कोसी नदी पर हाई डैम की मांग, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री से मिले सम्राट चौधरी, सौंपा पत्र
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कोसी नदी पर हाई डैम बनाने की मांग है। इस सिलसिले में सोमवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात की है। उच्च क्षमता वाले बराज को लेकर एक पत्र भी सौंपा है। आपको बता दें कोसी में अत्यधिक पानी डिस्चार्ज के चलते आसपास के कई जिलों में बाढ़ आ गई है।
बिहार में भारी बाढ़ के बीच राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कोसी नदी पर हाई डैम बनाने की मांग है। इस सिलसिले में सोमवार को केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मुलाकात की है। उच्च क्षमता वाले बराज को लेकर एक पत्र भी सौंपा है। सोशल साइट एक्स पर जानकारी देते हुए सम्राट चौधरी ने लिखा कि,आज नई दिल्ली में माननीय केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल से मिलकर बिहार में आने वाले बाढ़ के खतरे के समुचित निदान हेतु मांग पत्र सौंपा। ताकि जानमाल के नुकसान पर पूर्ण विराम लगे। केंद्रीय मंत्री से नेपाल से दूर भारत सीमा अंतर्गत कोशी नदी पर एक नए बांध (बराज) के निर्माण की बात रखी, उन्होंने तत्काल कार्यवाही की सहमति दी
आपको बता दें कोसी में अत्यधिक पानी डिस्चार्ज के चलते आसपास के कई जिलों में बाढ़ आ गई है। नेपाल में हुई लगातार बारिश के चलते कोसी और गंडक नदी में 6 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। जिससे राज्य के 22 जिलों में बाढ़ के हालात बन गए हैं। कोशी की विनाशकारी बाढ़ से बचाने के लिए भारत- नेपाल सीमा पर हाय डैम की जरूरत 1950 में ही महसूस की गई थी। अभी तक किसी तरह का कोई समाधान नहीं निकल पाया है।
इससे पहले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने रविवार को पटना में बाढ़ की समीक्षा बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि कोसी की बाढ़ से निपटने के लिए नेपाल में डैम बनाने का डीपीआर तैयार है। नेपाल सरकार से बातचीत भी चल रही है। लेकिन अब उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने भारतीय सीमा में हाई डैम बनाने की मांग की है। इसी के चलते केंद्रीय जलशक्ति मंत्री से मुलाकात की और एक चिट्ठी सौंपी है।
बिहार में बाढ़ से डेढ़ लाख से ज्यादा आबादी प्रभावित हुई है। नेपाल से अत्यधिक जलस्राव के बाद कोसी के वीरपुर बराज पर भारी दबाव उत्पन्न हो गया है। इसे सुरक्षित रखने के लिए युद्धस्तर पर प्रयास चल रहा है। दरअसल, बराज में भारी मात्रा में मलबा फंस गया। यही नहीं बड़े-बड़े लकड़ी के लट्ठ भी इसमें फंस गए। इससे बराज पर दबाव पैदा हो गया था।