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बकरी के मांस में बाघों को अब दिलचस्पी नहीं, यूपी में फेल हो रहा ऑपरेशन टाइगर

  • बाघों की दिलचस्पी बकरी का शिकार करने में है नहीं और वन विभाग के पास भैंस का पड्डा बांधने के लिए न तो पिंजरा है और न ही बजट। इसी अटकल के चलते दक्षिण खीरी में ऑपरेशन टाइगर कामयाब नहीं हो पा रहा है। अब विभाग बड़े पिंजरे की तैयारी में जुटा हुआ है।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तानTue, 20 Aug 2024 04:25 PM
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बाघों की दिलचस्पी बकरी का शिकार करने में है नहीं और वन विभाग के पास भैंस का पड्डा बांधने के लिए न तो पिंजरा है और न ही बजट। इसी अटकल के चलते दक्षिण खीरी में ऑपरेशन टाइगर कामयाब नहीं हो पा रहा है। अब विभाग बड़े पिंजरे की तैयारी में जुटा हुआ है। दक्षिण खीरी वन रेंज में एक माह के अंदर वन्यजीवों के हमले से तीन की मौत हुई। गोला रेंज के गांव में दादी के साथ खड़ी किशोरी पर बाघ ने हमला कर दिया। उसे खींचकर ले गया। तीन मौतों की घटनाओं के बाद वन विभाग ने सभी जगह सर्च ऑपरेशन चलाया। उसके लिए कैमरे और पिंजरे लगाए गए। 

पिंजरे में बकरी बांधी गई। बाघ पिंजरे तक तो आया, लेकिन अंदर नहीं गया। वजह रही बकरी। माना जा रहा है कि बाघ बकरी का शिकार नहीं करना चाह रहा। इसलिए वह आसपास सूंघकर चला जा रहा है। रेंजर गोला संजीव तिवारी का कहना है कि इलाके में बाघ ने कई बार बकरियों का शिकार किया है। बाघ अक्सर बकरियों के झुंड पर हमला करता रहा है। पर जाने क्यों, पिंजरे की बकरी पर वह नहीं झपट रहा। इसी वजह से उसे पकड़ा नहीं जा सका है।

छह हजार की बकरी, नौ हजार का पड्डा

अब वन विभाग बकरी की जगह पड्डा बांधने पर विचार कर रहा है। पर उसके लिए बजट आड़े आ रहा है। जिस बकरी को पिंजरे में बांधा गया है, गांव से वह छह हजार की लाई गई है। बकरी की व्यवस्था रेंज अफसर अपने स्तर से करते हैं। इसके बाद अगर भैंस का पड्डा लाया गया तो वह भी कम से कम नौ हजार का पड़ेगा। एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह के ऑपरेशन के लिए विभाग के पास तत्काल का बजट नहीं होता। पर लोगों के आक्रोश को देखकर रेंज के अधिकारी अपनी जेब से खर्च कर देते हैं। बाद में क्लेम करते हैं।

पूरे प्रभाग में बड़ा पिंजरा ही नहीं

बाघ को पकड़ने के लिए अगर पड्डा बांधा जाना है तो बड़ा पिंजरा होना चाहिए। प्रभाग में बड़ा पिंजरा ही नहीं है। इस समय दक्षिण खीरी में दो जगह अभियान चल रहा। एक जगह तो दुधवा से पिंजरा मंगवाना पड़ा है। पर वह भी छोटा ही है। अभियान के दौरान दस फिट लंबा और पांच फिट चौड़ा पिंजरा लगाया गया है। इस पिंजरे में पड्डे को बंद किया जाता है तो वह खुद ही सिर मारकर उसका गेट बंद कर देता है।

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