UP Floods: राप्ती और रोहिन उफान पर, 29 गांवों में घुसा बाढ़ पानी, कई गांव चपेट में आने का खतरा
राप्ती व रोहिन नदी उफान पर हैं। 29 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। गोरखपुर शहर से सटे एक दर्जन से अधिक गांवों में भी बाढ़ का पानी घुसा। पशुओं के साथ बाढ़ प्रभावित लोग बांध पर शरण ले रहे हैं।
गोरखपुर में राप्ती और रोहिन नदी का पानी बुधवार को भी उफान पर रहा। इसकी वजह से शहर से सटे कई गांव बाढ़ के पानी से गिर गए हैं और कई गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। अब लोग अपने साथ पशुओं को भी डोमिनगढ़ और हार्बर्ट बांध पर ला दिए हैं। राप्ती और रोहिन की चपेट में 29 गांव आ चुके हैं। इन गांवों की करीब 25 हजार आबादी प्रभावित हो चुकी है। प्रशासन का मानना है कि इसी तरह अगर पानी की रफ्तार बढ़ती रही तो कई और गांव बाढ़ की चपेट में आ सकते हैं।
राप्ती और रोहिन नदी शहर से सटे डोमिनगढ़ इलाके में एक साथ मिल जाती है। दोनों नदियों के मिलने से इस बार स्थिति बेहद गंभीर होती जा रही है। तीन बार आई बाढ़ में रोहिन खतरे के निशान को पार नहीं करती थी। लेकिन, इस वर्ष पहली बार है जब रोहिन सबसे पहले खतरे के निशान को पार कर गई है। इसकी वजह से राप्ती और रोहिन की चपेट में शहर से सटे उत्तरी कोलिया, डोमिनगढ़, उत्तरी बहरामपुर, दक्षिणी बहरामपुर, शेरगढ़, लालडिग्गी के निचले इलाके तकिया घाट, चकला अउवल, चकला दोयम एवं खिरवनिया, कठउर, झाड़वा, मंझरिया सहित 29 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से एक दर्जन गांवों में नाव लगा दी गई है। प्रशासन ने ग्रामीणों को सतर्क रहने के लिए कहा है। जिन गांवों में पूरी तरह से पानी घुस गया है। वहां के बाढ़ पीड़ितों ने अपने पशुओं के साथ आसपास के बंधों पर शरण ली है।
वहीं बड़हलगंज क्षेत्र के बगहा गांव पर एक बार फिर सरयू नदी का कटान तेज हो गया है। स्थिति यह है कि गड़ेरिया टोला पर कटान से बचाव कर रहा प्राचीन विशाल वट वृक्ष भी नदी में समा गया। वृक्ष के कटने के बाद नदी ने अपना रुख गांव के बचे घरों की तरफ कर लिया हैं। कटान की स्थिति देख ग्रामीण डरे हुए हैं।
किसी तरह घर सही किया गया था, फिर वही मुसीबत
कोलिया के इंद्रजीत ने बताया कि किसी तरह अगस्त में घर को फिर से साफ-सफाई करते हुए दवा का छिड़काव खुद ही किया था। लेकिन, सितंबर जाते-जाते एक बार फिर वही मुसीबत आ गई है। इस बार उम्मीद ऐसी नहीं थी कि बाढ़ आएगी लेकिन अचानक आई बाढ़ ने मुसीबत खड़ी कर दी है। गाय और भैंस को बंधे पर बांधना पड़ रहा है। इसी गांव की प्रिया बताती हैं कि गांव के आसपास खेत था। तीसरी बार जब बाढ़ खत्म हुई तो परिवार के लोगों ने फिर से सब्जी की खेती की थी। एक बार फिर बाढ़ ने डूबा दिया। हजारों रुपये पानी में डूब गए। उत्तरी कोलिया के राजेश ने बताया कि इस मौसम में आई बाढ़ ने परेशान कर दिया है।
राप्ती व रोहिन का जलस्तर बढ़ा, सरयू घटाव पर
राप्ती नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। यह नदी 24 घंटे में 27 सेंटीमीटर बढ़ी है। इसके बाद से अब यह खतरे के निशान से 82 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। रोहिन की बात करें तो इसी नदी की रफ्तार बढ़ने की कम हुई है। यह नदी 24 घंटे में केवल दो सेंटीमीटर बढ़ी है। इसके बाद भी यह खतरे के निशान से 87 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है। सरयू लगातार घटती जा रही है। यह नदी अब खतरे के निशान से 68 सेंटीमीटर नीचे बह रही है। वहीं, गोर्रा और कुआनो अभी भी खतरे के निशान से नीचे हैं। जिला आपदा अधिकारी पंकज गुप्ता ने बताया कि राप्ती नदी तेजी से बढ़ रही है। रोहिन की रफ्तार कम हुई है। अभी 29 गांव बाढ़ की चपेट में आए हैं।
बुधवार को नदियों का जलस्तर
नदी स्थान जलस्तर खतरे का निशान
घाघरा अयोध्या 92.050 92.730
राप्ती बर्डघाट 75.800 74.980
रोहिन तिनमुहानी 83.310 82.440
गोर्रा पिडरा 70.350 70.500
कुआनो मुखलिसपुर 77.310 78.650
रेगुलेटर नंबर दो और सात बंद किए गए
राप्ती और रोहिन नदी की बाढ़ को देखते हुए हार्बर्ट बांध पर शहर से नालों की पानी की निकासी के लिए बने रेगुलेटर नंबर दो, घोसी टोला और रेगुलेटर नंबर सात हांसूपुर को भी बुधवार को सिंचाई विभाग ने बंद कर दिया है। इससे पूर्व एक नम्बर डोमिनगढ़, नंबर तीन इलाहीबाग और चार नंबर मिर्जापुर को सिंचाई विभाग बंद कर चुका है। इसी तरह माधोपुर बांध पर बने बसियाडीह व सुभाष नगर के रेगुलेटर को बंद कर दिया गया है।
बाढ़ में डूबकर सौ एकड़ से अधिक फसल हुई नष्ट
तहसील मुख्यालय से दो किमी पश्चिम स्थित बिसरा तीन बार बाढ़ से प्रभावित हो चुका है। सरयू नदी के पानी से क्षेत्र के किसानों की करीब सौ एकड़ फसल डूबकर नष्ट हो गई है। लोगों का कहना है कि लेखपाल ने सर्वे कर लिया है, लेकिन किसी किसान को अभी तक मुआवजा नहीं मिला है। स्थानीय लोगों ने फसल के नुकसान का आंकलन कराकर मुआवजा की मांग की है।
बिसरा वार्ड के मौर्या टोला, बाबू साहब, बढ़ई टोला सहित अन्य मोहल्ले सरयू नदी के पानी से प्रभावित होते हैं। इस साल तीन बार नदी में उफान उठा, जिससे करीब सौ एकड़ खेतों में खड़ी धान की फसल डूब गई। क्षेत्र के किसान कुशचंद, ताम्रध्वज बहादुर चंद, सत्य नारायण सिंह, तेज बहादुर सिंह, अरविंद चंद, कृष्ण कुमार चन्द, रण विजय चंद, यश पाल चंद,सत्यवान चंद, रामाज्ञा यादव, राम वृक्ष मौर्य सहित किसानों की फसल पानीमेंखराबहोगई।