आसमान जैसी हो हैसियत, महंगी से महंगी जमीन भी बिक जाती, बरेली में बोले अभिनेता सोनू सूद
- बरेली पहुंचे मशहूर बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने कहा कि हैसियत आसमान की तरह होनी चाहिए। जमीन कितनी भी महंगी हो, कोई न कोई खरीद लेता है।
यूपी के बरेली पहुंचे मशहूर बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद ने कहा कि हैसियत आसमान की तरह होनी चाहिए। जमीन कितनी भी महंगी हो, कोई न कोई खरीद लेता है। मोटिवेशनल स्पीकर सोनू शर्मा और नेत्रहीन उद्योगपति बोलैंट इंडस्ट्रीज के संस्थापक श्रीकांत बोल्ला ने भी युवाओं को जीवन में आगे बढ़ने को प्रेरित किया। इंवर्टिस ऑडिटोरियम में सोनू सूद के पहुंचते ही छात्र-छात्राओं ने उनका जोरदार स्वागत किया। इंवर्टिस यूनिवर्सिटी में गुरुवार को टेड एक्स टॉक शो सीजन-3 का आयोजन भी किया गया। छात्रों से बात करते हुए सोनू ने कहा कि जब तक आप अपनी जिंदगी में ठोकरें नहीं खाएंगे, तब तक सफलता हासिल नहीं हो पाएगी।
मुझे जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा मेरे माता पिता से मिली। कोरोना के समय करीब साढ़े सात लाख लोगों को उनके घरों तक पहुंचाने का जो मैंने और मेरी टीम ने काम किया, उसने मुझे बहुत ताकत दी। यह हौसला मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता हैं। सोनू सूद ने पंजाब से मुंबई तक के अपने संघर्ष की कहानी को बताते हुए कहा कि साउथ सिनेमा से शुरू हुआ उनका सफ़र बॉलीवुड तक पहुंच गया। उन्होंने अपनी पहली निर्देशित फ़िल्म फ़तेह का जिक्र करते हुए कहा कि यह आज के युवाओं को बहुत सीख दे सकती हैं। आगे कहा कि जीवन में कोई कठिनाई आये तो उससे डरें नहीं बल्कि उसका डट कर सामना करें। आप सभी कर्म करते जाओ। कर्म करने से हमें दुआएं मिलती हैं और दुआओं में बहुत ताकत होती है। आज वह अपने जीवन में जो कुछ भी हैं, वह लोगों की इन दुआओं की वजह से ही हैं। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि यदि अवसर मिला तो उनको राजनीति में जाने से परहेज नहीं है।
अपनी फ़िल्म के शो में भी पहुंचे सोनू
सोनू सूद पीवीआर में चल रही अपनी फ़िल्म फतेह के शो के दौरान पहुंचे तो दर्शक खुशी से झूम उठे। उन्होंने अपने प्रशंसकों को ऑटोग्राफ दिए। उनके साथ सेल्फी ली। उन्होंने बरेली के लोगों को जिंदादिल बताया। कहा कि मेरी दुआ है कि बरेली के लोग जिंदगी में हमेशा फतेह प्राप्त करें।
सत्ता से लड़कर बचाया अपना संस्थान: मेयर
कुलाधिपति और मेयर डॉ. उमेश गौतम ने अपनी सफलता की कहानी बताते हुए कहा कि उनका परिवार शुरू से ही सर्विस क्लास रहा। मैंने भी मैनेजमेंट की पढ़ाई कर एक अच्छी नौकरी पाई थी। एक बार जब चिड़ियाघर में गया तो वहां एक हिरन क्षमता से कम ऊंचा कूद रहा था। यहीं से लगा कि मैं भी क्षमता से कम काम कर रहा हूँ। मुझे नौकरी से हट कर अपना उद्यम शुरू करना चाहिए। तब मैंने इंवर्टिस यूनिवर्सिटी शुरू की। फिर जिंदगी में ऐसा मोड़ आया कि मुझको राजनीति में आना पड़ा। बरेली के तत्कालीन मेयर चाहते थे कि इंवर्टिस यूनिवर्सिटी बन्द हो जाये। उन्हें प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री का वरदहस्त था। मैंने संघर्ष किया। केस लड़ा। उसे जीतकर न केवल यूनिवर्सिटी को बचाया बल्कि बरेली का महापौर भी बन गया।