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बिहार उपचुनाव: तरारी में हैट्रिक लगाने की फिराक में माले, बीजेपी की साख दांव पर

बिहार की तरारी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में सीपीआई माले जहां हैट्रिक लगाने की फिराक में है, वहीं बीजेपी के सामने अपनी साख बचाने की चुनौती है। बीजेपी ने बाहुबली सुनील पांडेय के बेटे विशाल प्रशांत को मैदान में उतारा है।

वार्ता पटनाSat, 9 Nov 2024 12:55 PM
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बिहार विधानसभा उपचुनाव में भोजपुर जिले की तरारी सीट पर कम्युनिस्ट पार्टी भाकपा-माले हैट्रिक लगाने की फिराक में है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट से पूर्व बाहुबली विधायक नरेंद्र कुमार पाण्डेय उर्फ सुनील पांडे के पुत्र विशाल प्रशांत अपनी सियासी पारी का आगाज कर रहे हैं। तरारी विधानसभा से दो बार के विधायक रहे सुदामा प्रसाद लोकसभा चुनाव 2024 में आरा से जीत हासिल कर सांसद बन गए हैं। उनके सांसद बनने के बाद रिक्त हुई तरारी विधानसभा सीट में 13 नवंबर को उपचुनाव के लिए मतदान होगा।

महागठबंधन के घटक दल भाकपा-माले ने तरारी से राजू यादव को प्रत्याशी बनाया है। यहां से लगातार दो बार 2015 और 2020 के चुनाव में भाकपा माले के सुदामा प्रसाद ने जीत का परचम लहराया। अब माले प्रत्याशी राजू यादव के कंधे पर तरारी सीट को जीतने की चुनौती है। कम्युनिस्ट पार्टी यहां हैट्रिक लगाने की फिराक में है। वहीं, भाजपा प्रत्याशी विशाल प्रशांत यहां अपने पिता सुनील पांडेय की राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने के साथ ही जीत के इरादे से जोर-आजमाइश में लगे हैं। सुरेंद्र पांडेय ने तरारी सीट पर 2010 के चुनाव में जीत हासिल की थी।

पहले तरारी विधानसभा क्षेत्र पीरो के नाम से जाना जाता था। 2008 में परिसीमन के बाद पीरो का अस्तित्व खत्म हो गया और तरारी विधानसभा नाम से नया क्षेत्र वजूद में आया। पीरो विधानसभा क्षेत्र से सुनील पांडेय ने फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में भी जीत का परचम लहराया था।

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तरारी सह पीरो विधानसभा क्षेत्र 1952 में अस्तित्व में आया। पहली बार हुए चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी उम्मीदवार देवीदयाल राम और राधा मोहन राय ने जीत हासिल की थी। 1957 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सुमित्रा देवी और नगीना दुसाध निर्वाचित हुए। 1962 में कांग्रेस उम्मीदवार इंद्रमणि सिंह विजयी बने। 1967 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से आर.एम.राय और 1969 में राम इकबाल सिंह ने जीत हासिल की।

1972 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर वापसी की। पार्टी के उम्मीदवार जय नारायण निर्वाचित हुए। 1977 के चुनाव में जनता पार्टी के रघुपति गोप ने विजयी पताका लहराई। फिर 1980 में इंदिरा कांग्रेस के प्रत्याशी मुनि सिंह ने जीत हासिल की। 1985 में लोकदल उम्मीदवार रघुपति गोप जीते। साल 1990 में इंडियन पीपुल्स फ्रंट आईपीएफ उम्मीदवार चंदन दीप सिंह विजयी बने।

भाकपा माले पहले आईपीएफ के बैनर तले चुनाव लड़ते रहा है। 1995 में जनता दल प्रत्याशी कांति सिंह विजयी बनी। 2000 में समता पार्टी उम्मीदवार नरेंद्र कुमार पांडेय उर्फ सुनील पांडेय विधायक बने। 2005 फरवरी और 2005 अक्टूबर में जेडीयू के टिकट पर वे फिर निर्वाचित हुआ। 2010 में तरारी सीट पर हुए चुनाव में उन्होंने वापस जेडीयू का परचम लहराया। 2015 में भाकपा-माले उम्मीदवार सुदामा प्रसाद ने जेडीयू से यह सीट अपने कब्जे में ले ली। बेहद नजदीकी मुकाबले में सुदामा ने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) प्रत्याशी गीता पांडेय को हराया था। उस चुनाव में सुदामा प्रसाद महज 272 वोटों से जीते थे।

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इसके बाद साल 2020 में भाकपा-माले उम्मीदवार सुदामा प्रसाद ने निर्दलीय सुनील पांडेय को मात दी थी। भाजपा प्रत्याशी कौशल कुमार विद्याथी तीसरे नंबर पर रहे। इस चुनाव में सुदामा प्रसाद को भाजपा की अंदरूनी कलह का फायदा मिला था। 2020 के चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीटो के बंटवारे के तहत तरारी सीट भाजपा को मिली थी। भाजपा ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के समर्पित कार्यकर्ता कौशल कुमार विद्यार्थी को टिकट दिया था, जिससे नाराज होकर सुनील पांडेय ने निर्दलीय चुनाव लड़ा था। चुनाव में लगभग 63 हजार वोट लाकर वह दूसरे पायदान पर रहे, जबकि कौशल कुमार विद्यार्थी को महज 13,833 वोट मिले थे।

तरारी में माले की हैट्रिक आसान नहीं

इस बार के उपचुनाव में भाजपा तरारी सीट पर किसी भी कीमत पर जीत दर्ज करना चाहती है, इसलिए उसने इस बार पिछले चुनाव वाली गलती नहीं दोहराई है। सुनील पांडेय भाजपा से नाराज चल रहे थे और 2020 में भाजपा छोड़ने के बाद लोजपा के पारस गुट में शामिल हो गए थे। उपचुनाव से पहले पार्टी उन्हें मनाकर वापस अपने खेमे में ले आई। हालांकि, टिकट उनके पुत्र विशाल प्रशांत को दिया गया। भाकपा-माले इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगाने की भरपूर कोशिश कर रही है। पार्टी ने यहां से राजू यादव को टिकट दिया है, जो पूर्व में लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार एनडीए एकजुट है, ऐसे में माले के सामने अपनी जीत बरकरार रखना आसान नहीं होगा।

तरारी से 10 प्रत्याशी मैदान में

बिहार विधानसभा उपचुनाव 2024 में तरारी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा, भाकपा माले , बहुजन समाज पार्टी (बसपा), जनसुराज पार्टी ,चार निर्दलीय समेत 10 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और भाकपा माले के बीच माना जा रहा है। इस मुकाबले को प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज दिलचस्प बना सकती है। जनसुराज ने किरण सिंह को पार्टी का उम्मीदवार बनाया है। उनकी पृष्ठभूमि गैर-राजनीतिक रही है। उनकी पहचान एक सामाजिक कार्यकर्ता की है। भाजपा एवं माले इस सीट से जीत हासिल करने के लिए एड़ी-चोटी का प्रयास कर रहे हैं। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद तरारी सीट पर तीन बार विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से एक बार जदयू और दो बार भाकपा-माले की जीत हुई है।

तरारी सीट का जातिगत समीकरण

तरारी विधानसभा में भूमिहार जाति का प्रभुत्व है, इसके बाद दलित, महादलित, राजपूत, ब्राह्मण और यादव समाज का वोट बैंक है। कई जातियों ने अपने-अपने दल चुन लिए हैं, लेकिन वैश्य समाज अब भी अनिर्णय की स्थिति में है। माना जा रहा है कि वैश्य समाज जिस पक्ष में जाएगा, वही इस उपचुनाव में जीत की ओर बढ़ सकता है। तरारी के उपचुनाव में जातीय समीकरण और विकास के मुद्दे निर्णायक भूमिका निभाने वाले हैं और क्षेत्र की जनता उम्मीद कर रही है कि नई सरकार उनकी बुनियादी समस्याओं को हल करने पर ध्यान देगी।वाम दल के मजबूत किले के रूप में स्थापित तरारी विधानसभा सीट को साधना भाजपा और जनसुराज दोनों के लिए चुनौती है।प्रचार प्रसार में सभी पार्टियों के प्रत्याशी पूरी ताकत झोंकने में लगे हैं।

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भाजपा प्रत्याशी विशाल प्रशांत ने कहा कि पिछले नौ साल से तरारी विधानसभा क्षेत्र में विकास कार्य अवरुद्ध है। मैंने जो विकास मॉडल बनाया है, उससे तरारी विधानसभा आधुनिक क्षेत्र के रूप में मॉडल बनेगा। महिलाओं एवं युवाओं के लिए स्वरोजगार की व्यवस्था होगी। चिकित्सा एवं शिक्षा व्यवस्था में सुधार होगा। क्षेत्र के समुचित विकास के लिए उन्होंने लोगों से 13 नवंबर को उनके पक्ष में मतदान करने की अपील करते हुए कहा कि यह क्षेत्र पूरे बिहार में फिर एक बार अव्वल बनेगा।

भाकपा माले प्रत्याशी राजू यादव ने लोगों से महागठबंधन को वोट करने की अपील की। उन्होंने कहा कि जनता को उनका हक एवं अधिकार दिलाना हमारा कर्तव्य है। अमन, इंसाफ एवं बराबरी के लिए लड़ाई जारी रहेगी। भाजपा की सरकार ने हमेशा दलित-गरीबों एवं अल्पसंख्यकों को ठगने का काम किया है।गरीब, मजदूर, किसान और छात्र नौजवानों की आवाज को बिहार विधानसभा में पहुंचाएंगे। सभी गरीबों का पक्का मकान हो इसके लिए बिहार विधानसभा में अपनी आवाज बुलंद करेंगे।

जनसुराज पार्टी उम्मीदवार किरण सिंह ने कहा कि यदि उन्हें जनता का समर्थन मिलता है, तो वह तरारी के विकास में सुधार के लिए बुनियादी सुविधाएं मजबूत करेंगी, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाएंगी और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए विशेष कार्यक्रम चलाएंगी। यदि उन्हें जनता का समर्थन मिला, तो वह तरारी को आदर्श और सुंदर क्षेत्र बनाने के लिए पूरी तरह से समर्पित रहेंगी।

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