प्रशांत किशोर को नीतीश के गांव जाने से प्रशासन ने रोका, पीके बोले- क्या छिपा रहे हैं सीएम
निर्धारित कार्यक्रम को लेकर जन सुराज पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सवेरे से ही नालंदा पहुंच चुके थे। लेकिन गांव के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल के साथ मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी गई थी। पीके के काफिले को भी गांव के बाहर ही रोक दिया गया।

बिहार बदलाव हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत करने नीतीश कुमार के गांव कल्याण बिगहा जाने से प्रशांत किशोर को जिला प्रशासन ने रोक दिया। पीके ने पहले ही इसका ऐलान कर दिया था कि 18 मई से बिहार बदलाव हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत कल्याण बिगहा से करेंगे। निर्धारित कार्यक्रम को लेकर जन सुराज पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सवेरे से ही नालंदा पहुंच चुके थे। लेकिन गांव के बाहर भारी संख्या में पुलिस बल के साथ मजिस्ट्रेट की तैनाती कर दी गई थी। पीके के काफिले को भी गांव के बाहर ही रोक दिया गया। पैदल चलकर पीके गांव की सीमा पर पहुंचे।
पीके ने कहा कि जन सुराज तीन बिंदुओं पर नीतीश कुमार के गांव से रियलिटी टेस्ट की शुरुआत करना चाहती है। जमीन सर्वे में घूस लिया जा रहा है या नहीं, गरीब दलित परिवारों को आवास के लिए तीन डिसमिल जमीन दी गयी या नहीं और जातीय सर्वे के आधार पर चिन्हित गरीब परिवारों को दो लाख रुपए की सहायता दी गयी या नहीं।
पीके कने कहा कि लगभगल दो किलोमीटर पैदल चलकर कई गांवों से गुजरे पर किसी ने नहीं रोका। लेकिन, कल्याण बिगहा गांव में जाने से यह कहकर रोक दिया गया कि परमिशन नहीं लिया गया है। इलाके में हर जगह लोगों ने कहा कि यहां भी दाखिल खारिज और सर्वे में घूस लिया जा रहा है। किसी को आवास की जमीन नहीं दी गई है और गरीब परिवारों को दो लाख का लाभ भी नहीं दिया गया है। रोकने का कारण पूछा तो प्रशासन ने बताया कि ऊपर का आदेश है कि किसी दूसरे गांव में जा सकते हैं पर कल्याण बिगहा नहीं जाने दिया जाएगा।
पीके ने कहा कि नीतीश कमार ने इस गांव में इतना सुंदर सड़क बनवाया है तो तारीफ करते हैं। पूरे राज्य में ऐसी सड़कें बनना चाहिए। लेकिन उन्होंने यहां सब काम ठीक से किया है तो छिपाने की क्या जरूरत है। कल्याण बिगहा जाने से प्रशासन रोक रहा है तो यह गैर लोकतांत्रिक है। पहले ऐसा नहीं होता था। राहुल गांधी के बिहार दौरे से यह नई परिपार्टी शुरू हुई है।