पांच महीने से नहीं मिला है मनरेगा कर्मियों को मानदेय
टाटीझरिया के मनरेगा कर्मियों को पिछले पांच महीने से मानदेय नहीं मिल रहा है, जिससे वे आर्थिक संकट में हैं। उन्हें स्कूल फीस, चिकित्सा, राशन और अन्य आवश्यकताओं के लिए पैसे की कमी का सामना करना पड़ रहा...

टाटीझरिया प्रतिनिधि । मनरेगा कर्मियों को पांच माह से मानदेय नहीं मिलने के कारण उनके समक्ष आर्थिक संकट उत्पन्न हो गया है। टाटीझरिया बीपीओ अफरोज अख्तर, अकाउंटेंट कुलदीप राम, कंप्यूटर ऑपरेटर मनोज कुमार, जेई शशांक भूषण, देवरंजन, रोजगार सेवक संतोष राम, अरूण रवि,नेमचंद दास, दीपक राम, प्रकाश यादव, ममता कुमारी ने अपनी पीड़ा बतायी। उन्होने कहा कि विगत पांच माह से वेतन नहीं मिलने के कारण कार्य क्षेत्र में आने जाने के लिए, बच्चों की स्कूल फीस, पारिवारिक आपातकालीन चिकित्सा, राशन एवं दैनिक मूलभूत जरूरत के सामान के लिए राशि के अभाव में सभी मनरेगा कर्मियों को संकट से गुजरना पड़ रहा है।
पैसा के अभाव में उनके बच्चों की पढ़ाई और परिजनों के इलाज के साथ ही दो जून की रोटी का जुगाड़ करना बेहद कठिन हो गया है। जरूरी सामानों की खरीदारी नहीं कर पा रहे हैं, जबकि वह दिन रात मेहनत कर काम को समय से पूर्ण करते हैं। मानदेय के बारे में केवल आश्वासन मिल रहा है। मनरेगा कर्मियों का कहना है वैसे भी मानदेय कम मिलता है, वह भी समय से न मिलने से आर्थिक दिक्कत उठानी पड़ती हैं। मनरेगा कर्मियों का कहना है कि पर्व त्योहारों में भी मानदेय नहीं मिलने से बहुत निराश हैं।सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए कि बिना मानदेय उनके परिवार का पालन पोषण कैसे होगा। मनरेगा कर्मियों का कहना है कि जब अन्य योजनाओं के लिए फंड आ सकता है तो मनरेगा कर्मियों के लिए मानदेय क्यों नही आ सकता। मानदेय के बिना परिवार का खर्चा चलना बहुत ही मुश्किल हो गया है।
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