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Chaitra Navratri : चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से, इस बार हाथी से होगा मां का आगमन, नोट कर लें कलश स्थापना मुहूर्त

  • देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का पर्व चैत्र नवरात्र 30 मार्च को कलश स्थापना के साथ शुरू होगी। इसबार सर्वार्थ सिद्धि योग में मां जगदंबे की आराधना होगी। इसबार माता का आगमन हाथी पर होगा।

Yogesh Joshi लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 16 March 2025 02:06 PM
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Chaitra Navratri : चैत्र नवरात्रि 30 मार्च से, इस बार हाथी से होगा मां का आगमन, नोट कर लें कलश स्थापना मुहूर्त

Chaitra Navratri : देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का पर्व चैत्र नवरात्र 30 मार्च को कलश स्थापना के साथ शुरू होगी। इसबार सर्वार्थ सिद्धि योग में मां जगदंबे की आराधना होगी। इसबार माता का आगमन हाथी पर होगा। चैत्र नवरात्रि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। 30 मार्च से 7 अप्रैल तक मां जगदंबे की पूजा की जाएगी। 30 मार्च को घट स्थापित होगी और पहला व्रत रखा जाएगा। इस दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होगी। 9 दिन माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाएगी। इसे लेकर मंदिरों में तैयारी शुरू कर दी गई है। साफ-सफाई और रंग-रोगन का काम चल रहा है। वहीं, घरों में भी नवरात्रि की तैयारी शुरू है। साकची शीतला मंदिर, मनोकामना मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में चैत्र नवरात्र पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना होगी।

चैत्र नवरात्रि का आरंभ रविवार से हो रहा है। इस साल मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर आएंगी। इसे शुभ संकेत माना जाता है। हाथी पर मां के आगमन से धन-धान्‍य में वृद्धि होती है। वहीं, मां दुर्गा का प्रस्थान सोमवार 7 अप्रैल को हाथी पर ही होगा। इस शुभ अवसर मां दुर्गा की पूजा करने पर मनोकामनाएं सिद्ध हो सकती है। पंचांग के अनुसार इस साल 9 दिन नहीं, बल्कि 8 दिनों की ही नवरात्रि हैं। इस साल चैत्र नवरात्र में पंचमी तिथि का छय रहने के कारण एक दिन कम हो रहा है। इस साल 8 दिनों में ही मां दुर्गा की पूजा होगी।

कलश स्थापना मुहूर्त

कलश स्थापना पूजा का संकल्प होता है। विशेष पूजा से पहले कलश की स्थापना की जाती है। यह शुभ मुहूर्त में करना आवश्यक है। चैत्र नवरात्र पर कलश स्थापना के साथ माता शैलपुत्री की पूजा होगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 30 मार्च 2025 को सुबह 06.13 से 10.22 बजे तक है। वहीं, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.01 से 12.50 बजे तक रहेगा। इन मुहूर्त पर कलश स्थापना कर पूजा का संकल्प लेना चाहिए।

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