बोले गढ़वाल : कोटद्वार की उत्तरी झंडीचौड़ बस्ती में कब सुधरेंगी बदहाल सड़कें
कोटद्वार नगर निगम में 2018 में शामिल हुए ग्रामीण क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं की कमी से लोग परेशान हैं। उत्तरी झंडीचौड़ क्षेत्र में खराब सड़कों, पेयजल किल्लत और गंदगी की समस्या ने जनता को दिक्कत में...
नगर निगम कोटद्वार में 2018 में शामिल ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी मूलभूत सुविधाओं के प्रति सरकारी मशीनरी की लापरवाही लोगों की परेशानी की वजह बनी हुई है। इसका उदाहरण देखने को मिल रहा है उत्तरी झंडीचौड़ बस्ती क्षेत्र में जहां मुख्य सड़कों के साथ विभिन्न सम्पर्क मार्गों की खस्ताहाल स्थिति ने लोगों की दिक्कतें बढ़ाई हुई हैं। बदहाल रास्तों के सुधारीकरण को नजरअंदाज किया जा रहा है। बोले गढ़वाल अभियान के तहत लोगों ने ‘हिन्दुस्तान’ से अपनी समस्याएं साझा की। कोटद्वार से आशीष बलोधी की रिपोर्ट..
विकास के दौर में भी इससे अछूते रहे व भाबर इलाके से जुड़े ग्रामीण क्षेत्रों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 6 वर्ष पूर्व नगरनिगम कोटद्वार में तो शामिल कर लिया गया, लेकिन उन्हें आज तक वो सुविधाएं नहीं मिलने से जनता खुदको ठगा महसूस कर रही है। इसका प्रमाण देखने को मिलता है निगम के वार्ड संख्या 38 में शामिल और लगभग 6000 की आबादी वाले उत्तरी झंडीचौड़ बस्ती क्षेत्र में, जहां लम्बे समय से बदहाल पड़ी मुख्य सड़कों और विभिन्न सम्पर्क मार्गों को आज तक नहीं सुधारा जा सका है। इस कारण लोगों को मुश्किलों में होती आम आवाजाही के दौरान हमेशा दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। क्षेत्र में जगह जगह टूटी पेयजल लाइनों से रिस रहे पानी और चोक पड़ी नालियों से निकलकर रास्तों पर बहते पानी के कारण भी लोग खासे परेशान हैं। क्षेत्र में पर्याप्त पेयजल की उपलब्धता नहीं होने से भी क्षेत्रवासियों को दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। गंदे पानी की निकासी के लिये नालियां तो बनी हुई हैं लेकिन उनकी सफाई के अभाव में उनकी स्थिति दयनीय बनी हुई हैं। इलाके में कूड़ा निस्तारण व्यवस्था भी भगवान भरोसे है।
कूड़ेदानों व नियमित सफाईकर्मियों के नहीं होने के कारण रास्तों और नालों पर ही कूड़े के ढेर निगम की सफाई व्यवस्था की पोल खोलने के लिए काफी है। कृषिप्रधान क्षेत्र होने के कारण खेती से जुड़े किसान सिंचाई नहर और गूलों के क्षतिग्रस्त पड़े होने के साथ पर्याप्त पानी खेती के लिये नहीं मिलने के कारण भी बेहद परेशान हैं। इलाके में सार्वजनिक पेयजल और शौचालय सुविधा नहीं होने से भी आम आदमी को मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं। सार्वजनिक स्थानों पर उगी झाड़ियों की सफाई के प्रति निगम प्रशासन की नजरअंदाजी की वजह से लोगों को तकलीफें उठानी पड़ रही हैं। उनमें जंगली जानवरों की मौजूदगी की आशंका के चलते लोगों को बहुत सावधानी से रास्तों से आवागमन करना पड़ता है। बड़ी संख्या में लावारिस पशुओं की मौजूदगी भी स्थानीय जनता के लिये सरदर्द बनी हुई है। कईबार लोगों को घायल करने के बावजूद उनकी व्यवस्था कर पाने में नाकाम नगरनिगम की वजह से लोगों को खतरे के बीच आवाजाही करनी पड़ रही है। क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधा के नाम पर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तो है, लेकिन उसमें सामान्य सुविधाएं भी नहीं होने से लोगों को कठिनाइयां उठानी पड़ रही हैं।
पेयजल किल्लत की समस्या से परेशान हैं क्षेत्र के लोग
इलाके में मुख्य सड़कें हों या फिर विभिन्न सम्पर्क मार्गों की बात हो, लगभग सभी के लम्बे समय से खस्ताहाल स्थिति में होने के कारण वो भी जनता के लिए जी का जंजाल बनी हुई हैं। बदहाल रास्तों के कारण रोज की आवाजाही के दौरान उन्हें मुश्किलें तो उठानी ही पड़ती हैं, साथ ही कई बार की दुर्घटनाओं में लोगों के चोटिल होने के बावजूद भी इस महत्वपूर्ण मामले को नजरअंदाज किया जा रहा है। रोज आवागमन के दौरान क्षतिग्रस्त सड़कों पर हिचकोले खाते वाहनों में सफर करने को मजबूर लोगों का कहना है कि खराब सड़कों पर पैदल तक चलना मुश्किल बना हुआ है। क्षेत्र में लोग पर्याप्त आपूर्ति नहीं होने के कारण पेयजल किल्लत से तो परेशान हैं ही लेकिन पुरानी हो चुकी पेयजल लाइनों के जगह जगह क्षतिग्रस्त होने के कारण उनसे लीक होते पानी का भी स्थायी समाधान नहीं निकाला जा रहा है।
बिखरा कूड़ा खोल रहा निगम प्र्रशासन की पोल
उत्तरी झंडीचौड़ क्षेत्र में ध्वस्त कूड़ा निस्तारण व्यवस्था लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। कूड़ेदानों की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होने के कारण सार्वजनिक स्थानों पर बिखरे कचरे के ढेर स्वच्छता के प्रति चाक चौबंद होने के दावे करते निगम प्रशासन की पोल खोलते नजर आते हैं। आवश्यक संख्या में सफाईकर्मियों की तैनाती नहीं होने के कारण नियमित सफाई तो दूर कई कई दिनों तक भी सफाई नहीं होने से गंदगी जगह-जगह बिखरी हुई नजर आती है। इस समस्या को लावारिस पशु और बढ़ा रहे हैं। कचरे के ढेरों पर खाने की तलाश में मंडराते लावारिस पशु उन्हें रास्तों पर ही बिखेर देते हैं जो आखिरकार जनता के लिए ही तकलीफें बढ़ाने वाला साबित होता है। स्थानीय जनता का कहना है कि क्षेत्र में लावारिस पशुओं में गौवंश तो उनकी परेशानियों का कारण हैं ही लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कतें लावारिस कुत्तों से बना हुआ है। अब तक कई लोगों को काट चुकने के बावजूद भी नगरनिगम प्रशासन इस ओर ध्यान देने को तय्यार नहीं है। उनकी मांग है कि नगरनिगम को पशुपालन विभाग के साथ मिलकर उनके बध्याकरण करने के साथ उनका आवश्यक इंतजाम करना चाहिए।
सीवर लाइन नहीं होने से लोग हो रहे हैं परेशान
क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का भी टोटा बना हुआ है। इलाके में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तो है लेकिन उसमें सामान्य स्वास्थ्य सुविधाओं का अकाल होने के कारण लोगों को आखिरकार कई किलोमीटर का सफर तय करके या तो बेस अस्पताल कोटद्वार पहुंचना पड़ता है या फिर शहर के निजी अस्पतालों की सेवा लेनी पड़ती है। ऐसे में स्थानीय निवासियों की मांग है कि शहर के दूर होने के मद्देनजर स्वास्थ्य विभाग को मौजूद प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में आवश्यक सुविधाओं को बढ़ाना चाहिए जिससे उन्हें परेशानियां न उठानी पड़ें। इलाके में सीवरलाइन नहीं होने के कारण भी लोग परेशान हैं। उनका कहना है कि लम्बे समय बाद भी इस मामले पर सोचा तक नहीं गया है जो परेशान करनेवाला है। सार्वजनिक स्थानों पर उगी झाड़ियों की वजह से भी क्षेत्रवासी मुश्किलों में हैं। जंगली जानवरों को छुपने का आश्रयस्थल बनी झाड़ियों की सफाई नहीं होने से कई बार लोगों को झाड़ियों में जंगली जानवर दिखाई भी देते हैं।
चोक पड़ी नालियों की सफाई न होने से दिक्कत
उत्तरी झंडीचौड़ के रास्तों पर पूरे बस्तीक्षेत्र में एक भी सार्वजनिक शौचालय की सुविधा नहीं है और ना ही सार्वजनिक पेयजल के नाम पर ही कोई इंतजाम हैं। इस कारण आम जनता को रोज मुश्किलें उठानी पड़ रही हैं। विशेषतौर पर महिलाओं को सबसे ज्यादा दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। क्षेत्र में चोक ड्रेनेज सिस्टम भी लोगों की सरदर्दी बढ़ा रहा है। लम्बे समय से गंदगी व कचरे से चोक पड़ी नालियों की सफाई नहीं होने से उनसे निकलता गंदा पानी सड़कों पर बहकर उनकी स्थिति तो खराब कर ही रहा है लेकिन इस कारण फैलती गदंगी के बीच लोगों को आनेजाने के दौरान दिक्कतें भी होती हैं। तेलीश्रोत नाले की स्थिति तो इस कारण बेहद खराब है जहां रोज पड़ते कचरे के ढेरों से वो बुरी तरह चोक हो गया है। बरसात में तो स्थिति तब बेहद खराब हो जाती है जब चोक नालियों और नालों के कारण तालाब में बदल जाने वाली सड़कों से होता हुआ पानी आवासीय भवनों में घुसने लगता है। सामान्य दिनों में ही जलभराव की समस्या रहती है।
सुझाव
1. शहर के मुख्य भाग की तरह ही इस क्षेत्र को भी सीवरलाइन व्यवस्था से जोड़ा जाय।
2. क्षतिग्रस्त पेयजल लाइनें ठीक हों व चोक नालियों को खोलकर गंदे पानी की निकासी की जाय।
3. बदहाल सड़कों व सम्पर्कमार्गों का सुधारीकरण हो और सार्वजनिक स्थानों पर झाड़ियों की सफाई हो।
4. पर्याप्त कूड़ेदानों की व्यवस्था के साथ नियमित सफाईकर्मी की व्यवस्था हो। लावारिस पशुओं का हो इंतजाम।
5. क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों व गूलों की हो मरम्मत। सार्वजनिक पेयजल व शौचालय की सुविधा मिले।
शिकायतें
1. क्षेत्र में सीवरलाइन नहीं होने से कुछ जगह खुले में बहता है सीवर जिस वजह से दिक्कतें होती हैं।
2. क्षतिग्रस्त पेयजल लाइनों व चोक नालियों की वजह से पानी सड़कों पर बहकर उन्हें खराब कर रहा है।
3. खस्ताहाल सड़कों व सम्पर्कमार्गों के कारण आवाजाही में हो रही परेशानियां।
4. न तो पर्याप्त कूड़ेदान हैं और ना ही नियमित सफाईकर्मी की कोई व्यवस्था है।
5. क्षतिग्रस्त सिंचाई नहर और गूलों से खेती प्रभावित। सम्पर्क मार्गों पर पेयजल व शौचालय सुविधा नहीं है।
हमारी आवाज सुनो
कृषिक्षेत्र होने के बावजूद यहां काश्तकारों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल पाता है, जिस कारण आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है सिंचाई के लिये पर्याप्त पानी उपलब्ध कराया जाए।-हरेन्द्र सिंह
लो प्रेशर के कारण पीने के पानी की समस्या लगातार बनी रहती है। गर्मियों में तो स्थिति और भी विकट हो जाती है। इस समस्या का जल्द से जल्द समाधान होना चाहिये। -जौंटी धूलिया
क्षेत्र में बह रहे नाले की कभी सफाई नहीं की जाती है। लोग इसी में अपना कूड़ा फेंक देते हैं। जिससे हर वक्त दुर्गन्ध बनी रहती है। नगरनिगम को सफाई व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए।-वीरेन्द्र जखमोला
बच्चों की पढ़ाई के लिए यहां पर लाइब्रेरी की व्यवस्था बनाई जानी चाहिये। इसके अलावा क्षेत्र में युवाओं के लिए जिम भी होना चाहिये। समस्याओ का समाधान हो। -रामपाल सिंह
सिंचाई व्यवस्था बिल्कुल खराब है। नलकूपों को आपस में जोड़ा जाना चाहिये। जिससे सिंचाई व्यस्था सुचारू रह सके। सिंचाई के लिये पर्याप्त पानी नहीं मिलने से खेती प्रभावित हो रही है।-रामचंद्र ध्यानी
पूरे क्षेत्र में सार्वजनिक पेयजल सुविधा नहीं है इसलिये मुख्य स्थानों पर पानी की टंकी लगाई जानी चाहिए, ताकि दुकानदारों और राहगीरों को पानी मिल सके। गर्मियों में लोग पानी को न भटकें।-ओमेन्द्र पटवाल
सिंचाई नहरों की हालत बेहद खराब है। नालियां जगह-जगह से टूटी हुई हैं। देखरेख के अभाव में उनमें झाड़ियां उग आई हैं। पानी की निकासी व्यवस्था को ठीक किया जाना चाहिए। -रोहित चौधरी
स्वास्थ्य सेवाओं का अकाल पड़ा हुआ है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में उपचार की समुचित व्यवस्था न होने के कारण लोगों को यहां-वहां भटकना पड़ता है। बीमार होने पर दिक्कतें होती हैं। -नितिन सिंह
बरसात के मौसम में जलभराव हो जाता है जिस वजह से घरों के अंदर तक पानी चला जाता है और लोगों को परेशानियां उठानी पड़ती हैं। नगर निगम को इस मामले पर ध्यान देना चाहिए। -संजय सिंह
लावारिस कुत्तों ने लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल कर दिया है। आये दिन लोगों को काट लेते हैं। इस समस्या का समाधान किया जाए। -अवतार सिंह
सड़कों की हालत खराब है। लम्बे समय से इनकी मरम्मत नहीं की गई है। लोगों को आनेजाने में काफी दिक्कत होती है। कई जगह जलभराव से भी सड़कों की स्थितियां बदतर बनी हुई है।-देवेन्द्र
नालियों और सिंचाई गूलों की हालत बेहद खराब हैं। टूटीफूटी और चोक होने के कारण दिक्कतें हो रही हैं। सिंचाई विभाग के साथ नगरनिगम को भी इन्हें दुरुस्त करना चाहिए। -योगिता जखमोला
बोले जिम्मेदार
वार्ड की समस्याओं से वाकिफ हूं। अधिकारियों को समस्याओं के निस्तारण के आदेश दिए गए हैं। नये निगम बोर्ड के गठन के साथ हमारी कोशिश है कि उपरोक्त सभी समस्याओं का निर्धारित अवधि में समाधान हो सके। जिन समस्याओं का हल कम समय में हो सकता है, उन्हें पहले प्राथमिकता दी जाएगी। -शैलेंद्र रावत, मेयर, नगर निगम, कोटद्वार
क्षेत्र की समस्याओं के निस्तारण के लिए लगातार प्रयासरत हूं। मेरी कोशिश है कि जनसहयोग के साथ सभी समस्याओं का समाधान किया जा सके। निर्वाचित हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है इसलिये थोड़ा समय जरूर लगेगा, लेकिन उनका समाधान मेरी प्राथमिकता है। -रजनीश बेबनी, पार्षद, नगर निगम
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