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हठ योगी पहुंचे महाकुंभ: किसी का 13 साल से एक हाथ खड़ा तो कोई तीन साल से एक पैर पर खड़े

  • महाकुंभ में साधु-संत पहुंच गए हैं। इनमें से एक का 13 साल से एक हाथ खड़ा है तो एक तीन साल से एक पैर पर खड़े हैं। इन्हें हठ योगी कहा जाता है। माहाकुंभ में एक से बढ़कर एक नागा तपस्वी आए हैं। ये विश्व और मानव कल्याण के लिए तपस्या कर रहे। आवाहन, जूना और अटल अखाड़े के हठ योगी पहुंचे।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान, संजोग मिश्र, प्रयागराजTue, 7 Jan 2025 10:11 AM
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13 जनवरी से शुरू हो रहे दुनिया के सबसे बड़े महाकुम्भ मेले में एक से बढ़कर एक तपस्वी और हठ योगी भी पहुंचे हैं। इनके कठिन और अविश्वनीय तप को देख हर कोई हतप्रभ रह जाता है। हठ योग की परंपरा सात शैव संप्रदाय के अखाड़ों में देखी जाती है। जूना, महानिर्वाणी, निरंजनी, आवाहन, आनंद, अटल और श्रीशंभू पंच अग्नि अखाड़े के नागा संन्यासी अपने पूरे परिवार और खुद का पिंडदान कर सांसारिक मोह-माया त्याग कर आध्यात्म के मार्ग पर निकल पड़ते हैं। इनमें से कुछ जिद्दी नागा विश्व और मानव मात्र के कल्याण के लिए हठ योग करते हैं। अपने शरीर को इस कदर कष्ट देते हैं कि आम आदमी सोचकर सिहर उठे। प्रस्तुत है महाकुम्भ में पहुंचे ऐसे ही कुछ हठ योगियों पर रिपोर्ट-

2011 से दाहिना हाथ खड़ा किए हैं महंत

विश्व और समाज कल्याण की कामना के साथ जूना अखाड़े के महंत राधे पुरी 2011 से दाहिना हाथ खड़ा किए हुए हैं। मध्य प्रदेश में उज्जैन के पास रहने वाले महंत राधे पुरी की घोर तपस्या के कारण उनका हाथ लकड़ी की तरह हो गया है। न तो वह मुड़ता है और न ही नीचे होता है। सोते-जागते, उठते-बैठते, खाते-पीते, कहीं आते-जाते या फिर कार वगैरह में बैठते हुए भी उनका हाथ ऊपर उठा रहता है।

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तीन साल से एक पैर पर खड़े हठ योगी

अटल अखाड़े के नागा बाबा भागीरथी गिरि नागा बाबा खड़ेश्वरी पिछले तीन साल से झूले के सहारे लगातार 24 घंटे एक पैर पर खड़े रहते हैं। झूले पर ही झुककर सो जाते हैं। उनका संकल्प है कि जब तक महिलाओं के खिलाफ अत्याचार और आतंकवाद खत्म नहीं होता वह तपस्या में लीन रहेंगे। सात साल की उम्र में संन्यासी बनने वाले खड़ेश्वरी बाबा पहले भी 12 साल खड़ेश्वरी तपस्या कर चुके हैं, उसके बाद दो साल विश्राम लिया और फिर तीन साल से एक पैर पर खड़े होकर हठ योग कर रहे हैं।

नौ साल से बायां हाथ खड़ा किए हैं नागा

आवाहन अखाड़े के महंत महाकाल गिरि नौ साल से बायां हाथ खड़ा किए हुए हैं। नागा बाबा महाकाल गिरि विश्व कल्याण, विश्व शांति, सनातन धर्म की रक्षा और वृद्धि के लिए यह तपस्या कर रहे हैं। उनका हाथ भी पूरी तरह से लकड़ी की तरह हो गया है। उगंलियां टेड़ी-मेढ़ी होकर आपस में उलझ गई हैं और नाखून बेतरतीब ढंग से बढ़ चुके हैं। वह सात-आठ के थे जब संन्यास परंपरा में आ गए। वर्तमान में लगभग 30 साल के हैं।

दस डिग्री में 60 घड़े जल से नागा की जलधारा तपस्या

संगम तट पर भोर में 4.15 बजे खून जमाने वाली ठंड में अटल अखाड़े के नागा बाबा प्रमोद गिरि दर्जनों घड़े ठंडे पानी से स्नान कर हठ योग कर रहे हैं। दो जनवरी को उन्होंने 51 घड़े जल से तपस्या शुरू की थी। प्रतिदिन दो और तीन घड़े बढ़ाते जाते हैं। उनकी तपस्या 24 दिन तक चलेगी और 108 घड़े जल से स्नान कर संकल्प को पूरा करेंगे। यह उनकी तपस्या का नौंवां साल है। सिद्धपीठ श्री हांडी कुंठी वाले नंगेश्वर बाबा की धूनी, दीवान का बाग, कैमला बाढ़रायल नया गांव गंगापुर सिटी राजस्थान के वर्तमान महंत नागा बाबा विश्व और समाज के कल्याण की कामना के साथ हठयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि शाम को घड़े भरकर रख देते हैं और भोर में ठंडे गंगाजल से स्नान करते हैं।

वरिष्ठ हड्डी रोग विशेषज्ञ बेली चिकित्सालय, डॉ. अजय राजपाल ने बताया कि एक ही स्थिति में शरीर के किसी अंग विशेष के रहने से कुछ दिनों के लिए दर्द महसूस हो सकता है लेकिन स्थाई स्थिति होने पर कोई दिक्कत नहीं होती। अटूट साधना और दृढ़ संकल्प मानसिक भाव से जुड़ा होता है, जिससे शारीरिक प्रभाव महसूस नहीं होता।

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