बिहार उपचुनाव में किसका बिगड़ेगा खेल? लालू और नीतीश की साख दांव पर, पीके की पहली परीक्षा
बिहार की बेलागंज, इमामगंज, तरारी और रामगढ़ विधानसभा सीट पर बुधवार को उपचुनाव के लिए मतदान होगा। इसमें महागठबंधन और एनडीए के बड़े नेताओं की साख दांव पर लगी है। इसी के साथ पहली बार चुनाव लड़ रही प्रशांत किशोर के लिए भी यह अग्निपरीक्षा है।
बिहार की चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए बुधवार को मतदान होने वाला है। राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इस उपचुनाव को सेमीफाइनल के तौर माना जा रहा है। वैसे तो, बेलागंज, इमामगंज, तरारी और रामगढ़, इन चारों सीटों पर महागठबंधन एवं एनडीए के बीच मुख्य मुकाबला है। लेकिन, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने भी चारों पर कैंडिडेट उतारकर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
उपचुनाव में तीन सीटों पर लड़ रही राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के लिए पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव खुद प्रचार करने उतरे। वहीं एनडीए से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रचार की कमान संभाले रखी। इसी तरह पीके ने भी कई रैलियां करके जन सुराज के उम्मीदवारों के समर्थन में जमकर प्रचार किया। अब जनता अपना जनमत बुधवार को ईवीएम में कैद करेगी। इसके बाद 23 नवंबर को मतगणना के बाद पता चल जाएगा कि किसका गेम बिगड़ा है और किसका गेम बना है।
बेलागंज में सुरेंद्र यादव की विरासत दांव पर, मनोरमा से जेडीयू को उम्मीद, पीके का मुस्लिम दांव बिगाड़ सकता है खेल
बिहार उपचुनाव में गया जिले की बेलागंज को हॉट सीट माना जा रहा है। इसे आरजेडी का गढ़ माना जाता है। जहानाबाद से सांसद सुरेंद्र यादव यहां से 36 साल विधायक रहे। उपचुनाव में पार्टी ने उनके बेटे विश्वनाथ सिंह को मैदान में उतारा है। यादव और मुस्लिम बाहुल्य इस सीट से नीतीश की जेडीयू ने पूर्व एमएलसी मनोरमा देवी को टिकट दिया है। वह भी यादव समाज से आती हैं।
वहीं, पीके की जन सुराज पार्टी ने मुस्लिम कैंडिडेट मोहम्मद अमजद को मैदान में उतारकर मुकाबले को रोचक बना दिया है। जानकारों का मानना है कि बेलागंज में इस बार मुस्लिम और यादव वोटों का बंटवारा हो सकता है, ऐसे में अन्य जातियों के वोटर निर्णायक भूमिका में आ सकते हैं। आरजेडी के सामने यह सीट बचाने की चुनौती कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि खुद पार्टी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने यहां रैली कर विश्वनाथ सिंह के समर्थन में प्रचार किया।
इमामगंज में आरजेडी की पहली जीत पर नजर, ससुर की विरासत बचाने उतरीं दीपा
गया जिले की ही एक और सीट इमामगंज पर भी बुधवार को उपचुनाव है। अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित इस सीट पर केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी की बहू और बिहार सरकार में मंत्री संतोष सुमन की पत्नी दीपा मांझी अपने परिवार को विरासत को आगे बढ़ाने के लिए मैदान में हैं। एनडीए उम्मीदवार हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (हम) की दीपा के खिलाफ राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने इसी समुदाय (महादलित) से रौशन कुमार मांझी को उतारा है।
खास बात यह है कि आरजेडी यहां पर कभी भी जीत नहीं पाई। वहीं, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने चर्चित नेता जीतेंद्र पासवान को कैंडिडेट बनाकर मुकाबले को रोचक बना दिया। मांझी के वोटों में बंटवारे का फायदा पासवान उम्मीदवार को मिल सकता है।
रामगढ़ में दो राजपूतों की जंग में पीके का कुशवाहा दांव, बसपा भी टक्कर में
कैमूर जिले की रामगढ़ विधानसभा सीट पर उपचुनाव में दो राजपूत कैंडिडेट की जंग में जन सुराज पार्टी ने कुशवाहा कैंडिडेट उतारकर मुकाबले को दिलचस्प बनाने की कोशिश की है। इस सीट को भी आरजेडी का गढ़ माना जाता है। आरजेडी प्रदेश जगदानंद सिंह चार बार यहां के विधायक रहे। 2020 में उनके बड़े बेटे सुधाकर सिंह ने रामगढ़ से चुनाव जीता। इस बार पार्टी ने जगदानंद के छोटे बेटे अजीत सिंह पर दांव लगाया है। वह राजपूत समाज से हैं।
उनके खिलाफ बीजेपी ने पूर्व विधायक सुशील कुमार सिंह को मैदान में उतारा, वो भी राजपूत जाति से ही हैं। इस सीट पर बसपा भी महागठबंधन और एनडीए को टक्कर दे रही है। बसपा से सतीष यादव मैदान में हैं। चुनावी जानकारों का मानना है कि रामगढ़ में जन सुराज से ज्यादा बसपा, महागठबंधन और एनडीए का खेल बिगाड़ सकती है।
माले से तरारी सीट छीनने की जुगत में बीजेपी
भोजपुर जिले की तरारी विधानसभा सीट पर महागठबंधन से सीपीआई माले ने राजू यादव को मैदान में उतारा है। वहीं, बीजेपी से बाहुबली और पूर्व विधायक सुनील पांडेय के बेटे विशाल प्रशांत मैदान में हैं। सुनील पांडेय हाल ही में पशुपति पारस की रालोजपा छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। 2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा था और दूसरे नंबर पर रहे थे। वैसे तो तरारी सीट पर माले और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। मगर पीके की जन सुराज पार्टी की उम्मीदवार किरण सिंह भी मजबूती से मैदान में डटी हुई हैं।
लालू और नीतीश की साख दांव पर, उपचुनाव से तय होगी 2025 की राह
चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव में एनडीए से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और महागठबंधन से पूर्व सीएम लालू प्रसाद यादव की साख दांव पर लगी है। माना जा रहा है कि उपचुनाव के नतीजों से ही 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव की इबारत लिख दी जाएगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू चार में से दो सीटों पर सीधे आरजेडी को टक्कर दे रही है।
सीएम नीतीश ने जेडीयू के अलावा सहयोगी पार्टी बीजेपी कैंडिडेट के लिए भी प्रचार किया। वहीं, दूसरी ओर तेजस्वी यादव ने तो महागठबंधन के लिए प्रचार किया ही, अपने गढ़ बचाने के लिए आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव भी खुद मैदान में उतरे और बेलागंज में रैली कर सबको चौंका दिया।
प्रशांत किशोर की पहली परीक्षा
बिहार की जनता को विधानसभा चुनाव 2025 में जन सुराज पार्टी के रूप में नया विकल्प देने वाले प्रशांत किशोर की उपचुनाव में पहली परीक्षा होने जा रही है। पीके ने बीते 2 अक्टूबर को ही जन सुराज पार्टी का गठन किया था और उसी दिन उपचुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। पीके का दावा है कि वे बिहार के लोगों को एनडीए और महागठबंधन से हटकर नया विकल्प देने जा रहे हैं। हालांकि, वे अपनी पहली परीक्षा में कितने खरे उतरते हैं यह तो 23 नवंबर को रिजल्ट के दिन ही पता चलेगा।