Hindi Newsऑटो न्यूज़Electric two wheeler sales cross a million units in FY25

इलेक्ट्रिक 2W सेल्स 1 मिलियन के पार, सस्ते मॉडल और सब्सिडी से मिली ग्रोथ; फिर भी ये चिंता सता रही

  • इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स को लेकर भले ही लोगों को अलग-अलग राय हो, लेकिन आंकड़े इसकी कामयाबी की कहानी को बयां करते हैं। दरअसल, e2W सेगमेंट की बिक्री का आंकड़ा फाइनेंशियल ईयर 2025 में 1 मिलियन यानी 10 लाख यूनिट को पार कर गया है।

Narendra Jijhontiya लाइव हिन्दुस्तानMon, 7 April 2025 09:55 AM
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इलेक्ट्रिक 2W सेल्स 1 मिलियन के पार, सस्ते मॉडल और सब्सिडी से मिली ग्रोथ; फिर भी ये चिंता सता रही

इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स को लेकर भले ही लोगों को अलग-अलग राय हो, लेकिन आंकड़े इसकी कामयाबी की कहानी को बयां करते हैं। ET ऑटो की खबर के मुताबिक, e2W सेगमेंट की बिक्री का आंकड़ा फाइनेंशियल ईयर 2025 में 1 मिलियन यानी 10 लाख यूनिट को पार कर गया है। इसका बड़ा क्रेडिट कंपनी को जाता है, क्योंकि उन्होंने 1 लाख रुपए से कम कीमत वाले प्रोडक्ट को लॉन्च करके ग्राहकों को शोरूम तक लाने में कामयाबी हासिल की है। हालांकि, बेहतर सेल्स आंकड़ों में भी इसकी धीमी विकास दर ने चिंता खड़ी की है। फाइनेंशियल ईयर 24 में ब्रिकी में लगभग एक तिहाई या लगभग 34% की वृद्धि हुई है। कुल मोटरसाइकिल/स्कूटर की बिक्री में इलेक्ट्रिक 2W का हिस्सा महज 6% ही रहा। ये FY24 में 5.4% था।

इंडस्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 26 में कुल दोपहिया उद्योग में इलेक्ट्रिक की पैठ 8% तक बढ़ने की संभावना है। वहीं, कुल बिक्री साल-दर-साल 20-25% की वृद्धि दर्ज कर सकती है। एक अन्य एक्सपर्ट ने बताया कि प्रोडक्ट लॉन्च (डिलीवरी के लिए तैयार प्रोडक्ट) पाइपलाइन पिछले कुछ समय से सूख गई है। उन्होंने कहा कि जिन कंपनियों के पास विकास पूंजी थी, उनसे अब परिणाम उत्पन्न होने की उम्मीद है, इसलिए विकास के लिए नए पैसे की कमी आई है। और सरकार के प्रोत्साहन के मामले में टेलविंड भी कम हो गया है।

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ICRA के सीनियर वाइस प्रेसिडंट और ग्रुप हेड (कॉर्पोरेट रेटिंग) शमशेर दीवान ने बताया कि e2W की बिक्री में मंदी का एक मुख्य कारण सब्सिडी (सरकार की ओर से दी जाने वाली खरीद सब्सिडी) में धीरे-धीरे कमी आना है। ये 1 अप्रैल से घटकर 5000 रुपए प्रति वाहन रह जाएगी। नतीजतन, OEMs द्वारा दी जा रही छूट के बावजूद, भुगतान अवधि कुछ हद तक बढ़ गई है। यानी सब्सिडी को 10,000 रुपए से घटाकर आधा किया जा रहा है। सरकार इस दृष्टिकोण पर झुकी हुई है कि उद्योग के परिपक्व होने के साथ सब्सिडी को धीरे-धीरे समाप्त किया जाना चाहिए।

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क्या 2030 तक बिकने वाले तीन व्हीकल में से एक इलेक्ट्रिक व्हीकल होगा? एक्सपर्ट के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 30 तक भारत में बिकने वाले सभी स्कूटरों में इलेक्ट्रिक स्कूटरों की हिस्सेदारी 60% हो सकती है, लेकिन इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिलें अभी भी लगभग 10% ही होंगी। बाजार में एक सफल प्रोडक्ट लाना कठिन है, जो मोटरसाइकिल की बेहतर छवि प्रदान करें। साथ ही, इलेक्ट्रिक सेगमेंट में प्रदर्शन भी करता हो और इसकी कीमत एक लाख रुपए से कम हो। यहां तक ​​कि जिन OEM ने इलक्ट्रिक बाइक की घोषणा की है, वो भी उन्हें किफायती ब्रैकेट में कीमत देने में फिलहाल असमर्थ हैं।

OEM ऐसे व्हीकल को बढ़ाने के लिए खरीद प्रोत्साहन या सब्सिडी के रूप में सरकारी समर्थन जारी रखने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार इसके बजाय सभी कैटेगरी के इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए प्रस्तावित खरीद प्रोत्साहन को कम कर रही है। फाइनेंशियल ईयर 25 में इलेक्ट्रिक फोर व्हीलर के लिए सभी सब्सिडी पहले ही बंद कर दी गई है। लेकिन अब एक संसदीय पैनल ने OEM का पक्ष लेते हुए सिफारिश की है कि इलेक्ट्रिक फोर व्हीलर्स को फिर से सब्सिडी व्यवस्था में शामिल किया जाए और अन्य वाहन कैटेगीर के लिए भुगतान बढ़ाया जाए। ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 2030 तक 35% ईवी का सरकार का लक्ष्य हासिल हो सके।

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अभी 2030 में बिकने वाले हर तीसरे व्हीकल को ईवी के रूप में बेचने का लक्ष्य लगभग असंभव लगता है। इस साल फरवरी तक कुल ईवी एंट्री केवल 7.32% था, जिसमें इलेक्ट्रिक फोर व्हीलर कैटेगरी में एंट्री 2% से कम था। इलेक्ट्रिक व्हीकल अपनाने में सबसे अलग e2W कैटेगरी रही है, जहां 57% या कम से कम हर दूसरा थ्री-व्हीलर अब इलेक्ट्रिक है। यहां तक ​​कि पॉपुलर e2W विकास की कहानी भी उतनी सफल नहीं रही है, जो 6% एंट्री के निशान को पार करने में असमर्थ है। उद्योग संबंधी स्थायी समिति ने कहा है कि e2W की वृद्धि “मध्यम” बनी हुई है।

पीएम ईड्राइव योजना की संरचना के अनुसार, जो इलेक्ट्रिक व्हीकल की बिक्री को प्रोत्साहित करती है, e2W सब्सिडी को आधा करके 2500 रुपए प्रति किलोवाट घंटा कर दिया गया है और 2025-26 से ​​5,000 रुपए प्रति वाहन पर सीमित कर दिया गया है। स्थायी समिति ने पाया है कि पिछले साल नवंबर तक पीएम ईड्राइव के तहत किए गए कुल दावों में से आधे का भी भुगतान नहीं किया गया था। फिर सार्वजनिक व्हीकल चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ाने के लिए 2024-25 में 180 करोड़ रुपए के “मामूली” आवंटन की भी समिति ने आलोचना की क्योंकि उसने पाया कि पूरी राशि खर्च नहीं की गई है।

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