जिले में सबमर्सिबल के बढते चलन से बढ रहा पेयजल संकट
पेज तीन की लीडपेज तीन की लीड हिन्दुस्तान विशेष सबमर्सिबल लगाने के लिए लोग नहीं लेते प्र्रशासन की स्वीकृति पाताल बोरिंग होने से गर्मी शुरू

बांका, निज प्रतिनिधि। सरकार ने शहरी सहित ग्रामीण इलाकों के लागों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए सात निश्चय योजना में शामिल हर घर नल का जल योजना को धरातल पर उतारने के शुरूआत की है। लेकिन इसमें उपयोग किये जाने वाले सबमर्सिबल का कोई मानक तय नहीं किया गया है। जिससे शहर सहित ग्रामीण इलाकों में लगाए जा रहे सबमर्सिबल के उपयोग पर किसी भी तरह के एनओसी लिये लिये जाने का प्रावधान लागू नहीं किया गया है। जबकि सबमर्सिबल के प्रयोग से जिले का भूजल स्तर पाताल पहुंच रहा है। ऐसे में यहां जल संकट की स्थिति गहराती जा रही है।
यही नहीं जिले के शहरी क्षेत्र में भी सबमर्सिबल के उपयोग पर किसी भी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है। यहां सरकारी योजनाओं के साथ ही निजी तौर पर लगाये जाने वाले सबमर्सिबल के लिए नगर निकाय से एनओसी लेने का भी प्रावधान लागू नहीं किया गया है। जिससे यहां नगर परिषद की ओर से एनओसी लिये बिना ही हर साल सैकडों की संख्या में सबमर्सिबल लगाये जा रहे हैं। जिस पर ना तो शहर में नगर परिषद का नियंत्रण है औ ना ही जिला प्रशासन इसको लेकर कोई कारगर कदम उठा रहा है। इससे शहरी क्षेत्र सहित जिले में जल के हो रहे दोहन से यहां का भूजल स्तर का ग्राफ गिर रहा है। जो क्षेत्र में जल संकट की स्थिति को पैदा कर रहा है। जिले के हो रहे शहरीकरण के बाद भी यहां कई तरह के मानक को लागू नहीं किया जा सका है। इसमें यहां पेयजल के लिए की जाने वाली बोरिंग की गहराई भी तय नहीं की गई है। ऐसे में लोग मनमाने तरीके से अपने जरूरत के मुताबिक बोरिंग कराकर अपनी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। इसके लिए यहां पतलाल बोरगिं का भी ट्रेंड चल रहा है। जिस पर प्रशासन का भी नियंत्रण नहीं है। बांका शहर की आबादी45 हजार के पार है, लेकिन आभी यहां कस्बाई नियम व कानून का ही पालन हो रहा है। यहां नगर निकाय को न तो सबमर्सिबल लगाने के लिए आवेदन किये जाते हैं और ना ही इसकी स्वीकृति दिये जाने का प्रावधान लागू किया गया है। जबकि यहां के हर इलाकों में पेयजल के लिए 200 से 500 फीट तक पताल बोरिंग की जा रही है। जिससे यहां का भूजल स्तर पाताल पहुंच रहा है। जो यहां पेयजल संकट गहराने की खास वजह बन रहा है।
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