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Phulera Dooj 2025: मार्च में फुलेरा दूज कब है? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व

  • Phulera Dooj 2025: हिंदू धर्म में फुलेरा दूज के पर्व का बड़ा महत्व है। इस दिन राधा रानी और भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही इस खास दिन पर फूलों की होली खेली जाती है। इस दिन शादी-विवाह के लिए भी अबूझ मुहूर्त होता है।

Arti Tripathi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 18 Feb 2025 08:07 PM
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Phulera Dooj 2025: मार्च में फुलेरा दूज कब है? जानें सही डेट, शुभ मुहूर्त और महत्व

Phulera Dooj 2025: फुलेरा दूज का पर्व राधा रानी और भगवान कृष्ण को समर्पित है। हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को फुलेरा दूज मनाया जाता है। इस दिन भगवान कृष्ण और राधाजी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस पर्व को लेकर ब्रज में काफी जोश और उत्साह का माहौल रहता है। इस दिन फूलों से होली खेली जाती है। मान्यता है कि फुलेरा दूज के पावन मौके पर राधा-कृष्ण की पूजा करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि और संपन्नता बनी रहती है। यह दिन विवाह के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं फुलेरा दूज की सही तिथि, शुभ मुहूर्त

फुलेरा दूज कब है?

द्रिक पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 01 मार्च 2025 को सुबह 03 बजकर 16 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 02 मार्च 2025 को 12 बजकर 09 मिनट पर समाप्त होगी। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, 1 मार्च 2025 को फुलेरा दूज मनाया जाएगा। फुलेरा दूज के दिन शुभ योग, साध्य योग और त्रिपुष्कर योग का शुभ संयोग बन रहा है।

फुलेरा दूज 2025: शुभ मुहूर्त

ब्रह्म मुहूर्त :05:07 ए एम से 05:56 ए एम

अभिजित मुहूर्त :12:10 पी एम से 12:57 पी एम

प्रातः सन्ध्या :05:32 ए एम से 06:46 ए एम

विजय मुहूर्त:02:29 पी एम से 03:16 पी एम

गोधूलि मुहूर्त :06:19 पी एम से 06:43 पी एम

त्रिपुष्कर योग :06:46 ए एम से 11:22 ए एम

फुलेरा दूज का महत्व :

हिंदू धर्म में फुलेरा दूज के पर्व का बड़ा महत्व है। यह दिन शादी-विवाह के लिए बेहद शुभ माना जाता है। इस दिन विवाह का अबूझ मुहूर्त होता है। इसलिए विवाह के लिए ज्योतिषीय गणना की जरूरत नहीं होती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी और गोपियों के संग फूलों की होली खेली थी। इस दिन भक्त श्रीकृष्ण और राधा रानी की पूजा के साथ उन पर फूलों की वर्षा करते हैं। कान्हा को माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है और मंदिरों में भजन-कीर्तन का आयोजन होता है।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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