Hindustan Special: शिवालिक पहाड़ियों पर लगता है विदेशी पक्षियों का जमावड़ा, जानें इसकी वजह
शिवालिक पहाड़ियों में ऊपरी हिमालयन पक्षियों का जमावड़ा लगा है। सेंटर फॉर वाटर पीस के निदेशक शोध और कोठडी तितली पार्क पर काम कर रहे पर्यावरण वैज्ञानिक का दावा है कि ऊपरी हिमालय क्षेत्र से बड़ी संख्या में कई दुर्लभ पक्षी सर्दियां बिताने शिवालिक में आ रहे हैं।
अच्छी खबर है कि शिवालिक पहाड़ियों में ऊपरी हिमालयन पक्षियों का जमावड़ा लगा है। सेंटर फॉर वाटर पीस के निदेशक शोध और कोठडी तितली पार्क पर काम कर रहे पर्यावरण वैज्ञानिक का दावा है कि ऊपरी हिमालय क्षेत्र से बड़ी संख्या में कई दुर्लभ पक्षी सर्दियां बिताने शिवालिक में आ रहे हैं। यानी साइबेरिया आदि ठंडे देशों से ही नहीं, भारत के भीतर भी पक्षी पलायन करते हैं।
बड़ी संख्या में पक्षी प्रवासी पक्षी सर्दियां बिताने आ रहे
सेंटर फॉर वाटर पीस के हालिया शोध में यह बात उजागर हुई कि साइबेरिया आदि ठंडे देशों से नहीं, देश के भीतर भी पक्षी पलायन करते हैं। यही कारण है कि शिवालिक पहाड़ियों में ऊपरी हिमालय से बड़ी संख्या में पक्षी प्रवासी पक्षी सर्दियां बिताने आ रहे हैं। इन पक्षियों का आगमन पारिस्थितिक तंत्र के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। यह इस बात का भी प्रमाण है कि शिवालिक की पहाड़ियां जैव विविधता से भरपूर हैं और पर्यावरणीय समृद्धि का प्रतीक है। स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए भी ये पक्षी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, और उनके आगमन से यहां के वन्यजीवों की विविधता में वृद्धि होती है। कहा इन पक्षियों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवास को बचाने के लिए मिलकर काम करने और ठोस कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए स्थानीय लोगों को इन पक्षियों के महत्व के बारे में जागरूक करना होगा और इस अनमोल प्राकृतिक संपदा को संरक्षित करने का संकल्प लेना होगा।
इन दुर्लभ प्रजातियों के पक्षी नजर आ रहे शिवालिक में
सेंटर फॉर वाटर पीस के निदेशक शोध और पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ उमर सैफ के अनुसार, शिवालिक पहाड़ियों खासकर सहस्रा नदी के आसपास के इलाके में इस सर्दियों में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों ने अपना आशियाना बनाया है। हिमालय से आए पक्षी जैसे चातक, नीलकंठ और गुलाबफिंच इस क्षेत्र में देखे जा रहे हैं। इसके अलावा अन्य पक्षियों में निम्नलिखित शामिल हैं।
ये हैं दुर्लभ प्रजाति के पक्षी
इनमें पीली, श्वेत और ग्रे वेगटेल के साथ नीली चिड़िया (ब्लाइथ रीड वार्बलर), भुजंगी (अशी ड्रोंगो और हेयर क्रेस्टेड ड्रोंगो), तारपंखी अबाबील (वायर टेल्ड स्वैलो), चिड़ीमार (रेड रैंपड स्वैलो), काले सर वाली चिड़िया (साइबेरियन स्टोनचैट), वृक्ष पिपिट (ट्री पीपीट), हरे पपीहा (ग्रीनीश वार्बलर), साधारण बालचक्ष (कॉमन सैंडपाइपर), साधारण सूती (कॉमन स्नैप), पाइड कूकू, ब्लूथ्रोट और लेसर व्हाइटथ्रोट जैसी कई दुर्लभ प्रजाति के पक्षी सर्दियों के मौसम में शिवालिक पहाड़ियों को अपना आशियाना बना रही हैं।
हिमालयन पक्षियों का आना सुखद
पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ उमर सैफ के अनुसार, हालांकि इस साल अभी तक ज्यादा सर्दी न पड़ने के चलते अबकी बार प्रवासी पक्षियों की संख्या में थोड़ी कमी देखी जा रही है, लेकिन ऊपरी हिमालयन पक्षियों का आना सुखद है। कहा ये पक्षी यहां की प्राकृतिक सुंदरता और अनुकूल परिस्थितियों का आनंद ले रहे हैं। जैसे ही सर्दियों का मौसम समाप्त होगा, ये पक्षी फिर से हिमालय की ओर प्रस्थान कर जाएंगे।