बारिश के पानी में बह गया पुल का एप्रोच, दंग रह गए लोग; जोखिम में जान
- शनिवार की सुबह कसया थाना क्षेत्र में कुड़वा दिलीपनगर के सोनरा नदी पर बने पुल के एप्रोच का काफी हिस्सा बारिश में बह गया। उधर, बाल्मीकि गडंक बैराज से फिर 3 लाख 21 हजार क्यूसेक पानी छोडा गया है। नारायणी नदी खतरे के लाल निशान 96 मी. से सिर्फ 8 सेमी नीचे रह गई है।
कुशीनगर के कसया थाना क्षेत्र में कुड़वा दिलीपनगर के सोनरा नदी पर बने पुल के एप्रोच का काफी हिस्सा शनिवार की सुबह बारिश में बह गया। एप्रोच जिस ढंग से कटा उसे देखकर ग्रामीण दंग रह गए। उन्हें आवागमन में काफी दिक्कत हो रही है। गुरुमिहया के दर्जनों टोलों का आवागमन बाधित हो गया। सड़क का आधा हिस्सा बारिश के पानी से कटकर बह गया है। यहां से कार और बाइक से लोगों का आना-जाना बन्द हो गया है। लोग जान जोखिम में डालकर पैदल आ-जा रहे हैं। उधर, बाल्मीकि गडंक बैराज से फिर 3 लाख 21 हजार क्यूसेक पानी छोडा गया है। इससे शनिवार को भोर में कुशीनगर के खड्डा रेता क्षेत्र के निचले इलाकों के करीब तक नदी का पानी पहुंच गया है। सुबह तक डिस्चार्ज फिर बढ़ गया। महादेवा, मरिचहवा, सलीगपुर, विंध्याचल पुर समेत रेता के छह गावों में बाढ़ की आशंका बढ़ गई है।
भारत के साथ ही नेपाल की पहाड़ियों में भी भारी बारिश हो रही है। शनिवार की सुबह बाल्मिकी गंडक बैराज से पानी का डिस्चार्ज बढकर 3 लाख 65 हजार क्यूसेक हो गया। इसके बाद नारायणी नदी खतरे के लाल निशान 96 मी. से सिर्फ आठ सेमी नीचे रह गई है। कुशीनगर में गुरुवार की रात दस बजे से शुरू हुई बारिश शुक्रवार देर रात तक जारी रही। इस दौरान रुक कर कभी झमाझम तो कभी रिमिझिम बारिश से जन जीवन अस्त व्यस्त रहा। इस बारिश ने फसलों को संजीवनी मिल गयी है। देर से बोई गयी धान की फसलें भी तैयार हो जाएंगी। गन्ने व अन्य फसलों को भी फायदा हुआ है। बारिश से टूटी सड़कों के गड्ढों में जलजमाव हो गया। कुछ कस्बों में जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होने से बाजारों और मोहल्लों में घुटने भर तक पानी भर गया। लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ा।
हफ्ते की शुरुआत में उमस भरी गर्मी ने लोगों को बेहाल कर दिया था। इसके बाद बारिश शुरू हुई। जिले के सभी इलाकों में बुधवार को बारिश हुई मगर पडरौना में नहीं हुई। गुरुवार को भोर में पडरौना क्षेत्र में बारिश हुई। दोपहर में भी रिमझिम बारिश हुई। इसके बाद दिन मौसम खुला रहा मगर मौसम ठंडा हो गया। रात को इसके बाद दस बजे से शुरू हुआ बरसात ने घरों में पंखे आदि बंद करा दिए। मौसम खुशगवार हो गया। कभी तेज व कभी रिमझिम हो रही यह बारिश शुक्रवार की शाम को सात बजे के बाद थमी। बारिश से टूटी सड़कों के गड्ढों में जलभराव हो गया। जल निकासी नहीं होने के कारण कुछ कस्बों में जलभराव हो गया। इसे लेकर दुकानदारों ने विरोध प्रदर्शन किया।
किसानों को सलाह
केवीके के वैज्ञानिकों की सलाह है कि किसान भाई धान, मक्का, खरीफ प्याज, चारा एवं अन्य सब्जियों की फसलों में नत्रजन उर्वरक का उपरिवेशन फिलहाल मौसम देखकर करें। धान की फसल जो दुग्धाअवस्था में आ गयी हो, उसमें गंधी बग कीट की निगरानी करें। इस कीट के शिशु एवं पौढ़ दोनों प्रारंभ में धान की कोमल पत्तियों तथा तनों का रस चूसते हैं जिससे पत्तियों पीली होकर कमजोर हो जाती हैं। पौधों की बढ़वार बाधित हो जाती है और वे छोटे रह जाते हैं। धान की दुग्धावस्था में यह पौधों को अधिक क्षति पहुंचाती है जिससे उपज में काफी कमी होता है। इसके शरीर से विशेष प्रकार का बदबू निकलती है, जिसकी वजह से इसे खेतों में आसानी से पहचाना जा सकता है।