Hindi Newsबिहार न्यूज़Laxmipur the first liquor free village of East Champaran after four deaths in hooch tragedy

पूर्वी चंपारण का पहला शराब मुक्त गांव बना लक्ष्मीपुर, जहरीली शराब से हुई थी चार लोगों की मौत

बिहार में वैसे तो शराबबंदी है, लेकिन बीते कुछ सालों में जहरीली शराब से हुई मौतों ने इस दावे पर सवाल उठाने को मजबूर किया है। पूर्वी चंपारण जिले का लक्ष्मीपुर गांव भी पिछले साल जहरीली शराबकांड की वजह से चर्चा में आया था, लेकिन अब इसकी तस्वीर बदल गई है।

Jayesh Jetawat संदीप भास्कर, एचटी, बेतियाMon, 30 Dec 2024 11:09 PM
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शराबबंदी वाले बिहार के पूर्वी चंपारण के लक्ष्मीपुर गांव ने जिले के पहले शराब मुक्त गांव बनने का गौरव हासिल किया है। पूर्वी चंपारण के एसपी स्वर्ण प्रभात ने रविवार को ग्रामीणों से मुलाकात की और उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि शराबबंदी लागू करने में महिलाओं, बुजुर्गों और जनप्रतिनिधियों सहित ग्रामीणों के प्रयास अनुकरणीय हैं। बता दें कि लक्ष्मीपुर गांव में पिछले साल चार लोगों की जहरीली शराब के सेवन से मौत हो गई थी। इस शराबकांड से गांव की खूब बदनामी हुई, जिससे उबरने के लिए ग्रामीणों ने शराबियों और तस्करों एवं धंधेबाजों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।

एसपी ने लक्ष्मीपुर गांव का जिक्र करते हुए कहा, “ग्रामीणों की इस पहल पर, हम महिलाओं, बुजुर्गों और जनप्रतिनिधियों को प्रोत्साहित करने के लिए गांव गए। उन्हें शपथ दिलाई गई और सम्मानित किया गया।” यह गांव डेढ़ साल पहले गलत कारणों से चर्चा में रहा था। पूर्वी चंपारण जिले के मुख्यालय मोतिहारी के बाहरी इलाके में स्थित इस गांव के लोगों को साल 2023 की शुरुआत में चार लोगों की जहरीली शराब से हुई मौतों ने हिलाकर रख दिया था। इसके बाद ग्रामीणों ने एकजुट होकर लक्ष्मीपुर गांव को शराब मुक्त बनाने की ठानी।

वार्ड पार्षद भरत कुमार यादव ने बताया कि इस गांव का सख्त नियम है, या तो सुधर जाओ या फिर गांव छोड़कर चले जाओ। जहरीली शराबकांड के तुरंत बाद ग्रामीणों ने पंचायत की। इसमें सभी लोगों ने अपने बच्चों को शराब को हाथ न लगाने की शपथ दिलाई। इसके बाद शराबबंदी के नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों को बेनकाब करना शुरू कर दिया गया।

वार्ड पार्षद ने दावा किया है कि जहरीली शराब से हुई चार मौतों के बाद लोगों के स्तर पर दारू के खिलाफ जो अभियान चलाया गया, उसके बाद यहां उत्पाद विभाग से संबंधित कोई मामला सामने नहीं आया है। हालांकि, गांव की कहानी कुछ और भी कहती है।

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स्थानीय लोग मानते हैं कि शराबबंदी के बावजूद यहां चोरी-छिपे शराब बेची और पी जाती थी। एक ग्रामीण ने दबी-जुबान कहा कि यहां शराब की बिक्री और सेवन एक खुला रहस्य था। इससे भी बुरी बात यह है कि पिछले साल की जहरीली शराब त्रासदी का दाग यहां कायम है, जबकि सरकार ने घटना के पीड़ितों के परिजनों को चार लाख रुपये अनुग्रह राशि के रूप में दिए थे।

जहरीली शराबकांड के पीड़ित अशोक पासवान की पत्नी धनवंती देवी, एक अन्य पीड़ित ध्रुव पासवान की पत्नी बिंदु देवी आज भी बदहाली का जीवन जी रही हैं। वे दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए भी संघर्ष कर रही हैं। धनवंती देवी कहती हैं कि सरकार से जो आर्थिक सहायता मिली वो तो बेटी की शादी में ही खर्च हो गई। अगर उनके पति जिंदा होते तो अभी स्थिति कुछ और होती।

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