Shreemad Bhagwat Katha A Spiritual Journey Led by Acharya Harshvardhan Maharaj श्रीमद् भागवत कथा सुनने से जन्मों-जन्म के पापों का होता है नाश, Motihari Hindi News - Hindustan
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श्रीमद् भागवत कथा सुनने से जन्मों-जन्म के पापों का होता है नाश

सुगौली। निज प्रतिनिधि भरगांवा पंचायत के धर्मपुर महादेव स्थान मठ के प्रांगण में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य कथा वाचक

Newswrap हिन्दुस्तान, मोतिहारीFri, 16 May 2025 03:10 AM
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श्रीमद् भागवत कथा सुनने से जन्मों-जन्म के पापों का होता है नाश

सुगौली। निज प्रतिनिधि भरगांवा पंचायत के धर्मपुर महादेव स्थान मठ के प्रांगण में आयोजित श्रीमद भागवत कथा के तीसरे दिन आचार्य कथा वाचक लाडले श्री हर्षवर्धन जी महाराज के द्वारा कथा रूपी सागर में स्नान कराया गया। महिला श्रद्धालुओं के पास पुरुष और बच्चों ने भी कथा का भरपूर आनंद उठाया।समय समय पर श्रद्धालुओं द्वारा भगवान कि जोरदार जय-जय कार लगा जा रहा था। कथावाचक श्री हर्षवर्धन महाराज ने श्रद्धालुओं के भक्ति रस में डुबोते हुए बताया कि यह श्रीमद भागवत का ज्ञान व यज्ञ से मानव जीवन सफल होता है । सब तरह के पाप का नाश होते है।जैसे आग सब कुछ को जला कर राख कर देती है ।वैसे

ही भागवत कथा के श्रवण मात्र से समस्त पाप को नाश कर देती है ।।।जन्म-जन्मांतर भवेत पुण्य भगवते कथा लभेत,जन्म-जन्मांतर के पुण्य का उदय होने पर भागवत कथा सुनने को मिलती है ।जिससे अर्थ,धर्म,काम,मोक्ष की प्राप्ति होती है।भागवत कथा के श्रवण से बढ़कर इस संसार में कोई ज्ञान,मोक्ष का सरल साधन नहीं है।सभी प्रकार की मनोकामना सद्धि होती है।इस भक्ति की गंगा में श्रद्धालुओं ने जी भर कर सुकून पाया।कहते हैं । कि अनेक पुराणों और महाभारत की रचना के उपरान्त भी भगवान व्यास जी को परितोष नहीं हुआ।परम आह्लाद तो उनको श्रीमद भागवत की रचना के पश्चात ही हुआ । भगवान श्रीकृष्ण इसके कुशल कर्णधार हैं ।जो इस असार संसार सागर से सध सुख-शांति पूर्वक पार करने के लिए सुदृढ नौका के समान हैं।यह श्रीमद भागवत ग्रन्थ प्रेमा श्रुसक्ति नेत्र,गदगद कंठ,द्रवित चत्ति एवं भाव समाधि निमग्न परम रसज्ञ श्रीशुकदेव जी के मुख से उद्गित हुआ।सम्पूर्ण सद्धिांतों का नष्किर्ष यह ग्रन्थ जन्म व मृत्यु के भय का नाश कर देता है ।भक्ति के प्रवाह को बढ़ाता है । भगवान श्रीकृष्ण की प्रसन्नता का प्रधान साधन है।मन की शुद्धि के लिए श्रीमद भगवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। यह श्रीमद भागवत कथा देवताओं को भी दुर्लभ है तभी परीक्षित जी की सभा में शुकदेव जी ने कथा मृत के बदले में अमृत कलश नहीं लिया।ब्रह्मा जी ने सत्यलोक में तराजू बांध कर जब सब साधनों, व्रत, यज्ञ, ध्यान, तप, मूर्तिपूजा आदि को तोला तो सभी साधन तोल में हल्के पड़ गए और अपने महत्व के कारण भागवत ही सबसे भारी रहा। अपनी लीला समाप्त करके जब श्री भगवान निज धाम को जाने के लिए उद्यत हुए तो सभी भक्त गणों ने प्रार्थना कि हम आपके बिना कैसे रहेंगे तब श्री भगवान ने कहा कि वे श्रीमद भगवत में समाए हैं।यह ग्रन्थ शाश्वत उन्हीं का स्वरुप है।पठन-पाठन व श्रवण से तत्काल मोक्ष देने वाले इस महाग्रंथ को सप्ताह-विधि से श्रवण करने पर यह नश्चिय ही भक्ति प्रदान करता है।समिति अध्यक्ष अखिलेश झा,कृष्णा कुमार यादव,ओमप्रकाश मश्रि,सुरेश झा,ओमप्रकाश साह, अतिबल साह,प्रमोद साह,दिवाकर ठाकुर,नवनीत कुमार,अनूठा शर्मा,संजय ठाकुर,ललन साह,पप्पू मश्रिा,भोला साह, अशोक ठाकुर,राजू ठाकुर मौजूद थे।

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