मुआवजे के बदले 12 लाख रुपए की रिश्वत ली, अमीन पर बड़ा ऐक्शन, सस्पेंड
यूपी के कानपुर में अमीन पर रिश्वत लेने पर बड़ा ऐक्शन हुआ है। मुआवजे के बदले 12 लाख रुपए की रिश्वत लेने के मामले में अमीन को सस्पेंड कर दिया गया है। इसके साथ ही जांच बैठा दी गई।

यूपी के न्यू कानपुर सिटी जमीन अधिग्रहण का मुआवजा दिलाने के नाम पर अमीन ने 12 लाख रुपये घूस के ले लिए। घूस का पैसा चेक के जरिए अपने दोस्त के खाते में ट्रांसफर कराने के बाद अमीन ने 12 लाख रुपये टीडीएस भुगतान के नाम पर और मांगे। किसान ने सीधे केडीए वीसी से शिकायत की। वीसी ने अमीन को निलंबित करके पूरे मामले की जांच केडीए सचिव को दे दी है।
बिठूर में केडीए न्यू कानपुर सिटी योजना ला रहा है। इसके लिए 153 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना है। नोडल अफसर ओएसडी रवि प्रताप सिंह है। बिठूर के गंगपुर चकबदा निवासी किसान मनोज राठौर ने केडीए वीसी से शिकायत की। किसान ने बताया कि आराजी संख्या 135 रकबा 0.5330 के जुज भाग रकबा 0.205 हेक्टेयर में उसकी जमीन है। जिसे केडीए ने न्यू कानपुर सिटी योजना के लिए अधिग्रहित किया है। उसके बदले में 1.38 करोड़ रुपये मुआवजा केडीए से उसे मिलना था। जिसके बदले में लैंड बैंक अनुभाग एक में तैनात अमीन संतोष कुमार ने उससे 12 लाख रुपये मांगे।
मुआवजे के बदले में 12 लाख रुपये की चेक संतोष कुमार को दी। जिसे संतोष ने अपने दोस्त के खाते में लगाकर पैसा निकाल लिया। तब उसे मुआवजे की चेक दी गई। 12 लाख रुपये घूस लेने के बाद अमीन ने टीडीएस के पैसे का भुगतान कराए जाने के लिए दोबारा 12 लाख रुपये मांगे। दोबारा 12 लाख रुपये न देने पर टीडीएस का भुगतान नहीं कराया गया। बार-बार उसे टीडीएस भुगतान के लिए घूस मांगी जा रही थी। वीसी ने किसान की बात को सुनकर तत्काल प्रभाव से अमीन संतोष कुमार को निलंबित कर दिया। पूरे मामले की जांच सचिव केडीए अभय कुमार पांडेय को दी है। संतोष कुमार को कार्मिक विभाग में अटैच किया गया है।
गर्ब्याल केडीए वीसी मदन सिंह ने बताया कि किसान से खुद आकर शिकायत की है। पहले 12 लाख किसान से खाते में लिए गए। फिर टीडीएस भुगतान के नाम पर 12 लाख मांगे जा रहे थे। अमीन को निलंबित किया गया है। जांच केडीए सचिव को दी गई है।
घूस का चेक न देने तक दबाए रहे मुआवजा
अमीन ने घूस की चेक न देने तक मुआवजे की चेक को दबा दिया। पूछने पर अमीन ने बार-बार फाइल आला अफसरों के पास होने का हवाला दिया। घूस के रूप में हस्ताक्षर की हुई चेक मिलने के बाद ही अमीन ने मुआवजे की चेक किसान को दी। इसके लिए उसको काफी समय तक चक्कर लगाना पड़ा। जब मुआवजे का पैसा मिल गया तो किसान को टीडीएस का पैसा दिलाने के नाम पर लगातार लटकाया जा रहा था। चक्कर लगाकर थकने के बाद किसान ने वीसी से शिकायत की। वहीं, मुआवजे की फाइल स्वीकृति के लिए सचिव स्तर तक जाती है। उसकी साइनिंग अर्थारिटी सचिव ही होते है। ऐसे में महीनों फाइल केडीए में रुकना और मुआवजे के बाद टीडीएस का पैसा दिलाने के नाम पर दोबारा 12 लाख रुपये की घूस मांगना यह बड़ा सवालियां निशान है।