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जिसके पास ज्ञान वही सबसे धनी : प्रो. पीएन सिंह

Varanasi News - बीएचयू के प्रो. पीएन सिंह ने कहा कि ज्ञान समाज को उन्नत करता है। संगोष्ठी में नैतिकता और शोध में नवाचार की आवश्यकता पर बल दिया गया। प्राचार्य प्रो. रजनीश कुंवर ने कहा कि अनुसंधान समाज के लिए लाभकारी...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSun, 11 May 2025 11:43 PM
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जिसके पास ज्ञान वही सबसे धनी : प्रो. पीएन सिंह

वाराणसी, मुख्य संवाददाता। हमारे अनेक आचार्यों एवं अन्वेषकों ने कठिन परिश्रम करके ज्ञान अर्जित किया। यही ज्ञान सभ्यता, समाज को उन्नत करती है। आज का समाज ज्ञान का समाज है। जिसके पास ज्ञान तंत्र है वह सबसे धनी है। ये बातें बीएचयू के अंतर विश्वविद्यालय अध्यापक शिक्षा केंद्र के निदेशक प्रो. पीएन सिंह ने कहीं। वह रविवार को हरिश्चंद्र स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आयोजित संगोष्ठी के मुख्य अतिथि थे। ‘आंतरिक गुणवत्ता एवं अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित ‘रिसर्च मेथडोलॉजी विषयक संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि हमें वैश्विक स्पर्धा में आने की आवश्यकता है। नैतिकता को जीवित रखना आवश्यक है। जब तक नैतिक बोध विकसित नहीं होगा तब तक उत्तम कार्य संभव नहीं होगा।

विश्व के कल्याण के लिए शोध में नवाचार, शुद्धता एवं परिसंगतता, तर्कसंगतता होनी चाहिए l शोधार्थी में नैतिक बोध एवं नैतिक जिम्मेदारी का होना आवश्यक है l अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो. रजनीश कुंवर ने कहा कि अनुसंधान समाज के लिए लाभकारी होने के साथ-साथ नवीनतम भी होना चाहिए। इसमें दोहराव भी नहीं होना चाहिए। असल मायने में शोधकर्ता वे होते हैं, जो त्रिस्तरीय जांच से गुजर कर शिखर तक पहुंचते हैं। आधारभूत संरचना भी काफी मायने रखती है l शिक्षकों के प्रखर नहीं होने से शोधकर्ता को जो फायदा होना चाहिए वह नहीं हो पाता है l प्रथम सत्र में बीएचयू की प्रो. मीनाक्षी सिंह ने अनुसंधान पद्धति की बुनियादी अवधारणाओं के बारे में चर्चा की। उन्होंने रिसर्च मेथडोलॉजी तथा रिसर्च मेथड के बीच अंतर को स्पष्ट किया। द्वितीय सत्र में बीएचयू के प्रो. विनोद कुमार तिवारी ने समझाया कि कैसे एक अच्छा शोध समाज के विकास में मदद करता है l संयोजक प्रो. अनिल कुमार ने विषय की स्थापना की। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल के 200 विद्यार्थी शामिल हुए। रिसर्च मेथडोलॉजी विषय पर चतुर्थ सेमेस्टर के 50 विद्यार्थियों एवं 25 शोधार्थियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए। अतिथियों ने स्मारिका का भी विमोचन किया। स्वागत प्रो. अनुराधा राय, संचालन प्रो. वीके. निर्मल एवं धन्यवाद प्रो. ऋचा सिंह ने दिया।

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