बोले एटा: दलित समाज को और पीछे कर रहा नशा, दूर खोले जाएं ठेके
Etah News - एटा में जागृति संध की जिलाध्यक्ष मालती सिंह ने बताया कि समाज में शिक्षा की कमी और नशाखोरी की समस्या है। महिला और बच्चे परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं, जबकि पुरुष नशे में लिप्त हैं। उन्होंने 50 गांवों...

एटा। जागृति संध की जिलाध्यक्ष मालती सिंह ने बताया कि समाज को जागने के लिए पूरे जिले में कार्यक्रम आयोजित करते आ रहे है। समाज अभी भी पिछड़ा हुआ है। शहर से लेकर गांव तक लोग अभी भी शिक्षा अपनाने को तैयार नहीं है। दलित समाज को नशा खत्म कर रहे है। पुरुषों के नशा में रहने के कारण महिलाए और बच्चे काम कर परिवार का भरण पोषण कर रहे है। दिन भर काम करने के बाद जो भी पैसा कमाते है उसका अधिकांश हिस्सा नशा का शोक पूरा करने में लगा दिया जाता है।
परिवार के लोगों को रोजमर्रा की जरुरतें भी पूरी नहीं होती है। मजबूरी में महिलाएं और बच्चे काम करने के लिए निकल जाते है। ममता सिंह ने बताया कि आप किसी भी शहर में चले जाए। किसी भी शहर की पॉश काॅलौनी में शराब के ठेका नहीं मिलेगे, लेकिन जब दलित बस्तियों अथवा मजूदरों के मोहल्लों में जाएगे तो वहां पर शराब के ठेके जरुर मिल जाएगे। सरकार को भी दलित वर्ग के लोगों के बारे में सोचना चाहिए। शराब के ठेके दूर बनाए जाए। आसानी से शराब ना मिल सके। इससे आत्महत्याओं की भी घटनाओं में बढोत्तरी हो रही है।
दो वर्ष में 50 गांव में कैंप लगाकर बताए नशे के दुष्प्रभाव: माता रमाबाई अंबेडकर प्रबुद्ध महिला जागृति संघ की ओर से महिलाओं को जागरूक मरने का अभियान चलाया जा रहा है। अभी तक 50 से अधिक गांवों में कैंप लगाकर जागरूक किया गया है कि महिलाए आगे आकर परिवारों को बचाए।
जिलाध्यक्ष डा. मालती सिंह ने बताया कि पे बैक टू सोसायटी की अवधारणा" पर निरंतर कार्य कर रहे हैं। गांवों एवं शहरी क्षेत्रों में कैंप लगा इसमें शराब पीने का विरोध तथा शिक्षा के प्रति जागरूक कर रहे है। अब तक 20 से अधिक लोगों को शराब से दूर कर चुके है। समाज में एकता, समानता, सद्भावना और शांति स्थापित करते हुए सामाजिक कुरीतियों जैसे अंधविश्वास, पाखंडवाद, जातिभेद, लिंगभेद आदि से संबंधित समस्याओं के निराकरण में सरकार के साथ साथ अपनी महती भूमिका निभा रहे हैं।
ये कहना है इनका
मध्यम, गरीब परिवार में भी बच्चों को पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान देना चाहिए। शिक्षित होने से परिवार में समृद्धि आती है। आर्थिक, सामाजिक स्तर अच्छा होता है। संगत अच्छी होने से परिवार, बच्चे बुराईयों से दूर रहते है। बिना पढ़े-लिखे लोग अपना अच्छा, बुरा नहीं सोच पाते हैं। वह बुराइयों का शिकार हो जाते हैं। इसलिए वह घर, परिवार, आसपास के बच्चों को पढ़ाई करने के लिए प्रेरित करती हैं। इससे उनका जीवन संवर सके। गांव में आज भी लोग बच्चों की शिक्षा पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।
-डा. मालती सिंह, शिक्षिका, एटा।
महात्मा ज्योतिबा फुले ने सर्वसमाज की महिलाओं के उत्थान के लिए जीवनभर कार्य किया। महिलाओं को शिक्षित बनाने के लिए उन्होंने सबसे स्कूल खोला। इसमें प्रथम महिला शिक्षिका के रूप में उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले ने महिलाओं को शिक्षा देकर आत्म निर्भर बनाने का कार्य किया। उनकी प्रेरणा से आज भी समाज में महिलाओं को शिक्षित करने की परंपरा चली आ रही है। शिक्षित होकर महिलाएं आज हर क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं।
-बलवीर भास्कर, एटा।
सामाजिक कुरीतियां आज भी महिलाओं के पैरों की बेडियां बनी हुई है। लड़की के जन्म से लेकर विवाह और पारिवारिक दायित्व निर्वहन दौरान उसको तमाम बंदिशों में रहना पड़ता है। उनका सर्वांगीण विकास नहीं हो पाता है। महिलाओं को उनके सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षिक अधिकारों की जानकारी होना जरूरी है।
-निर्दोष कुमारी,सामाजिक कार्यकर्ता
देश और समाज इक्कीसवी सदी में चल रहा है। आज भी दहेज के नाम पर महिलाओं का उत्पीड़न और हत्या हो रही है। समाज में व्याप्त दहेज रूपी कुरीति को खत्म करने के लिए सरकार आये दिन तरह-तरह के जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से प्रयास कर रही है। हम सभी को इस सामाजिक कुरीति के खात्मे को प्रयास करने होगी।
-ऊषा, गृहणी
सरकार को सभी वर्ग के बच्चों को शिक्षा के साथ रोजगारपरक कोर्स कराने की सुविधा देनी चाहिए। जिससे उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद युवाओं को नौकरी के लिए भटकना न पड़े। तकनीकि प्रशिक्षण के दौरान ही कैम्पस में नौकरी प्रदान करने के लिए प्राइवेट कंपनियों को बुलाकर साक्षात्कार कराये जाएं।
-शालिगराम, सामाजिक कार्यकर्ता
समाज में बढ़ती नशाखोरी, शराब के प्रचलन को रोकने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए। जब तक गरीब तबके के लोग, मजदूर की पहुंच से शराब दूर नहीं होगी। तब तक वह इस कुरीति से दूर नहीं हो सकेंगे। वर्तमान में शराब की लत के शिकार गरीब, मजदूर परिवार आर्थिक तंगी से ग्रसित होकर जीवन बर्बाद कर रहे हैं।
-रूपवती,सामाजिक कार्यकर्ता
पढ़ने की उम्र में युवा सोशल मीडिया साइटस, मोबाइल, कम्प्यूटर के माध्यम से भटक रहे हैं। वह आज नशाखोरी और अपराधिक गतिविधियों में संलिप्त होकर अपने भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। बच्चों, युवाओं को कुरीतियों, विसंगतियों से बचाने की जिम्मेदारी अभिभावक, शिक्षक और जागरूक लोगों की है।
-पूजा चौहान बाल्मीकी सामाजिक कार्यकर्ता
प्रदेश सरकार महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं को अधिकार, सामाजिक सुरक्षा और हेल्पलाइन के बारे में जागरूक करने का कार्य कर रही है। आज युवा असामाजिक तत्वों की गलत मंशा का शिकार हो रहे हैं। युवा खतरा भांपते ही तत्काल हेल्पलाइन पर सूचना देकर स्वयं को सुरक्षित करने का काम करें।
-मुन्नीदेवी, गृहणी
महिलाओं के सशक्तीकरण, आत्मनिर्भर बनने के लिए उनका शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक है। शिक्षित होकर ही वह अपने बेहतर भविष्य के बारे में सोच सकती है। इसलिए सभी को बेटा-बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाने की पहल करनी चाहिए। जिससे उनका भविष्य बेहतर हो सके।
-रेखा गौतम, गृहणी, एटा।
पढ़ने-लिखने को युवाओं के मिले मोबाइल, लैपटॉप, कम्प्यूटर ही उनके विकास में बाधक बनते जा रहे हैं। युवाओं इनका उपयोग पढ़ाई के बजाय रील बनाने, सोशल साइटस की गतिविधियां देखने में कर रहे हैं। इससे समय और पैसा दोनों बर्बाद हो रहे हैं। बच्चों को इनके दुरपयोग से बचाने को अभिभावकों को पहल करने की जरूरत है।
-ममता सिंह, गृहणी
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