पानी कारोबारियों का नया पैंतरा उजागर, सरकार को लगा रहे चूना; भूमि जल के स्टॉक में भी सेंध
- बिहार में बिना निबंधन कराए ही धड़ल्ले से पानी का धंधा चल रहा है। बेरोकटोक पानी निकाल कर जार या टंकी में भरकर गाड़ियों से आपूर्ति की जाती है इससे इनको दोहरा फायदा हो रहा है।

बिहार में पानी के कारोबारी एक तरफ सरकार को चूना लगा रहे हैं तो भूमि जल का दोहन अपने फायदे के लिए कर रहे हैं। शहर से सटे ग्रामीण इलाके में पानी के प्लांट बड़ी संख्या में स्थापित हो चुके हैं जिनमें दिन रात उग आए हैं। इनसे रोजाना लाखों लीटर पानी निकाल कर शहर में महंगे दाम पर बेचा जा रहा है। यह नगर निगम को चकमा देने का नया फॉर्मूला है। बिना निबंधन कराए ही धड़ल्ले से धंधा चल रहा है। बेरोकटोक पानी निकाल कर जार या टंकी में भरकर गाड़ियों से आपूर्ति की जाती है इससे इनको दोहरा फायदा हो रहा है। एक तो कारोबार का दायरा शहर के गांव तक फैल जाता है। साथ ही कई तरह के नियम-प्रावधान से बच जाते हैं।
मुजफ्फरपुर निगम की नाक के नीचे ही निगम क्षेत्र में पानी की सप्लाई हो रही है पर निगम को फूटी कौड़ी भी नहीं मिल रही है। इसके अलावा शहर में भी दो दर्जन से अधिक कंपनियां भी पानी के अवैध धंधे में सक्रिय हैं। निगम के रिकॉर्ड में पानी के करीब 40 कारोबारी रजिस्टर्ड हैं, पर सच्चाई यह है कि 75 प्रतिशत से अधिक निबंधित कारोबारी भी निगम को टैक्स देने में देरी या आनाकानी करते हैं।
लगन में मनमाने रेट पर की जा रही होम डिलीवरी
लगन के मौसम में होटल, विवाह भवन से लेकर विवाह से जुड़े घरों तक पानी की मांग बढ़ गई है। इसका फायदा उठा मनमाने रेट पर पानी की होम डिलीवरी की जा रही है। ऑफिस, दुकान या अन्य नियमित सप्लाई वाली जगहों पर प्रति जार 25 से 30 रुपए लिया जाता है, जबकि अन्य जगहों पर एक जार की कीमत 35 रुपए तक वसूली जाती है। इसके अलावा जलापूर्ति व्यवस्था में व्यवधान या अन्य तकनीकी समस्या होने पर संबंधित होटलों की मांग पर 17 से 20 रुपए प्रति बाल्टी पानी की आपूर्ति की जाती है। अधिक सप्लाई वाली जगहों पर टंकियों में पानी भर कर भेजा जाता है।
पानी की चोरी पर विशेषज्ञों ने दी चेतावनी
शहर के भूजल स्तर में लगातार हो रही गिरावट के बीच पानी की चोरी को विशेषज्ञों ने खतरे की घंटी बताया है। भूजल पर शोध कर रहे बीआरएबीयू के कॉलेज निरीक्षक (विज्ञान) प्रो. अरविंद कुमार के मुताबिक व्यावसायिक फायदे के लिए शहर में भूजल का दोहन बड़ी समस्या है। जरूरत से अधिक पानी निकाला जा रहा है। जार-बोतलबंद पानी के कारोबारी के अलावा विशेषकर वाहनों की सर्विर्सिंग तक में अधिक पानी बर्बाद हो रहा है। पानी की खपत के हिसाब से भूजल रिचार्ज नहीं हो पा रहा है।