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सभी केंद्र:: ‘दरगाह शरीफ के उर्स से समस्या है, कुम्भ और देवी पाटन मेले से नहीं

Lucknow News - सैयद सालार मसूद गाजी दरगाह की ओर से दी गई दलील मामले की आज फिर

Newswrap हिन्दुस्तान, लखनऊThu, 15 May 2025 10:52 PM
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सभी केंद्र:: ‘दरगाह शरीफ के उर्स से समस्या है, कुम्भ और देवी पाटन मेले से नहीं

सैयद सालार मसूद गाजी दरगाह की ओर से दी गई दलील, मामले की आज फिर होगी सुनवायी लखनऊ, विधि संवाददाता। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में बहराइच के सैयद सालार मसूद गाजी की दरगाह पर सालाना लगने वाले उर्स की जिलाधिकारी द्वारा अनुमति न देने का मामले में गुरुवार को सुनवायी हुयी। सुनवायी के दौरान दरगाह की ओर से दलील दी गई कि राज्य सरकार को सालाना लगने वाले इस उर्स से कानून व्यवस्था को लेकर समस्या है लेकिन देवी पाटन और कुम्भ मेले से नहीं है। वहीं, न्यायालय ने मामले को शुक्रवार को सुनवाई के लिए प्रस्तुत करने का आदेश दिया।

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति अजय कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने वक्फ नंबर 19 दरगाह शरीफ, बहराइच की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता लालता प्रसाद मिश्रा ने दलील दी कि दरगाह पर लंबे समय से हर साल जेठ के महीने में एक माह का उर्स चलता है। इस बार उर्स 15 मई से शुरू होना था लेकिन स्थानीय प्रशासन ने उर्स की इजाजत देने से इनकार कर दिया। याचिका का विरोध करते हुए, राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि उर्स करीब पांच किलोमीटर के दायरे में लगता है। जिलाधिकारी ने जो आदेश दिया है, वह एलआईयू व अन्य सम्बंधित विभागों की रिपेार्ट के आधार पर दिया है। कहा गया कि दरगाह के भीतर के किसी भी कार्यक्रम पर कोई रोक नहीं है। मामले की जब पहले दिन सुनवायी हुयी थी तभी न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि जिलाधिकारी द्वारा एलआईयू रिपोर्ट व पिछली घटनाओं का जिक्र किया गया है, इन बिंदुओं को देखते हुए, बिना ठोस विचार किए, फिलहाल कोई अंतरिम राहत नहीं दी जा सकती। ‘धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि इस मामले में राज्य सरकार द्वारा उर्स की अनुमति न देकर धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन किया जा रहा है। वहीं न्यायालय ने सुनवाई के दौरान ही याची पक्ष से पूछा कि पिछले आदेश के अनुपालन में क्या दरगाह की स्वामित्व वाली जमीनों के दस्तावेज दाखिल कर दिए गए हैं, इस पर याची पक्ष ने स्थानीय लेखपाल की एक रिपोर्ट के आधार पर जमीनों के स्वामित्व का दावा किया। हालांकि उक्त रिपोर्ट को राज्य सरकार की ओर से नकार दिया गया। इस पर न्यायालय ने याची को सम्बंधित खतौनियां दाखिल करने को कहा है।

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