विश्वनाथ मंदिर की व्यवस्था काशी की छवि धूमिल कर रही है, दक्षिण से आए श्रद्धालुओं का छलका दर्द
- अयोध्या के राम मंदिर में श्रीरामलला के गर्भगृह में अभिमंत्रित ‘श्रीराम यंत्र’ स्थापित करने वाले पं. ए. चिदंबरम शास्त्री ने कहा कि विश्वनाथ मंदिर की व्यवस्था काशी की छवि धूमिल कर रही है। इससे आम दर्शनार्थियों के मन पर चोट लग रही है।
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अगले हफ्ते से प्रयागराज में महाकुंभ शुरू होने जा रहा है। माना जा रहा है कि देश विदेश से प्रयागराज आने वाले करोड़ों श्रद्धालु वाराणसी में काशी विश्वनाथ का दर्शन पूजन करने भी आएंगे। ऐसे में यहां भी व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की बातें और दावे किए जा रहे हैं। लेकिन स्थितियां इससे उलट ही नजर आती हैं। कम से कम दक्षिण भारत से यहां आकर प्रवास कर रहे बुजुर्ग महिला पुरुष श्रद्धालुओं की बातें सुनकर तो ऐसा ही लगता हैं। ‘हिन्दुस्तान’ से चर्चा में उनकी पीड़ा छलकी। अयोध्या के राम मंदिर में श्रीरामलला के गर्भगृह में अभिमंत्रित ‘श्रीराम यंत्र’ स्थापित करने वाले पं. ए. चिदंबरम शास्त्री ने यहां तक कहा कि दर्शन की व्यवस्था काशी की छवि धूमिल कर रही है। हम सह लेते हैं क्योंकि लक्ष्य संकल्पपूर्ति है। जो आम दर्शनार्थी हैं, उनके मन पर लगी चोट का उपचार कौन करेगा?
कहा कि काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह के चारो द्वारों पर और अंदर मौजूद सुरक्षाकर्मी किसी की उम्र का भी लिहाज नहीं करते हैं। महिला या पुरुष दर्शनार्थी की आयु पर भी ध्यान नहीं देते। वे गर्दन-कमर तो कभी बांह पकड़ कर आगे ‘धकिया’ देते हैं। इससे बुजुर्ग श्रद्धालुओं का मन बाबा की चौखट पर क्षुब्ध, हृदय संताप से व्याकुल हो जाता है। गर्भगृह में दर्शन की दुश्वारियां से उनका संकल्प डगमगा रहा है। कहा कि काशी में लोग विश्वनाथजी के दर्शन की अभिषाला लेकर ही आते हैं। उनके दर्शन में ही दुश्वारियां होंगी या घंटों इंतजार के बाद भी दर्शन नहीं होगा तो काशी के बारे में गलत संदेश जाएगा। लोग दूसरी बार आने से कतराएंगे। उत्तम व्यवस्था काशी की छवि बनाएगी।
घंटों लाइन के बाद एक सेंकेड भी दर्शन नहीं
काशी विश्वनाथ धाम के अनुभव साझा करते वक्त लक्ष्मी राममोहन, भानुमति समेत अनेक महिलाओं की आंखें भर आईं। उन्होंने कहा- ‘हम मान-प्रतिष्ठा, धन-वैभव त्याग कर यहां आए हैं। प्रचार, प्रशंसा की तनिक इच्छा नहीं। विश्वनाथ धाम की व्यवस्था ने व्यथित कर दिया तब हम आप से बात कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि एक तो हम बुजुर्गों को घंटों लाइन लगानी पड़ रही है। दूसरे, एक सेकेंड भी गर्भगृह के आगे रुक नहीं पाते। ज्योतिर्लिंग का दर्शन नहीं हो पाता। पुलिस का व्यवहार सही नहीं है। प्रो. मार्कंडेय शास्त्री, सीवी सुब्रमण्यम शास्त्री ने बताया कि दक्षिण में तिरुपति समेत हर बड़े मंदिर में बुजुर्गों, वरिष्ठ नागरिकों के दर्शन की अलग व्यवस्था है। वहां की तरह विश्वनाथ धाम में व्यवस्था क्यों नहीं की जाती? लाइन में देर तक खड़े होने के बाद भी दर्शन न मिल पाने से मन दुखी होता है।
महिलाओं को भी सिपाही धक्का देते हैं
बीवी नागलक्ष्मी ने कहा कि मंदिर में महिलाओं तक को सिपाही धक्का देते हैं। वह नहीं देखते कि कोई कितनी देर से बाबा के दर्शन के लिए यहां इंतजार कर रहा है। वीपीआर मूर्ति ने कहा कि झांकी दर्शन तक मुश्किल हो गया है। पुलिस तुरंत हटा देती है। केवीएस प्रसाद ने कहा कि यहां पर पुलिस का व्यवहार ठीक नहीं है। वे अभद्र भाषा भी बोलते हैं। गर्भगृह में अर्चक रहें, न कि सिपाही। मार्कंडेय शास्त्री ने कहा कि ऐसा लगता है पूरा धाम टूरिस्ट प्लेस बन गया है। यह गलत है। नारायण राव ने कहा कि तिरुपति और रामेश्वरम जैसी व्यवस्था यहां भी लागू होनी चाहिए।
पास पर रोक से बढ़ी दिक्कतें
वेंकटेश्वर शास्त्री, बीवी नागलक्ष्मी, पद्मा आदि ने ध्यान दिलाया कि पहले नेमियों को मंदिर से जारी पास से सुगम दर्शन मिल जाता था। इधर बीच पास पर रोक लगा दी गई है। जिन पास की अवधि खत्म हो गई है, उनका नवीनीकरण नहीं हो रहा है। काशी के भी हजारों नेमी यह समस्या झेल रहे हैं। रामतारक आश्रम के ट्रस्टी-प्रबंधक वीवी सुंदर शास्त्री ने बताया कि पहले आश्रम के जरिए ही 3500 रुपये में पास बन जाते थे। अब वह व्यवस्था बंद हो गई है। कई लोग ठीक से चल नहीं पाते हैं। उन्हें दर्शन में परेशानी होती है।
विश्वनाथ धाम बन रहा क्षोभदायक
गंगा और गोदावरी-कावेरी के बीच विकसित अटूट सांस्कृतिक संबंधों ने यह अवधारणा पुष्ट की है कि काशी सिर्फ मोक्ष नहीं, संकल्प पूर्ति की भी पीठ है। इसका प्रमाण श्रीरामतारक आंध्र आश्रम में इन दिनों प्रवास कर रहे तेलुगु और तमिल भाषी लोग हैं। दो सौ से अधिक संख्या में सुबह गंगा स्नान, बाबा विश्वनाथ-अन्नपूर्णा का दर्शन और फिर मंत्र जप इनकी प्रमुख दिनचर्या है। दिनचर्या की शुरुआत जितनी ताजगी एवं उत्साह भरी होती है, उसका मध्यांतर विश्वनाथ धाम में उतना ही क्षोभदायक बन जाता है।
हम नि:शुल्क सेवा को तैयार, बस...
डी. नारायन, जी. अशोक, सी. शारदा, लक्ष्मी प्रसन्ना, वी. बलराम आदि ने खुलकर कहा कि हमें सुगम दर्शन की सुविधा मिले और पास बन जाएं तो हम विश्वनाथ मंदिर में दोनों वक्त दो-दो घंटे सफाई से लेकर हर जरूरी व्यवस्था में नि:शुल्क सेवा करने को तैयार हैं। हम दक्षिण के दर्शनार्थियों की भाषाई दिक्कतें भी दूर करेंगे। हां, तब मंदिर प्रशासन को भी सहयोग करना होगा।
पीएम मोदी की पहल को भी चोट
काशी में प्रवास कर रहे श्रद्धालुओं का यह दर्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस पहल पर भी चोट कर रहा है जिसके तहत काशी तमिल संगमम की शुरुआत की गई है। अगर दक्षिण भारत खासकर तमिलनाडु के श्रद्धालु ही यहां पर आकर दुखी होंगे तो इसका संदेश बहुत ही खराब जाएगा। काशी विश्वनाथ मंदिर जाने वाले बनारस के लोग भी इस दर्द को सामान्यतः महसूस करते रहते हैं। यहां तैनात अफसरों को तो छोड़िए, सिपाहियों के दूर-दूर के जान पहचान वाले लोग भी प्रोटोकाल के नाम पर ‘वीआईपी दर्शन’ का आनंद लेते नजर आ जाते हैं।
इस बारे में काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र का कहना है कि गर्भगृह में स्पर्श दर्शन के लिए दो समय निर्धारित हैं। उसमें दर्शन कराया जाता है। असमर्थ दर्शनार्थियों को मंदिर परिसर में व्हीलचेयर का पूरा लाभ भी मिलता है। सबके लिए अलग पंक्ति संभव नहीं है। सुरक्षाकर्मियों द्वारा अभद्र व्यवहार की शिकायत पर कार्रवाई भी होती है। वहीं, डीसीपी सुरक्षा सूर्यकांत त्रिपाठी का कहना है कि सुरक्षाकर्मियों से सभ्यता से पेश आने का कड़ा निर्देश है। इसके लिए बाकायदे प्रशिक्षण दिया जा रहा है। अगर कभी शिकायत आती है तो त्वरित कार्रवाई भी की जाती है। श्रद्धालुओं से सेवा भाव से पेश आने, उनकी सहायता करने को कहा गया है।