मल प्रत्यारोपण से होगा आईबीडी का इलाज
Varanasi News - बीएचयू के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. देवेश यादव ने कहा कि पेट दर्द, ऐंठन और मल में रक्त के लक्षण इन्फ्लेमेटरी बॉवेल सिंड्रोम (आईबीडी) के संकेत हैं। बीएचयू में मल प्रत्यारोपण से इसका इलाज...

वाराणसी, कार्यालय संवाददाता। बीएचयू के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. देवेश यादव ने कहा कि पेट दर्द और ऐंठन, मल में रक्त, दस्त अगर आ रहा है तो इसे हल्के में न लें। ये इन्फ्लेमेटरी बॉवेल सिंड्रोम (आईबीडी) के लक्षण हैं। बीएचयू में मल प्रत्यारोपण से अब इसका इलाज होगा। प्रदेश में पहली बार इस तरह का ट्रायल शुरू होगा। बीएचयू के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के सेमिनार हॉल में प्रेस कांफ्रेंस कर उन्होंने कहा कि आईबीडी के प्रति जागरूकता के लिए हर साल 19 मई को खास दिवस मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि भारत में करीब 15 लाख इसके मरीज हैं। ये बीमारी दवा से ठीक नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि बीएचयू के आईबीडी क्लीनिक में 2021 से अभी तक कुल 1388 मरीज पंजीकृत हुए हैं। गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के डॉ. अनुराग तिवारी ने कहा कि कई बार लोग आईबीडी को पाइल्स समझ लेते हैं। ऐसे में लोग अंतर को समझें और विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें। डॉ. सुनील शुक्ला ने कहा कि इससे बचाव के लिए डिब्बाबंद खाना, दूध, लाल मांस, तेल एवं मसालेदार भोजन, कोल्ड ड्रिंक, पिज्जा का सेवन नहीं करें। डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि वजन घटना और भूख कम लगना भी इसका लक्षण है। ऐसे में मरीजों को छाछ, दही, केला, दलिया, मिक्स सब्जी, लौकी खानी चाहिए। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. ब्रजेश कुमार ने किया। 50 ग्राम स्टूल का सैंपल लेंगे डॉ. देवेश ने बताया कि अगर किसी को आईबीडी की समस्या होगी तो हम लोग स्वस्थ्य व्यक्ति का मल प्रत्यारोपण करेंगे। सैंपल के तौर पर 50 ग्राम मल लिया जाएगा। शर्त ये रहेगी कि डोनर कोई नशा नहीं करता हो और उसे कोई बीमारी नहीं हो। लोग बीएचयू में भी मल डोनेट कर सकते हैं। लैब टेक्निशियन डोनर के घर जाकर भी सैंपल लेंगे।
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