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बोले बेल्हा: कुंडा तहसील में पर्याप्त शेड न शुद्ध पानी, वकीलों और वादकारियों को होती है परेशानी

Pratapgarh-kunda News - कुंडा तहसील में बुनियादी सुविधाओं की कमी है। पेयजल, शौचालय और पार्किंग की व्यवस्था न होने से अधिवक्ता और वादकारी परेशान हैं। जलभराव और गंदगी के कारण स्थिति और बिगड़ रही है। अधिवक्ता समस्याओं के समाधान...

Newswrap हिन्दुस्तान, प्रतापगढ़ - कुंडाSun, 18 May 2025 12:06 AM
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बोले बेल्हा: कुंडा तहसील में पर्याप्त शेड न शुद्ध पानी, वकीलों और वादकारियों को होती है परेशानी

ई कुंडा तहसील में आज भी बुनियादी सुविधाओं का टोटा है। पेयजल के लिए छह नंबर वाले हैंडपंप लगे हैं जिसकी फर्श पर पानी भरा रहता है। बारिश होने पर परिसर में जलभराव हो जाता है जिससे वादकारी व अधिवक्ता पानी से होकर गुजरते हैं। यही नहीं अधिवक्ताओं के लिए बनाया गया खपरैल शेड बारिश में जगह-जगह से टपकने लगता है ऐसे में अधिवक्ता और वादकारी भागकर दूसरे जगह चले जाते हैं। परिसर में बनाए गए सार्वजनिक शौचालय इतने गंदे रहते हैं कि अधिवक्ता उसका प्रयोग करने से बचते हैं। अधिवक्ताओं के शेड की साफ सफाई की कोई नियमित व्यवस्था नहीं की गई है।

परिसर में वाहन स्टैंड नहीं होने से अधिवक्ता और वादकारी अपने वाहन आड़े तिरछे खड़े कर देते हैं। जिससे जाम की स्थिति बनी रहती है। तहसील के मुख्य गेट पर वाहन खड़े रहने से परिसर की खूबसूरती बिगड़ रही है। सबसे बड़ी समस्या यह कि तहसील परिसर में बनाया गया उप निबंधक कार्यालय इतना छोटा है कि बैनामा कराने के लिए आने वाले किसान बाहर खड़े रहते हैं और बुलाने पर अंदर जाते हैं। कारण अंदर कर्मचारियों के ही बैठने भर का स्थान है। यही नहीं उप निबंधक कार्यालय बेहद पुराना और जर्जर है लेकिन जिम्मेदार इसे ध्वस्त कराने और नया निर्माण कराने को लेकर गंभीर नहीं हैं। आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने तहसील की समस्याएं जानने का प्रयास किया तो अधिवक्ताओं ने समस्याएं गिनाईं और उनके समाधान पर अपना सुझाव भी दिया। प्रयागराज-लखनऊ राजमार्ग पर बसी बेल्हा की कुंडा तहसील का सृजन ब्रिटिश हुकूमत के दौरान वर्ष 1884 में हुआ था। ऐसा नहीं है कि इसके बाद से तहसील में विकास नहीं हुआ है लेकिन जिस मानक पर विकास कार्य कराए जाने थे, तहसील उससे काफी पीछे है। तहसील में एसडीएम, तहसीलदर, नायब तहसीलदार की कोर्ट है। तहसील में कुल 600 से अधिक पंजीकृत अधिवक्ता हैं और प्रतिदिन करीब तीन हजार से अधिक वादकारी यहां अपने मुकदमों की पैरवी करने आते हैं। बावजूद इसके हाईवे पर बसी तहसील में बुनियादी सुविधाओं का टोटा है। वर्तमान में तेज धूप, गर्मी और उमस से लोग परेशान हैं लेकिन परिसर में पेयजल की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। पेयजल की टंकी से आपूर्ति किया जाने वाला पानी पीने योग्य नहीं होता। इसके अलावा परिसर में आधा दर्जन छह नंबर वाले हैंडपंप लगाए गए हैं। इनके चारों और फर्श बनाई गई है लेकिन फर्श इतनी नीची है कि हैंडपंप के आसपास पानी भरा रहता है। परिसर में अधिवक्ताओं और वादकारियों के बैठने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। अधिवक्ताओं और वादकारियों के लिए बनाए गए शौचालय में ताला लटकता रहता है। इसके बाद भी शौचालयों से उठने वाली वाली दुर्गंध से अधिवक्ता और वादकारी परेशान रहते हैं। तहसील में प्रवेश करने के मुख्य गेट से लेकर पूरे परिसर में चारपहिया और दो पहिया वाहन खड़े कर दिए जाते हैं। जिससे पूरे दिन मुख्य गेट पर जाम की स्थिति बनी रहती है। तहसील परिसर में स्थित उपनिबंधक कार्यालय पर पूरे दिन अधिवक्ता और बैनामेदारों की भीड़ लगी रहती है लेकिन यह भवन इतना छोटा है कि लोग बाहर खड़े रहते हैं। इन समस्याओं का समाधान कराने के लिए अधिवक्ता संगठन लगातार जिम्मेदारों से मिलकर ज्ञापन देते हैं लेकिन समाधान के नाम पर अब तक कुछ नहीं हो सका। कुछ दिन पहले अधिवक्ताओं ने तहसील आए मंडलायुक्त प्रयागराज को भी ज्ञापन देकर वाहन स्टैंड चिह्नित करने सहित अन्य समस्याओं का समाधान कराने की मांग की थी। अधिवक्ताओं का यह प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में चला गया। अधिवक्ताओं के बैठने के लिए तहसील परिसर में बनाए गए खपरैल शेड और उनके आसपास गंदगी बिखरी रहती है कारण शेड की सफाई के लिए कोई नियमित बंदोबस्त नहीं किया गया है। कुछ अधिवक्ता ऐसे भी हैं जो सुबह पहुंचते ही अपने बस्ते के आसपास सफाई करते हैं उसके बाद काम शुरू करते हैं। परिसर में वाहनों के अतिक्रमण से हलाकान होते हैं अफसर तहसील परिसर के चारों ओर मनमाने तरीके से अतिक्रमण कर दुकानें लगाई जाती हैं। इससे सड़कों पर हर दिन जाम की स्थिति बनी रहती है। इस जाम में वादकारी और अधिवक्ता ही नहीं इधर से गुजरने वाले अफसरों के वाहन भी फंस जाते हैं। तहसील के मुख्य गेट के आसपास भी अतिक्रमण रहता है जिससे वादकारी और अधिवक्ता के साथ अफसर भी परेशान होते हैं। परिसर में खड़े वाहनों की लंबी कतार में से कोई एक बाइक निकालना चाहता है तो उसे खासी मशक्कत करनी पड़ती है। कई बार तो बाइक निकालने में दूसरी बाइक का इंडीकेटर टूट जाता है अथवा वाहन में खरोंच आ जाती है। पर्याप्त शेड न होने से खपरैल में बैठते हैं अधिवक्ता वर्तमान में तहसील परिसर में अधिवक्ताओं की संख्या के सापेक्ष उनके बैठने के लिए बनाए गए शेड पर्याप्त नहीं हैं। यही कारण है कि तमाम अधिवक्ता खपरैल वाले खस्ताहाल शेड में बैठकर वादकारियों से बात चीत करते हैं। जबकि यह शेड काफी जर्जर हालत में है। कई बार खपरैल शेड को ध्वस्त कर नया शेड बनाने का आश्वासन दिया गया लेकिन अब तक नए शेड का निर्माण कराना तो दूर पुराने शेड ध्वस्त भी नहीं कराए गए। शेड के अभाव में कुछ अधिवक्ताओं ने अपने खर्चे से टिन शेड बनाकर तख्ता, कुर्सी लगाकर बैठना शुरू कर दिया तो कुछ अधिवक्ता खुले आसमान के नीचे बैठकर वादकारियों के मुकदमे की पैरवी करते हैं। परिसर में जलनिकासी की सुविधा पर्याप्त नहीं अधिवक्ताओं ने बताया कि तहसील परिसर में जलनिकासी की व्यवस्था ठीक नहीं है, ऊपर से तहसील हाईवे से काफी नीचे है। जिससे बारिश होने पर जलनिकासी की नालियां उफना जाती हैं और जलभराव के हालात बन जाते हैं। अधिक बारिश हो जाने पर अधिवक्ताओं को पानी से होकर आना जाना पड़ता है। जलनिकासी के लिए बनाई नालियां काफी पुरानी और संकरी हैं जिससे पर्याप्त जलनिकासी नहीं हो पाती। इससे सिर्फ अधिवक्ता और वादकारी को ही नहीं बल्कि अफसर और कर्मचारियों को भी खासी दिक्कत होती है। स्वयं एसडीएम इस समस्या से बखूबी वाकिफ हैं लेकिन फिर भी जलनिकासी की कोई व्यवस्था नहीं कराई जा रही है। इसे लेकर अधिवक्ता संगठन कई बार अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक शिकायत कर चुके हैं लेकिन समस्या का समाधान करने की पहल नहीं की गई। शिकायतें 0 तहसील परिसर से लेकर बाहर तक वाहन पार्किंग की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। 0 अधिवक्ता के लिए तहसील परिसर में पर्याप्त शेड नहीं बनाए गए हैं। तमाम अधिवक्ता शपरैल शेड में बैठकर काम निपटाते हैं। 0 तहसील परिसर में जलनिकासी की नालियां बनी हैं लेकिन बारिश होने पर यह उफना जाती हैं और जलभराव हो जाता है। 0 तहसील परिसर में पेयजल की आपूर्ति टंकी से की जाती है जिसका पानी पीने योग्य नहीं रहता। परिसर में एक भी इंडिया मार्का हैंडपंप नहीं लगाया गया है। 0 तहसील परिसर में निराश्रित गोवंश प्रवेश कर जाते हैं इससे कई बार वादकारी और अधिवक्ता घायल हो चुके हैं। 0 तहसील में आग पर काबू करने के लिए अग्निशमन की कोई ठोस व्यवस्था नहीं की गई है। सुझाव 0 तहसील के आसपास कम से कम एक स्थान चिन्हित कर वाहन पार्किंग का निर्माण कराया जाए। 0 पेयजल के लिए फिल्टर कूलर और इंडिया मार्का हैंडपंप की स्थापना कराई जाए। जिससे अधिवक्ताओं और वादकारियों को शुद्ध पानी मिल सके। 0 परिसर में खड़े होने वाले आड़े तिरछे वाहन से जाम लगता है। इन वाहनों को व्यवस्थित तरीके से खड़ा कराने की व्यवस्था की जाए। 0 अधिवक्ताओं की संख्या के मुताबिक बैठने के लिए पर्याप्त शेड की व्यवस्था कराई जाए। 0 तहसील परिसर में बारिश के दौरान जलभराव न हो इसके लिए सीवेज सिस्टम मजबूत किया जाए। 0 तहसील परिसर में निराश्रित गोवंशों के प्रवेश पर पूरी तरह से रोक लगाने का प्रयास किया जाए। जरा हमारी भी सुनिए.. तहसील में वाहन खड़ा करने और बाहर निकालने में करीब एक घंटे का अतिरिक्त समय लग जाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि जाम के कारण अंदर प्रवेश करने के लिए भी इंतजार करना पड़ता है। वाहन पार्किंग नहीं होने से लोग मनमाने तरीके से अपने वाहन आड़े-तिरछे खड़े कर अंदर चले जाते हैं। उत्कर्ष त्रिपाठी तहसील में हर रोज अधिवक्ताओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। इसके सापेक्ष शेड और चैंबर की संख्या बहुत कम है। नतीजा एक चैंबर में चार से पांच अधिवक्ता बैठते हैं। इससे वकालत करने में भी समस्या आती है। जिम्मेदारों को इसका समाधान प्राथमिकता से करना चाहिए। कुलपति तिवारी तहसील परिसर में कहने के लिए तो हर रोज सफाई की जाती है लेकिन फिर भी जगह-जगह गंदगी बिखरी रहती है। इससे वादकारी, अधिवक्ता सहित अफसरों, कर्मचारियों को भी दिक्कत होती है। यहां पूरे तहसील के वादकारी जुटते हैं, ऐसे में सफाई की व्यवस्था बेहतर होनी चाहिए। शिवशंकर पांडेय तहसील में मुकदमों के साथ अधिवक्ताओं की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। जबकि इसके सापेक्ष न चैंबर की व्यवस्था है और न वाहन पार्किंग की। तहसील में हर रोज सैकड़ों वादकारी और अधिवक्ता जुटते हैं। इसके अलावा तहसील के कर्मचारी भी वाहन लेकर आते हैं। वाहन खड़ा करने की कोई सुविधा नहीं है। शुभम त्रिपाठी अव्यवस्थाओं से जूझ रही तहसील परिसर में अधिक बारिश होने पर जलभराव हो जाता है। इससे अधिवक्ता और वादकारी पानी से होकर आते जाते हैं। जलनिकासी के लिए बनाई गई नालियां परिसर का पानी खींच नही पातीं। इससे बारिश का पानी पर्याप्त रूप से निकल नहीं पाता। अनिरुद्ध त्रिपाठी तहसील में पूरे इलाके के वादकारी अपने मुकदमों की पैरवी करने आते हैं। वादकारी अधिवक्ता के शेड में ही बैठकर मुकदमों पर चर्चा करते हैं। यदि खपरैल शेड ध्वस्त कर नया शेड बनवा दिया जाए तो अधिवक्ता और वादकारी को सहूलियत मिल जाएगी। अमित मिश्र तहसील में पेयजल की आपूर्ति पानी की टंकी से की जाती है। जबकि यह पानी पीने योग्य नहीं रहता। पेयजल की सुविधा के लिए परिसर में एक भी इंडिया मार्का हैंडपंप स्थापित नहीं कराया गया है। लोग बोतल बंद पानी खरीदते हैं। श्वेतांकर त्रिपाठी तहसील परिसर में बिजली के तारों का मकड़जाल और जर्जर बिजली के पोल से हादसे का अंदेशा बना रहता है। यह जानकारी एसडीएम सहित बिजली विभाग के अधिकतर अफसरों को भी है। बिजली विभाग के जिम्मेदारों को सर्वे करने और पुराने पोल के साथ तारों को बदलवाना चाहिए। बृजेश त्रिपाठी तहसील में अधिवक्ताओं और वादकारियों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं। जबकि मुख्यालय स्थित कचहरी में कई बड़ी घटनाएं हो चुकी हैं। सुरक्षा व्यवस्था नहीं होने से लोग मनमाने तरीके से तहसील में प्रवेश कर जाते हैं इसमें तमाम अराजक तत्व भी रहते हैं। अब्दुल वाहिद हमारे पास तमाम वादकारी ऐसे भी आते हैं जिनकी समस्याएं पुलिस से सम्बंधित रहती हैं। इसके लिए अधिवक्ताओं को अपना काम छोड़कर थाने तक जाना पड़ता है। ऐसे मामलों का निस्तारण करने के लिए पुलिस उपाधीक्षक को भी अधिवक्ताओं के मामले सुनने और निस्तारित करने का समय निर्धारित करना चाहिए। प्रकाशचन्द्र मिश्र तहसील में बीते कुछ वर्षों से महिला अधिवक्ताओं की संख्या भी तेजी से बढ़ी है। इससे महिला वादकारियों को न्याय मिलने में सहूलियत मिलने लगी है लेकिन महिला अधिवक्ता और महिला वादकारियों के लिए परिसर में शौचालय की व्यवस्था नहीं होने से उन्हें दिक्कत होती है। डीपी सिंह तहसील के अधिवक्ताओं की ओर से हर दिन सैकड़ों रजिस्ट्री कराई जाती है। इसके लिए अधिवक्ता स्वयं अथवा अपने जूनियर को पोस्ट ऑफिस भेजते हैं जहां घंटे भर इंतजार के बाद रजिस्ट्री हो पाती है। अधिवक्ता डाक विभाग को हर महीने पर्याप्त राजस्व भी देते हैं। परिसर में मिनी पोस्ट ऑफिस की स्थापना होनी चाहिए। शक्तिधर त्रिपाठी बोले जिम्मेदार तहसील में अधिवक्ता शेड पर्याप्त नहीं होने और वाहन स्टैंड की व्यवस्था कराने सहित प्रमुख समस्याओं के बारे में उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। इनके समाधान की कवायद चल रही है। इसके अलावा स्थानीय समस्याओं को समय-समय पर निस्तारित कर दिया जाता है। देशदीपक सिंह, एसडीएम कुंडा

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