बोले देहरादून : पुलिस पेंशनर्स चाहते हैं मेडिकल से जुड़े बिलों का वक्त पर भुगतान
उत्तराखंड में पीपीएस (रिटायर्ड) ऑफिसर वेलफेयर एसोसिएशन ने एसजीएचएस योजना के तहत पेंशनरों के चिकित्सा बिलों का भुगतान न होने पर नाराजगी जताई है। पेंशनरों का कहना है कि उन्हें गोल्डन कार्ड की सुविधा...
पीपीएस (रिटायर्ड) ऑफिसर वेलफेयर एसोसिएशन उत्तराखंड ने एसजीएचएस योजना के तहत राजकीय पेंशनर और आश्रितों के चिकित्सा उपचार में खर्च धनराशि के बिलों के भुगतान की मांग शासन और प्रशासन से कई बार उठाई जा चुकी है। इसके बाद भी राजकीय पेंशनरों का भुगतान नहीं किया जा रहा है। लंबे समय से बिलों का भुगतान न होने से राजकीय पेंशनरों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। उनका कहना है कि लंबे समय से यह मुद्दा उठाए जाने के बावजूद इसका निस्तारण नहीं किया जा रहा है। प्रस्तुत है दीपिका गौड़ की रिपोर्ट...
उत्तराखंड सरकार की ओर से लागू एसजीएचएस (स्टेट गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम) का मकसद सरकारी कर्मचारी, पेंशनर और उनके आश्रितों को कैशलेस स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराना था। इसके तहत दिए जा रहे गोल्डन कार्ड की सुविधा का लाभ सूचीबद्ध सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में लिया जा सकता है। इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत एक जनवरी 2021 को हुई थी। इसे केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) की तर्ज पर लागू किया गया था। लेकिन, जमीनी हकीकत इससे अलग तस्वीर पेश कर रही है। भागदौड़ भरी प्रक्रिया, भुगतान में देरी: पुलिस पेंशनभोगियों का कहना है कि इस योजना के उद्देश्यों के अनुरूप बिलों का त्वरित और पारदर्शी तरीके से भुगतान नहीं हो पा रहा है। पुलिस पेंशनर्स को इलाज के बाद लंबी और जटिल प्रक्रिया से गुजरते हुए बिलों को मंजूरी के लिए प्राधिकरण को भेजना पड़ता है, जिसमें समय की बर्बादी तो होती ही है, मानसिक तनाव भी बढ़ता है।
रिटायर्ड अफसरों की पीड़ा
‘हिन्दुस्तान’ के ‘बोले देहरादून’ अभियान के तहत पीपीएस (रिटायर्ड) ऑफिसर वेलफेयर एसोसिएशन उत्तराखंड के सदस्यों से बातचीत में कई तथ्य सामने आए। इस एसोसिएशन का कहना है कि उत्तराखंड से सेवानिवृत्त हुए वे कर्मचारी, जो वर्तमान में उत्तर प्रदेश में रहते हैं, उनको गोल्डन कार्ड नहीं जारी किए जा रहे हैं। वे न तो उत्तराखंड और न यूपी में इलाज की सरकारी सुविधा का लाभ उठा पा रहे हैं। सरकार को चाहिए कि वो समाधान की दिशा में पहल करे। उनकी यह भी मांग है कि गोल्डन कार्ड योजना को वास्तविक रूप से कैशलेस बनाया जाए और बिल भुगतान प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी एवं ऑनलाइन किया जाए।
हर महीने अंशदान तो लिया जा रहा उस तरह की सुविधा नहीं मिल रही
उत्तराखंड में एसजीएचएस की शुरुआत सरकारी कर्मचारी, पेंशनर और उनके आश्रितों को निःशुल्क चिकित्सा उपचार प्रदान करने के लिए की गई थी। इस योजना के दायरे में आने वालों को गुणवत्तापूर्ण और सस्ती चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना मकसद था। पेंशनरों का कहना है कि मेडिकल लाभ के नाम पर हर महीने अंशदान तो लिया जाता है, लेकिन उस तरह की सुविधाएं नहीं दी जा रही हैं। पीपीएस (रिटायर्ड) ऑफिसर वेलफेयर एसोसिएशन उत्तराखंड के सदस्यों ने बताया कि वे मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं होने के कारण परेशान हैं। उन्होंने बताया कि कभी अधूरे दस्तावेज तो कभी दस्तावेज में त्रुटि, अस्थाई और अमान्य बिलों का बहाना बनाकर भी चिकित्सा बिलों का भुगतान समय पर नहीं किया गया। सीएम-मंत्री के दफ्तरों के चक्कर काटने के बाद भी सुनवाई नहीं हुई।
उत्तराखंड में की नौकरी, अब गोल्डन कार्ड के लाभ से वंचित
उत्तर प्रदेश से अलग बने राज्य उत्तराखंड में कई पुलिस अधिकारी और कर्मचारी ऐसे भी हैं, जिन्होंने उत्तराखंड में नौकरी की और वे उत्तर प्रदेश के मूल निवासी हैं या सेवानिवृत्त होने के बाद इनमें से अधिकतर लोग यूपी चले गए हैं। पीपीएस एसोसिएशन का कहना है कि यूपी में भी ऐसे पेंशनरों के गोल्डन कार्ड नहीं बन पा रहे हैं। सरकार ही अपनी योजना से इन पेंशनरों को वंचित करने का काम कर रही है।
जिन अस्पतालों में सुविधा, वे इस योजना में शामिल ही नहीं
राज्य सरकार के कर्मचारियों, पेंशनरों और आश्रितों के लिए एसजीएचएस को लागू तो किया गया, लेकिन रिटायर कर्मचारियों ने इस योजना में ही कई तरह की खामियां गिनाकर आक्रोश जताया। उन्होंने बताया, विभिन्न अस्पतालों का भुगतान कई करोड़ तक पहुंच गया है। इस कारण सुविधाएं देने वाले कई बड़े अस्पतालों ने इलाज करने से अब साफ मना कर दिया है। जिन अस्पतालों में सुविधा है, वो इस योजना में शामिल नहीं हैं।
सरकारी योजना से सुविधा की बजाय परेशानी अधिक
जब से यह योजना बनी है, तब से सुविधा की बजाय परेशानी ज्यादा झेलनी पड़ रही है। कई बार शिकायत की जा चुकी है। इसके बाद भी कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही है। हम गोल्डन कार्ड सुविधा के नाम पर सिर्फ और सिर्फ लाचार महसूस कर रहे हैं। क्योंकि, एसजीएचएस को कैशलेस इलाज सुनिश्चित करने के लिए लाया गया था। ऐसा बताया गया था कि गोल्डन कार्ड के तहत कर्मचारियों और पेंशनरों को किसी भी सूचीबद्ध सरकारी या निजी अस्पताल में इलाज कराने का अधिकार होगा। लेकिन, यह योजना अपने उद्देश्य को पूरा करती नजर नहीं आ रही है। क्योंकि, पुलिस के सेवानिवृत्त कर्मियों को एसजीएचएस का लाभ नहीं मिल रहा है। -जीसी पंत, मुख्य संरक्षक-पीपीएस (रिटायर्ड) ऑफिसर वेलफेयर एसोसिएशन उत्तराखंड
अपना ही उपचार करवानेके लिए भटक रहे पेंशनर
सातवें वेतन आयोग के अनुसार, लेवल-एक से पांच तक-250, लेवल-छह से 450, लेवल सात से 11 तक-650 और लेवल 12 एवं इससे ऊपर 1000 रुपये का अंशदान लिया जाता है। लेकिन, उस हिसाब से सुविधा हमें नहीं मिल रही है। इस योजना की शर्तों का साफ तौर पर उल्लंघन हो रहा है। अपना ही इलाज कराने में पेंशनरों को परेशानी आ रही है। क्योंकि, जिन सूचीबद्ध अस्पतालों में इलाज का अधिकार मिला, अब उन्होंने भी भुगतान नहीं होने पर इससे हाथ खड़े कर दिए हैं। मेरा सुझाव है कि सरकार को इस बाबत गंभीरता से सोचना चाहिए। इसके साथ ही इस योजना को योजनाबद्ध तरीके से चलाने के लिए प्रयास करना चाहिए, ताकि इसका लाभ हर कोई उठा सके।-बीडी जुयाल, उपाध्यक्ष-पीपीएस (रिटायर्ड) ऑफिसर वेलफेयर एसोसिएशन उत्तराखंड
चक्कर काटने के बाद भी किसी ने वादा नहीं निभाया
हमारी एसोसिएशन ने सीएम-मंत्री, सचिव समेत हर किसी कार्यालय में समस्याएं रखीं। क्योंकि, पेंशनरों के बिलों का भुगतान नहीं होने के कारण वे परेशान हो चुके थे। लेकिन, चक्कर काटने के बाद भी इन बिलों का भुगतान समय पर नहीं हो पा रहा है। कहीं से भी आश्वासन के सिवाय राहत नहीं मिल पाने के कारण पेंशनर नाराज हैं। सरकार की ओर से जब गोल्डन कार्ड की योजना शुरू की गई थी, सभी कर्मचारियों और पेंशनरों में भी उत्साह देखने को मिला था। लेकिन, अब मौजूदा स्थिति इसके विपरीत होती जा रही है। इस योजना से पुलिस पेंशनरों का भरोसा अब उठता जा रहा है। इस बारे में सरकार को जल्द से जल्द उचित कदम उठाने चाहिए। -डीपी जुयाल, संरक्षक-पीपीएस (रिटायर्ड) ऑफिसर वेलफेयर एसोसिएशन उत्तराखंड
उत्तराखंड से उत्तर प्रदेश गए पूर्व कर्मियों के बारे में भी सोचे सरकार
उपचार के नाम पर हमारी पेंशन से हर माह पूरा अंशदान काटा जाता है। लेकिन, इसके बाद भी इलाज अधूरा मिल रहा है या फिर यूं कहें कि अब कई अस्पतालों से इलाज मिलना भी बंद हो गया है। आज सेवानिवृत्त होने के बाद भी पेंशनरों को बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है और न ही बिलों का भुगतान समय पर हो पा रहा है। उत्तराखंड से सेवानिवृत्त होकर उत्तर प्रदेश जाने वाले कर्मचारियों के गोल्डन कार्ड तक नहीं बन रहे हैं। इस कारण वे इस सुविधा का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। क्योंकि, उत्तराखंड में एसजीएचएस कार्ड बनवाने के लिए कर्मचारियों को जीआरडी नंबर और केवाईसी के लिए आधार कार्ड की जरूरत होती है। लेकिन, उत्तर प्रदेश में एसजीएचएस कार्ड बनवाने के लिए कर्मचारियों को जीआरडी नंबर की जगह किसी दूसरे नंबर की जरूरत पड़ती है। इस कारण भी रिटायर कर्मचारियों के वहां एसजीएचएस कार्ड नहीं बनाए जा रहे हैं और उन्हें इस योजना से वंचित किया जा रहा है। यह किसी भी प्रकार से उचित नहीं है। -श्रीधर प्रसाद बडोला, महासचिव-पीपीएस (रिटायर्ड) ऑफिसर वेलफेयर एसोसिएशन उत्तराखंड
गोल्डन कार्डधारकों को अच्छी चिकित्सा सुविधाएं दिलाएंगे
पुलिस पेंशनर्स हों या फिर दूसरे सरकारी विभागों के पेंशनर्स और कर्मचारी। गोल्डन कार्ड की योजना में सभी जरूरतमंदों को अच्छा इलाज मिल सके, इसकी पूरी व्यवस्था की जा रही है। अभी कुछ परेशानियां आ रही हैं, उनको दूर कराया जा रहा है और जल्द ही इस व्यवस्था में सुधार करते हुए गोल्डन कार्ड धारकों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
-डॉ. धन सिंह रावत, स्वास्थ्य मंत्री
सुझाव
1. राज्य कर्मचारियों एवं पेंशनरों के बिलों का भुगतान यथाशीघ्र हो।
2. इस योजना में बेहतर सुविधाएं देने वाले अस्पताल जोड़े जाएं।
3. उत्तराखंड से रिटायर्ड कर्मचारियों को उत्तर प्रदेश में भी गोल्डन कार्ड की सुुविधा दी जानी चाहिए।
4. सरकार सूचीबद्ध अस्पतालों का बकाया भुगतान करे, ताकि कर्मचारियों को ऐसे अस्पतालों में भी उपचार मिल सके।
5. विभाग और अधिकारी संज्ञान लेकर कर्मचारियों की समस्याओं का त्वरित निस्तारण करवाएं।
शिकायत
1. लंबे समय से चिकित्सा बिलों का भुगतान नहीं किया गया है।
2. हर महीने अंशदान तो लिया जाता है, लेकिन उस हिसाब से सुविधा नहीं दी जा रही है।
3. उत्तराखंड से सेवानिवृत्त उत्तर प्रदेश में रहने वाले पेंशनर गोल्डन कार्ड के लिए परेशान हो रहे हैं।
4. निजी अस्पतालों का भुगतान समय से नहीं करने के कारण वे उपचार देने से मना कर रहे हैं।
5. शासन-प्रशासन के सामने यह मामला उठाए जाने के बाद भी पेंशनरों को राहत नहीं मिली।
अपनी-अपनी बात
इस योजना में सुविधा से ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है। कई बार विभागों में शिकायत की जा चुकी है। इसके बाद भी हमारे पक्ष में कोई उचित कदम नहीं उठाया जा रहा है। -विरेंद्र प्रसाद डबराल
जैसा अंशदान इस योजना के तहत हमसे लिया जा रहा है, उस हिसाब की सुविधा हमें नहीं मिल रही हैं। इस वजह से इलाज कराने में पेंशनरों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। -एमएस फर्स्वाण
पीपीएस एसोसिएशन ने हर स्तर अपनी समस्याएं बताई हैं। इसके बाद भी किसी की ओर से समाधान नहीं निकाला गया है। हमारा भरोसा अब उठता जा रहा है और लोग आक्रोशित हो चुके हैं। -विरेंद्र कुमार शर्मा
जो लोग यूपी में बस गए हैं तो वहां उन्हें इस योजना से वंचित किया जा रहा है। ऐसा नियमों के विरुद्ध हो रहा है। जबकि, हर पेंशनर्स को इस सुविधा का लाभ मिलना चाहिए। -इंद्रजीत सिंह रावत
पूरा जीवन उत्तराखंड में रहकर कर्मचारियों ने काम किया। अब सेवानिवृत्त होने के बाद यूपी में आ गए हैं तो वहां पर इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। इसको लेकर चक्कर काटने पड़ रहे हैं। -जीबी पांडे
अधिकारी कभी पूरे दस्तावेज होने के बाद भी अधूरे दस्तावेज, दस्तावेजों में त्रुटि तो कभी अस्थायी और अमान्य बिल की बात कह देते हैं। इस कारण भी चिकित्सा बिलों का भुगतान नहीं हो पाता है। -कुलदीप सिंह असवाल
उत्तराखंड से रिटायर्ड होने वाले कर्मचारियों को उत्तर प्रदेश में भी गोल्डन कार्ड की सुविधा दी जानी चाहिए थी। यह योजना हर पेंशनर के लिए है तो किसी को भी इससे हटाया नहीं जा सकता। -पीएस रावत
पेंशन से हर महीने पे-स्केल के हिसाब से अंशदान लिया जाता है। ढाई सौ से एक हजार के बीच तक का पैसा लिया जाता है। इसके बावजूद हमें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। -सीके चक्रवर्ती
हम चिकित्सा बिलों के भुगतान को लेकर कई बार विभागों में गए हैं। वहां भी हमको कोई सही जवाब नहीं मिल रहा है। बिलों के भुगतान में कई परेशानियां आ रही हैं। -एसएस यादव
इलाज कराने के लिए हमें जिन अस्पतालों की जानकारी दी गई थी या जो इस योजना के तहत आते थे। अब वही अस्पताल इलाज करने से मना कर रहे हैं। - उमेश पाल सिंह रावत
सरकारी कर्मचारियों के लिए एसजीएचएस योजना के तहत गोल्डन कार्ड बनाए गए थे। लेकिन पेंशनर्स को किसी भी तरह का लाभ नहीं मिल रहा है। -जवाहर लाल
पेंशनर को ओडीटी यानी आउट डोर ट्रीटमेंट में अस्पतालों को पैसे देने पड़ते हैं। इन बिलों को लेकर जब हम विभाग में जाते हैं तो वहां से भुगतान नहीं हो पाता है। -जागेंद्र सिंह
जो लोग इस योजना से वंचित हैं, उन्हें भी इस का लाभ मिलना ही चाहिए, ताकि वे अपना उपचार करवा सकें। इस बारे में सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे। -एसबी त्यागी
सूचीबद्ध अस्पतालों का भुगतान समय पर हो, तो हमें भी परेशानी नहीं आएगी और इन अस्पतालों में आसानी से इलाज हो सकेगा। विभाग भी पेंशनर के बिल का भुगतान करे।-अशोक त्यागी
इस योजना के तहत आने वाले निजी अस्पताल भी अब इलाज करने से इनकार करने लगे हैं। ऐसे में हमको मजबूरन दूसरे अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। -राजेंद्र सिंह बिष्ट
एसजीएचएस योजना के तहत आज सेवानिवृत्त होने के बाद भी पेंशनरों को बेहतर उपचार नहीं मिल पा रहा है और न ही चिकित्सा से जुड़े बिलों का भुगतान हो रहा। -बीके जुयाल
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