संभल हिंसा: मस्जिद के सर्वे पर नाराजगी या कोई और थी साजिश की असल वजह? तलाश रहा प्रशासन
संभल में हिंसा के पीछे की साजिश की असल वजह तलाश रहा है प्रशासन। इसमें वर्चस्व की लड़ाई भी अहम कड़ी है। सर्वे को लेकर नाराजगी से लेकर स्थानीय समीकरणों तक हिंसा के कारण फैले बताए जा रहे। निशाने पर आए दोनों नेताओं ने आरोपों को नकारा है।
संभल बवाल के तीसरे दिन भी प्रशासन और पुलिस साजिश की असल वजह तक पहुंचने की कोशिश करता रहा । हिंसा में मारे गए चारों युवकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद साफ है कि ये मौतें पुलिस की गोली से नहीं बल्कि भीड़ द्वारा चलाई गई तमंचे की गोलियों से हुईं। ऐसे में हिंसा को सुनियोजित साजिश से लेकर दो स्थानीय नेताओं की वर्चस्व की लड़ाई से भी जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं दोनों नेताओं ने इसे सिरे से इनकार किया है। उनका कहना है कि वे वर्षों बाद एक हुए है। प्रशासन अपने हित साधने के लिए उन्हें फिर से बांटने की कोशिश कर रहा है।
सीसीटीवी फुटेज और वीडियो से पुलिस लगा रही सुराग
पुलिस असली उपद्रवियों की पहचान करने में जुटी है। घटनास्थल पर लगे सीसीटीवी कैमरों और लोगों द्वारा बनाए गए वीडियो के आधार पर तहकीकात की जा रही है। इससे भीड़ को उकसाने और बवाल करने वाले लोगों की पहचान की जा रही है। प्रशासन ने हिंसा के नौ अलग-अलग फुटेज जारी किए हैं ताकि लोगों की मदद से भीड़ में शामिल नकाबपोशों को पहचाना जा सके। हिंसा वाले पूरे इलाके में वीडियो दिखाकर पूछताछ की जा रही है। भीड़ में शामिल सौ से अधिक चेहरे पहचान लिए जाने का दावा किया जा रहा है। पुलिस को अंदेशा है कि इसमें कुछ चेहरे दो पुरानी रंजिश रखने वाले नेताओं के करीबियों के हो सकते हैं। इनकी बारीकी से पड़ताल की जा रही है।
लोग भूले नहीं पुरानी अदावत, लोकसभा चुनाव में हुई थी दोस्ती
सदर विधायक नवाब इकबाल महमूद और सांसद जियाउर्रहमान बर्क के तुर्क परिवारों के बीच दशकों पुरानी राजनीतिक रंजिश इस हिंसा की अहम कड़ी के तौर पर देखी जा रही है। सांसद जियाउर्रहमान बर्क के दादा पूर्व सांसद स्व. डॉ शफीकुर्रहमान बर्क और सदर विधायक नवाब इकबाल महमूद के बीच वर्षों से राजनीतिक और पारिवारिक रंजिश चली आ रही थी।
दादा डा. बर्क के निधन के बाद जियाउर्रहमान बर्क ने एमपी चुनाव में पुरानी रंजिश को भुलाते हुए विधायक महमूद के घर जाकर गले लगाया और चुनाव में सहयोग की मांग की। जिसके बाद चुनाव में जियाउर्रहमान बर्क की जीत हुई। इसके बाद भी अंदेशा है कि संभल की सियासत में वर्चस्व की लड़ाई का एंगल अहम माना जा रहा है।
पुलिस का भी दावा है कि सपा के विधायक इकबाल महमूद के बेटे सुहेल इकबाल ने भीड़ को भड़काने वाले बयान दिए और सांसद जियाउर्रहमान बर्क के समर्थन का हवाला देकर भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया। मुकदमे में भी लिखा गया कि सुहैल ने ही भीड़ से कहा कि जियाउर्रहमान बर्क हमारे साथ है, हम लोग भी तुम्हारे साथ है। हम तुम्हे कुछ नहीं होने देंगे, अपने मनसूबों को पूरा करो।
इकबाल और बर्क ने आरोप नकारे, कहा-प्रशासन की साजिश
विधायक नवाब इकबाल महमूद ने किसी भी पुरानी रंजिश से इनकार करते हुए कहा कि वर्षों पुरानी दुश्मनी अब खत्म हो चुकी है। प्रशासन पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, यह पुलिस प्रशासन की चाल है, जो हमें अलग करना चाहता है। वर्षों बाद हम एक हुए। हमें अब मत बांटो। तुर्क-पठान की कोई लड़ाई नहीं। यह तो पुलिस प्रशासन की दोनों को अलग करने की चाल है। हम शहर में अमन शांति चाहते है। बवाल की हमें मजिस्ट्रेटी जांच नहीं न्यायालय के स्तर से रिटायर्ड जज करें। तभी संतुष्टि होगी। मजिस्ट्रेट पर यक़ीन नहीं है। उधर, सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने भी दावा किया कि प्रशासन साजिश के तहत मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की जा रही है। यह उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश है।