स्कूल नहीं जाने वाले कोचिंग छात्रों पर सीबीएसई का डंडा, 12वीं बोर्ड परीक्षा में नहीं बैठने मिलेगा
सीबीएसई ने कोचिंग संस्थानों में जेईई, नीट समेत अन्य परीक्षा की पढ़ाई करने वाले उन छात्र-छात्राओं के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया है, जो स्कूल की नियमित कक्षाओं में उपस्थित नहीं रहते हैं।

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने स्कूल नहीं जाने वाले कोचिंग स्टूडेंट्स पर सख्ती की है। नीट, जेईई समेत अन्य प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग करने वाले वे छात्र जो नियमित स्कूल नहीं जाते हैं, ऐसे स्टूडेंट्स को 12वीं बोर्ड की परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा। सीबीएसई के इस निर्णय का सीधा असर बिहार पर पड़ेगा। बिहार के हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं राज्य के अंदर और बाहर के कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं और पूर्व-निर्धारित केंद्रों से बोर्ड एग्जाम देते हैं।
ऐसे भी कई मामले सामने आए हैं जिनमें सीबीएसई स्कूलों के बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं 10वीं बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट आने के बाद बिहार के सरकारी स्कूलों या उससे सहायता प्राप्त संस्थानों में दाखिला ले लेते हैं और बिना-अटेंडेंस वाली सुविधा का लाभ उठाते हुए देश में कहीं भी कोचिंग की पढ़ाई करते हैं।
सीबीएसई का यह निर्णय देश भर के विभिन्न स्कूलों में दो बार निरीक्षण करने के बाद आया है। यह निरीक्षण बिहार, दिल्ली, कोटा (राजस्थान) समेत अन्य जगहों पर किया गया, जहां राज्य के छात्र जाते हैं। जांच में सामने आया कि कोचिंग संस्थानों के साथ मिलीभगत करके कुछ स्कूल बोर्ड परीक्षा के छात्रों को बिना-अटेंडेंस वाली सुविधा दे रहे हैं। इसके तहत जो छात्र-छात्राएं कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई कर रहे हैं, उन्हें स्कूल की नियमित कक्षाओं में उपस्थित रहने से छूट मिल जाती है।
सीबीएसई के चेयरमैन राहुल सिंह ने कहा कि बोर्ड की ओर से वीडियोग्राफी करते हुए निरीक्षण किया गया। ताकि यह पता लगाया जा सके कि स्कूल बोर्ड के मानदंडों के अनुसार चल रहे हैं या नहीं। सीबीएसई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय बोर्ड से संबद्ध स्कूलों में गैर-उपस्थित छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के माध्यम से परीक्षा देने के लिए कहा जाएगा। साथ ही दोषी संस्थानों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
पिछले साल भी, सीबीएसई ने अपने संबद्ध स्कूलों को चेतावनी जारी की थी कि वे डमी और गैर-उपस्थित छात्र-छात्राओं का प्रवेश न लें। क्योंकि यह स्कूली शिक्षा के मूल मिशन के विपरीत है। इससे छात्र-छात्राओं का बुनियादी विकास सही से नहीं हो पाता है।
डमी स्टूडेंट्स की समस्या केवल सीबीएसई स्कूलों तक ही सीमित नहीं है। बिहार बोर्ड के स्कूलों में भी यह समस्या बहुत ज्यादा है। इसी के चलते पिछले साल राज्य के शिक्षा विभाग ने कक्षा में उपस्थिति सुधारने के लिए स्कूल के समय में चल रहे कोचिंग संस्थानों पर कार्रवाई की थी। हालांकि, इसका कुछ खास असर नहीं हुआ। शिक्षा विभाग की ओर से स्कूलों की हालत में सुधार के भी लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। ताकि कक्षाओं में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति बढ़ाई जा सके।
पूर्व सांसद और बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष शत्रुघ्न प्रसाद ने कहा कि अब राज्य के सरकारी स्कूलों में छात्रों एवं शिक्षकों की उपस्थिति पर सख्ती से मॉनिटरिंग की जा रही है। ऐसे में उनका अनुपस्थित रहना मुश्किल है। अब जरूरत है कि स्कूलों को उचित सुविधाओं से लैस किया जाए। कुछ स्कूलों में लैब अभी बनना ही शुरू हुई हैं, इसमें समय लगेगा। अगर स्कूलों में सुविधाएं बढ़ेंगी तो इसका दीर्घकालिक प्रभाव होगा।