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सकट चौथ का चांद ने दिखने पर कैसे तोड़ें व्रत? यहां जानें सबकुछ

  • सकट चौथ का व्रत भगवान श्रीगणेश को समर्पित माना गया है। आज के दिन व्रती महिलाएं संतान की लंबी आयु की कामना करती हैं। सकट चौथ का व्रत भगवान श्रीगणेश के पूजन के साथ ही चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही संपूर्ण माना जाता है।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 17 Jan 2025 09:17 PM
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Sakat Chauth 2025 : सकट चौथ का व्रत भगवान श्रीगणेश को समर्पित माना गया है। आज के दिन व्रती महिलाएं संतान की लंबी आयु की कामना करती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सकट चौथ का व्रत भगवान गणेश एवं सकट माता के प्रति अपनी आस्था प्रकट करने का त्योहार है। मान्यता है जो भी सकट चौथ का व्रत विधि-विधान के साथ रखता है, उसके जीवन में आने वाला संकट समाप्त हो जाता है, क्योंकि सकट चौथ के दिन ही भगवान गणेश के जीवन पर सबसे बड़ा संकट आया था। हर साल माघ माह में सकट चौथ के दिन भगवान गणेश को मोदक, गुड़ से बने तिल के लड्डू और दूर्वा अर्पित की जाती है। माताओं ने पूजन में गणेश स्तुति, गणेश चालीसा और सकट चौथ व्रत कथा का पाठ किया। बाद में महिलाएं पूजा के बाद चंद्रमा के दर्शन करते हुए जल अर्पित कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। भगवान गणेश से आशीर्वाद प्राप्त कर व्रत का पारण किया। मान्यता है कि सकट चौथ के दिन चंद्र दर्शन जरूरी होते हैं। लेकिन कई बार सकट चौथ पर बादल या धुंध के कारण चांद नजर नहीं आता है तो महिलाएं परेशान हो जाती है। अगर आपने भी सकट चौथ का व्रत रखा है और मन में सवाल है कि अगर चांद नजर न आए तो क्या करें, तो यहां जानें जवाब-

1. अगर चंद्रमा नहीं नजर आए तब भी शुभ मुहूर्त में ही पूजा करें। इसके लिए चौकी सजाएं। उस पर लाल कपड़े के ऊपर चावल से चांद की आकृति बनाएं। ओम चतुर्थ चंद्राय नम: मंत्र का जाप कर चंद्रमा का आह्नान करने के बाद विधि-विधान से व्रत पूरा करें।

2. अगर चंद्रमा नजर न आए तो भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान चंद्रमा के दर्शन कर सकते हैं। फिर चंद्रमा की पूजा करके अपनी मनोकामना कहें और क्षमायाचना करें।

3. अपने प्रियजनों से चंद्रमा निकलने का समय पूछें और उसके बाद उस दिशा में मुंह करके अपनी पूजा करें और चंद्रदेव से क्षमा याचना करें।

4. जिस क्षेत्र में चंद्रमा दिख गया हो वहां से तस्वीर मंगवाकर उसके दर्शन कर महिलाएं व्रत खोल सकती हैं।

5. अगर चांद न दिखे तो घर के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद प्राप्त कर व्रत तोड़ें।

6. चांद के दर्शन न होने पर थाली में चावल लेकर उसे चांद का आकार देकर अर्घ्य दें।

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