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क्या होगा काशी तमिल संगमम में जिसका नरेंद्र मोदी शनिवार को वाराणसी में करेंगे उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी तमिल संगमम का शुभारम्भ करने शनिवार को वाराणसी पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी करीब दो घंटे इस दौरान काशी में बिताएंगे। पीएम यहां पर 75 स्टालों की प्रदर्शनी भी देखेंगे।

Yogesh Yadav लाइव हिन्दुस्तान, वाराणसीFri, 18 Nov 2022 07:28 PM
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क्या होगा काशी तमिल संगमम में जिसका नरेंद्र मोदी शनिवार को वाराणसी में करेंगे उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी तमिल संगमम का शुभारम्भ करने शनिवार को वाराणसी पहुंच रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी करीब दो घंटे इस दौरान काशी में बिताएंगे। पीएम यहां पर लगे 75 स्टालों की प्रदर्शनी भी देखेंगे। पीएम मोदी के पहुंचने से पहले पूरा खाका और सुरक्षा संबंधी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। शिक्षा और कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने शुक्रवार को तैयारियों का जायजा लिया और तमिलनाडु के गणमान्य लोगों से मुलाकात कर आयोजन के लिए निमंत्रित किया। एसपीजी ने भी अपने स्तर से पड़ताल कर ली है। सुरक्षा के लिहाज से बाबतपुर एयरपोर्ट से बीएचयू तक का इलाका अभेद्य बना दिया गया है।

 'काशी-तमिल संगमम्' का आयोजन 17 नवम्बर से 16 दिसम्बर के बीच हो रहा है। 19 नवम्बर को बीएचयू के एम्फीथियेटर मैदान में प्रधानमंत्री इसका विधिवत उद्घाटन करेंगे। 17 नवम्बर को चेन्नई से मेहमानों के तौर पर पहले दल के रूप में 210 छात्रों को लेकर आ रही ट्रेन रात करीब दस बजे बनारस स्टेशन पहुंचेंगी।

शनिवार को एम्फीथियेटर मैदान में विभिन्न विषयों से जुड़े छात्रों से संवाद के साथ ही आयोजन का शुभारम्भ होगा। उद्घाटन के मौके पर साथ मंच पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद रहेंगे। इसके बाद हर दो-दो दिन पर अलग-अलग वर्ग के लोगों का 12 समूह काशी पहुंचेगा।

12 समूहों में 2500 से 3000 लोग पहुंचेंगे

काशी तमिल संगमम् में 12 अलग अलग समूहों में 2500 से 3000 लोग पहुंचेंगे। हर ग्रुप की यात्रा 8 दिन की होगी, जिसमे 2 दिनों की यात्रा तमिलनाडु से वाराणसी पहुंचने की भी शामिल होगी। दल दो दिन वाराणसी में रहेगा तथा हनुमान घाट पर गंगा स्नान, सुब्रह्मण्य भारती के आवास पर जाना, काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन, सारनाथ आर्कियोलॉजिकल साइट एंड म्यूजियम, गंगा आरती और 84 घाटों का नाव से अवलोकन और शाम को बीएचयू में सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होना शामिल है। वाराणसी के बाद दो दिनों में प्रयागराज और अयोध्या की यात्रा भी प्रस्तावित है और फिर दो दिनों की वापसी की यात्रा होगी।

तिरुक्कुरल की अनुवाद पुस्तक का होगा विमोचन

प्रधानमंत्री दोपहर 1.10 बजे बाबतपुर एयरपोर्ट पहुंचेंगे। इसके बाद हेलीकाफ्टर से बीएचयू आएंगे। यहां एम्फीथिएटर मैदान में बने मंच पर तिरुवल्लुवर द्वारा तमिल भाषा में रचित पुस्तक ''तिरुक्कुरल'' की 13 भाषाओं में अनुवाद रचित पुस्तक का विमोचन करेंगे। इसके बाद 'काशी-तमिल संगमम्' पर आधारित काफी-टेबुल बुक पीएम को भेंट की जाएगी। वह मंच से तमिलनाडु की नृत्य, वादन सहित तीन सांस्कृतिक आयोजन देखेंगे।

कार्यक्रमस्थल पर ही बने कॉटेज में तमिलनाडु के नौ अधिगम (धर्माचार्य) का सम्मान के साथ ही संवाद भी करेंगे। पीएम के साथ उनका फोटो सेशन भी होगा। प्रधानमंत्री छात्रों के साथ भी संवाद करेंगे। वह मौके पर करीब 10 हजार की एक जनसभा को संबोधित करेंगे। काशी में करीब साढ़े तीन घंटे के प्रवास के बाद वह गुजरात को उड़ान भरेंगे।

75 स्टॉल पर दिखेगी तमिलनाडु की संस्कृतियां व विशेषता

एम्फीथिएटर ग्राउंड में तमिलनाडु की सांस्कृतिक विविधता को दर्शाने के लिए 75 स्टाल लगे हैं। जिसमें हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम, स्वतंत्रता सेनानी, ओडीओपी, नेशनल बुक ट्रस्ट, सेंट्रल इंस्टिट्यूट ऑफ़ लैंग्वेज, खान-पान सहित तमिलनाडु के करीब-करीब सभी रंग दिखेंगे।

माहभर तक तमिलनाडु की संस्कृति से जुड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों में मुख्यतः मीनाक्षी चितरंजन का भरतनाट्यम, तमिलनाडु का फोक म्यूजिक, इरुला व अन्य ट्राइबल नृत्य, विल्लुपाट्ट एक प्राचीन संगीतमय कथा-कथन, पौराणिक ऐतिहासिक ड्रामा, शिव पुराण, रामायण और महाभारत पर आधारित कठपुतली शो आदि देखने को मिलेंगे, जो ये दर्शाएंगे कि काशी और तमिलनाडु की भाषा, खान-पान, रहन सहन भले ही अलग हो, लेकिन अभिव्यक्ति का तरीका और इसकी आत्मा एक ही है।

ज्ञान के साथ मिलेगा जायका भी

दक्षिण भारत से आने वाले मेहमानों के स्वाद, रुचि और उनके क्षेत्र के हिसाब से शाकाहारी व्यंजन परोसे जाएंगे। इनमें हल्के तीखे सांभर से लेकर गरम व मसालेदार रसम तक विभिन्न स्वादों का संयोजन होगा। व्यंजनों में चावल और नारियल का खास तौर पर उपयोग किया जाएगा। 

दालों, इमली, धनिया, मिर्च, दालचीनी, करी पत्ता, इलायची व विभिन्न मसालों के मिश्रण वाले विविध पकवानों को बनाने के लिए तमिलनाडु से रसोईयों (कुक) की तीन टीमें काशी पहुंच चुकी हैं। एक टीम में 18 रसोइये शामिल हैं। इन्हें पारम्परिक पाक विधियों में महारत हासिल है। नाश्ता-भोजन बनाने के लिए काशी, प्रयागराज और अयोध्या के होटलों में बेस किचन बनाए गए हैं। अतिथियों के आने-जाने, भ्रमण व खानपान का जिम्मा इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन को दिया गया है। अफसरों के अनुसार मेन्यू में सभी व्यंजन दक्षिण भारतीय ही होंगे। 

कार्यक्रंम में 75 अगल-अलग स्टॉल लगेंगे। इन स्टॉल्स पर तमिल की संस्कृति, परिधान, खान-पान, शिक्षा, खेल, मंदिर, पर्व-त्योहार, राजनिति सहित राज्य की अन्य ज्ञानवर्धन जानकारियां मिलेंगी। इसके अलावा तमिल फिल्में भी दिखाई जाएंगी। ज्ञान के साथ-साथ यहां स्वाद का भी ध्यान रखा गया है। यहीं पर असली साउथ इंडियन टेस्ट वाला डोसा, इडली, उत्तपम मिलेगा। इसके अलावा एक दो नहीं बल्कि दर्जनों तरह का दक्षिण भारतीय खाना आपको खाने को मिलेगा।

कब होगा कौन सा कार्यक्रम

पहले दिन की शाम -भारतनाट्यम की प्रस्तुति 90 मिनट तक 15 कलाकार देंगे। वहीं, लोक नृत्य कलियाट्म की प्रस्तुति 20 कलाकार देंगे।

दूसरे दिन की शाम - पंबई लोक नृत्य की प्रस्तुति होगी। इसमें 20 कलाकार शिरकत करेंगे। वहीं, किसी आध्यात्मिक गाने पर शास्त्रीय नृत्य होगा।

तीसरे दिन की शाम - लोक नृत्य काई सिलांबू अट्टम पेश किया जाएगा। इसके अलावा शिव तांडव भी होगा। हालांकि, यह प्रस्तुति रात में होगी।

चौथे दिन की शाम - तमिल के गांवों का प्रसिद्ध लोक नृत्य सेवाई अट्टम पेश किया जाएगा। साथ ही थलायवम नृत्य भी आयोजित किया जाएगा।

पांचवें दिन की शाम- इस शाम को और भी खूबसूरत बनाने के लिए लोक नृत्य देवव्रतम पेश होगा। इसके बाद शास्त्रीय नृत्य विलापुट्टू होगा।

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