़ा चैलेंज दिया है। नाम लिए बगैर पीके ने कहा कि जब बरसात होगी तो मेंढक निकलेंगे और टर्र-टर्ट भी करेंगे।
चुनावी अभियान के तहत प्रशांत किशोर शनिवार को पूर्णिया पहुंचे। प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों ने पूछा कि सीमांचल में पप्पू यादव के प्रभाव को कैसे हैंडल करेंगे। इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि पप्पू यादव कोई फैक्टर नहीं हैं। पूर्व सांसद उदय सिंह की ओर इशारा करते हुए पीके ने कहा कि ये इलेक्टोरल पॉलिटिक्स में सक्रिय नहीं हैं इसीलिए इस तरह के मेंढक दिखते रहते हैं। बरसात में जब मेंढक निकलेंगे तो टर्र-टर्र करेंगे।
इससे पहले पीके ने कहा कि सीमांचल के जिलों में जन सुराज आकार ले रहा है। विकल्पहीनता के कारण लालू के डर से बहुत सारे लोग बीजेपी और नीतीश कुमार को वोट करते हैं तो बीजेपी के डर से कुछ लोग लालू यादव को वोट दे देते हैं। जन सुराज एक बेहतर विकल्प देने जा रही है। बिहार में पढ़ाई, रोजी-रोजगार के मुद्दे पर बिहार के लिए समर्पित है। समय चाहे जितना लगे लेकिन जन सुराज का प्रयास विचार के स्तर पर जारी रहेगा। हमारे सामने बड़ी चुनौती है लेकिन उनका सामना करने से पीछे नहीं हटेंगे।
उन्होंने कहा कि बिहार के बेरोजगार लड़के गुजरात में काम करने जाते हैं। वहां की फैक्ट्रियों में बिहार के कामगारों को गुजरातियों के बराबर मजदूरी नहीं मिलती। इस पर बीजेपी का ध्यान नहीं है। बिहार के 60 प्रतिशत से अधिक लोग बदलाव चाहते हैं। उन्हीं मतदाताओं के साथ जन सुराज काम कर रहा है।
वक्फ संशोधन बिल के सवाल पर उन्होंने कहा कि इससे प्रभावित होने वाली आबादी को पहले विस्वास में लिया जाना चाहिए। इसके लिए नीतीश कुमार भी समान रूप से जिम्मेदार हैं क्योंकि उन्हीं से समर्थन से यह कानून बन सकता है। यह कानून बना तो सबसे ज्यादा खामियाजा नीतीश कुमार को ही भुगतना पड़ेगा।