Decline of Wells in Rural Areas From Water Sources to Crime Scenes उपयोग न होने से कुंओं का पानी भी सूखा, Gangapar Hindi News - Hindustan
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उपयोग न होने से कुंओं का पानी भी सूखा

Gangapar News - दादा बाबा के जमाने वाले कुंओं की उपयोगिता समाप्त, नहीं रह गया पानी मेजा। तीन दशक पूर्व जब ग्रामीण क्षेत्रों में हैन्डपम्प व समरसेबुल नहीं था, तो उस सम

Newswrap हिन्दुस्तान, गंगापारFri, 16 May 2025 03:59 PM
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उपयोग न होने से कुंओं का पानी भी सूखा

तीन दशक पूर्व जब ग्रामीण क्षेत्रों में हैंडपंप व सबमर्सिबल नहीं था, तो उस समय लोग कुंए से लोग पानी निकाल कर उपयोग करते रहे। यही नहीं इन कुंओं का पानी खेत की सिंचाई के लिए भी प्रयोग किया जाता रहा। इस वैज्ञानिक युग में आधुनिक उपकरण के बल पर जरूरतमंद लोगों में हैंडपंप लगवा लिया। जिससे कुंए उपेक्षित हो गए। इन कुंओं का उपयोग न होने से 95 फीसदी कुंए पूरी तरह सूख गए। बुजुर्गो की मानें तो तीन दशक पूर्व इन कुंओं से समय-समय पर पूजा होती थी। कुंआ की खोदाई कराना आसान नहीं था। काफी पैसे वाले ही कुंआ, जलाशय का निर्माण कार्य कराते रहे।

इस वैज्ञानिक युग में कुंआ व तालाब दोनों की स्थिति दयनीय हो गई है। तालाबों में कुछ की स्थिति बहुत खराब है। वर्ष भर सिंचाई का पानी देने वाले अधिकांश तालाब या तो पाट दिए गए, अथवा पानी के अभाव में सूखे पड़े हैं। गॉव के सूनसान में मौजूद कुंए अपराधियों के लिए महफूज स्थान साबित हुए। इन कुंओं के खुले होने से रात के अंधेरे में जीव जंतु अक्सर गिर जाया करते हैं। क्षेत्र के विभिन्न गांवों में अब तक कई लाशें बरामद की जा चुकी हैं। सूनसान में स्थित इन कुंओं की मरम्मत न तो कुंआ स्वामी कर सके और न ही जिम्मेदार अधिकारी। गौर करने योग्य बात यह है कि परानीपुर के सूनसान स्थान में स्थित एक कुंए में दो दशक पूर्व गंगापार के एक युवक का शव मिला था। सूचना पर पहुंची पुलिस शव का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। दूसरी घटना बकचूंदा गॉव के दक्षिण से गुजरने वाली हावड़ा दिल्ली रेल मार्ग के पास स्थित कुंए का था। जहॉ का बकचूंदा गॉव के एक युवक की हत्या कर शव पानी में फेंक दिया गया था। तीन दशक पूर्व मटिही गॉव से उत्तर स्थित सूनसान स्थान में मौजूद कुंए में बालिका की लाश मिली थी। जानकारी करने पर पता चला कि यह शव रामनगर बाजार के एक बालिका का था। पांच वर्ष पूर्व पाठा के विभिन्न गांवों में ब्लास्टिंग कूप का निर्माण करवा कर सरकार ने पेयजल समस्या का निदान ढूढ़ने का प्रयास किया, लेकिन कूपों के निर्माण में भारी गड़बड़ी होने से ब्लास्टिंग कूप निष्क्रिय हो गए।

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