बिहार में बंद हुए 349 कारखाने, देश की औद्योगिक यूनिट्स में सिर्फ 1.34% भागीदारी, आर्थिक सर्वेक्षण में खुलासा
बिहार आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013-14 में 3,132 के मुकाबले वर्ष 2022-23 में परिचालन कारखानों की संख्या घटकर 2,782 हो गई है। यह राष्ट्रीय स्तर की औद्योगिक वृद्धि के विपरीत है।

निवेशकों को लुभाने के लिए कई एमओयू और नीतियों के बावजूद, बिहार में उद्योगों की स्थिति गंभीर बनी हुई है। शुक्रवार को राज्य विधानमंडल में रखी गई बिहार आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013-14 में 3,132 के मुकाबले वर्ष 2022-23 में परिचालन कारखानों की संख्या घटकर 2,782 हो गई है। यह राष्ट्रीय स्तर की औद्योगिक वृद्धि के उलट है। 2013-14 में 1,85,690 के मुकाबले 2022-23 में देश भर में 2,06,523 कारखाने चल रहे हैं। विडंबना यह है कि देश में कुल परिचालन औद्योगिक इकाइयों का बमुश्किल 1.34% हिस्सा बिहार में है।
कोविड महामारी के दौरान प्रशिक्षित श्रम बल की वापसी से उत्साहित होकर, राज्य सरकार ने बिहार में औद्योगिक गतिविधियों में तेजी लाने पर विशेष जोर दिया था। एक उद्योग-अनुकूल निवेश प्रोत्साहन नीति की घोषणा की थी। इरादा उन कुशल मजदूरों को रोकना था, जो नौकरियों की तलाश में दूसरी जगहों पर चले गए थे। वर्ष 2023 और 2024 में, उद्योग विभाग ने लगभग 723 एमओयू साइन किए थे, जिसमें 2.30 लाख करोड़ के निवेश का अनुमान लगाया गया था। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में 235 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, जिसमें 2024 में 38,500 करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया गया था। हालांकि, विभिन्न चरणों में सरकारी मंजूरी प्राप्त करने की बोझिल प्रक्रिया के कारण ये निवेश अभी तक वास्तविकता में तब्दील नहीं हुए हैं।
पिछले कुछ वर्षों में हस्ताक्षरित एमओयू के मद्देनजर उद्योग विभाग ने उद्योगों के लिए लैंडबैंक बनाने की मुहिम भी शुरू कर दी है। बिहटा में खाद्य-प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने वाले एक प्रमुख उद्योगपति ने कहा, यह एक समय लेने वाली प्रक्रिया है, क्योंकि निवेशकों का विश्वास जीतना इतना आसान नहीं है। सर्वेक्षण में बताया गया है कि संख्यात्मक रूप से बिहार में सबसे महत्वपूर्ण उद्योग अन्य गैर-धातु खनिज उत्पादों (1234 इकाइयों) का विनिर्माण है, इसके बाद खाद्य उत्पादों (903 इकाइयों) का निर्माण होता है। अन्य गैर-धातु खनिज उत्पादों के निर्माण में सीमेंट, चूना और प्लास्टर शामिल हैं। उद्योगों के ये दो प्रभाग बिहार में 65% इकाइयों का गठन करते हैं
हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की कुल अचल पूंजी में बिहार की अचल पूंजी की हिस्सेदारी 2021-22 में 0.53% से बढ़कर 2022-23 में 0.78% हो गई है। 2021-22 और 2022-23 के बीच बिहार में उत्पादन का मूल्य 53% बढ़ गया है। राज्य औद्योगिक उत्पादन में लगातार वृद्धि कर रहा है। सर्वेक्षण में आगे कहा गया है कि राज्य में लगभग 3% कार्यबल बेरोजगार है, जो हालांकि, राष्ट्रीय स्तर पर अपेक्षाकृत कम है। वर्ष 2023-24 में राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी लगभग 3.2% है। राष्ट्रीय औसत 62.1% के मुकाबले बिहार में श्रमिक जनसंख्या अनुपात 53.2% है।